
“स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का युवाओं को बड़ा तोहफ़ा — प्रतियोगी परीक्षा शुल्क में भारी छूट”
स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2025 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांधी मैदान, पटना से युवाओं के लिए एक ऐतिहासिक घोषणा की। राज्यस्तरीय सरकारी नौकरी के प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में प्रारंभिक (PT) परीक्षा के लिए शुल्क को मात्र ₹100 निर्धारित कर दिया गया है, और मुख्य परीक्षा (Mains) के लिए अब कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा ।
मूल घोषणा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में घोषणा की कि अब बिहार के सभी आयोग — जैसे BPSC, BSSC, BTSC, BPSSC, Central Constable Selection Board आदि — द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रारंभिक परीक्षा शुल्क एकरूप करते हुए ₹100 कर दिया गया है । साथ ही, जो अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा में सफल होंगे और मुख्य परीक्षा (Mains) में भाग लेंगे, उनके लिए मुख्य परीक्षा शुल्क पूरी तरह से माफ रखा गया है । इस措ाव से लाखों युवा प्रभावित होंगे, खासकर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों और गरीब विधार्थियों को काफी राहत मिलेगी ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक हैं, और पूर्व में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं और समाज के गरीब वर्गों के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं — जैसे घरेलू उपयोग के लिए 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त, महिला आरक्षण, युवा आयोग की स्थापना, और सरकारी कर्मचारियों व स्टाफ के मानदेय में वृद्धि ।
इस नई घोषणा का प्रमुख उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की लागत को कम करके युवाओं को सरकारी नौकरी की ओर आकर्षित करना और उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में परीक्षा शुल्क अक्सर गरीबी रेखा के नीचे के छात्रों के लिए एक बड़ी बाधा होता है — और इस निर्णय से उनकी भागीदारी में वृद्धि होने की संभावना है।
लाभ और व्यापक प्रभाव
1. आर्थिक सस्ती प्रक्रिया: ₹100 का शुल्क निश्चित रूप से अब तक लागू शुल्कों की तुलना में काफी कम है; इससे कई परिवारों पर वित्तीय दबाव कम होगा।
2. समावेशिता और अवसर: विशेषकर पिछड़े वर्गों, ग्रामीण युवाओं और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के कैंडिडेट्स को सरकारी नौकरी की प्रतियोगिता में शामिल होने में मदद मिलेगी।
3. राजनीतिक रणनीति: चुनावी माहौल में युवाओं और निर्वाचन क्षेत्र में सकारात्मक संदेश भेजने में यह निर्णय एक प्रोत्साहन भी माना जा सकता है ।
4. लंबी अवधि पर असर: अधिक संख्या में उम्मीदवारों की भागीदारी संभवतः सरकारी नौकरी में विविधता और जनप्रतिनिधित्व बढ़ा सकती है।
इस घोषणा का व्यापक स्वागत किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एक व्यापक दृष्टिकोण के रूप में इसे “युवाओं को विधानसभा चुनाव से पहले तोहफा” कहकर देखा गया है । हालांकि, आलोचकों ने इसे चुनावी लाभ के लिए उठाया गया कदम भी बताया है।
कुछ विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इस निर्णय का प्रभाव तब तक सीमित रहेगा जब तक यह परीक्षा प्रणाली की गुणवत्ता, पारदर्शिता, और व्यापक अवसरों तक पहुंच में सुधार के साथ संयुक्त न हो।
स्वतंत्रता दिवस 2025 पर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पेश की गई यह पहल एक महत्वपूर्ण सामाजिक और प्रशासनिक कदम माना जा सकता है। प्रतियोगी परीक्षा शुल्क में यह कटौती न केवल आर्थिक राहत लेकर आती है, बल्कि युवाओं को सरकारी नौकरी की ओर बढ़ने की इच्छा को भी प्रोत्साहित करती है। हालांकि चुनावी संदर्भ में इसका उपयोग किया जा सकता है, लेकिन सामाजिक लाभ और रोजगार मार्ग में पारदर्शिता और समावेशिता की दिशा में यह अपेक्षाकृत सकारात्मक पहल है। आने वाले वर्षों में ऐसे समान कदम भविष्य में नौकरियों और शिक्षा तक सर्वसुलभ पहुँच के लिए मार्गप्रशस्त कर सकते हैं।