
कम या ज्यादा सोने वाले बच्चे—कौन होते हैं ज्यादा होशियार? जानें विशेषज्ञों की राय और नींद से जुड़ी अहम गाइडलाइंस
बच्चों की नींद को लेकर माता-पिता में हमेशा एक सवाल बना रहता है—क्या ज्यादा सोने वाला बच्चा होशियार होता है या कम सोने वाला? यह सवाल केवल आम राय नहीं, बल्कि अब वैज्ञानिक अध्ययन और विशेषज्ञों की राय का विषय भी बन चुका है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों की मानसिक और शारीरिक विकास में नींद की अहम भूमिका होती है। कम या अधिक नींद दोनों ही बच्चों के लिए नुकसानदेह हो सकती हैं। ऐसे में यह समझना बेहद ज़रूरी है कि किस उम्र के बच्चों को कितनी नींद चाहिए और क्या जरूरत से कम या ज्यादा नींद उनके बुद्धि विकास को प्रभावित करती है।
क्या नींद से जुड़ा है बच्चों का IQ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि नींद का सीधा संबंध बच्चों के दिमागी विकास और सीखने की क्षमता से है। नींद के दौरान मस्तिष्क दिनभर की सीखी गई बातों को प्रोसेस करता है और याददाश्त को मजबूत करता है।
नींद की कमी से बच्चे चिड़चिड़े, एकाग्रता में कमजोर और शारीरिक रूप से सुस्त हो सकते हैं। वहीं बहुत ज्यादा सोने वाले बच्चों में भी सुस्ती और अकर्मण्यता देखी जा सकती है। दोनों ही स्थितियां बच्चे की बुद्धिमत्ता को सीमित कर सकती हैं।
किस उम्र के बच्चों को कितनी नींद जरूरी है? (WHO और CDC की गाइडलाइंस के अनुसार):
आयु वर्ग जरूरी नींद की अवधि (प्रति दिन)
नवजात (0-3 माह) 14–17 घंटे
शिशु (4-11 माह) 12–15 घंटे
टॉडलर (1-2 वर्ष) 11–14 घंटे
प्रीस्कूलर (3-5 वर्ष) 10–13 घंटे
स्कूली उम्र (6-13 वर्ष) 9–11 घंटे
किशोर (14-17 वर्ष) 8–10 घंटे
यह अवधि केवल सोने की नहीं बल्कि दिन में झपकी (nap) सहित होती है।
क्या कम नींद से बच्चे होशियार हो सकते हैं?
हाल ही में एक अध्ययन में सामने आया कि कुछ हाई IQ वाले बच्चे अपेक्षाकृत कम सोते हैं, लेकिन यह सभी बच्चों पर लागू नहीं होता। वैज्ञानिक इस बात पर एकमत हैं कि नींद की गुणवत्ता, स्थिरता और दिनचर्या अधिक मायने रखती है।
कम नींद लेने वाले बच्चों में व्यवहारिक समस्याएं, पढ़ाई में पिछड़ने की संभावना और सोशल स्किल्स में कमी देखी जा सकती है। इसलिए सिर्फ “कम सोता है तो होशियार है” जैसी धारणाएं खतरनाक साबित हो सकती हैं।
बच्चों की नींद क्यों हो सकती है डिस्टर्ब?
देर रात मोबाइल या टीवी देखना
कैफीन युक्त फूड्स और डिनर में जंक फूड
अधिक होमवर्क या कोचिंग का तनाव
मानसिक तनाव या स्कूल का प्रेशर
पैरेंट्स की अनियमित दिनचर्या
पेरेंट्स के लिए गाइडलाइन:
बच्चों के लिए सोने और उठने का तय समय बनाएं
बेड पर जाने से 30 मिनट पहले स्क्रीन टाइम बंद कर दे
हल्का और सुपाच्य डिनर दे
बेडरूम को शांत और अंधेरा रखें
बच्चों से दिनभर की बातें करें ताकि मानसिक बोझ हल्का हो
क्या पेरेंट्स को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए?
बिलकुल! यदि आपका बच्चा:
रोजाना ठीक से नहीं सो पाता
बिस्तर पर लेटने के बाद घंटों जागता रहता है
रात में बार-बार उठता है या डरावने सपने आते हैं
दिनभर थका-थका या चिड़चिड़ा रहता है
स्कूल में फोकस करने में दिक्कत हो रही है
तो ऐसे लक्षण नींद विकार (sleep disorder) की तरफ इशारा कर सकते हैं और बाल रोग विशेषज्ञ या नींद विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
बच्चों की नींद केवल आराम नहीं बल्कि विकास का आधार है। माता-पिता को अपने बच्चों की नींद की आदतों पर सतर्क नजर रखनी चाहिए। नींद की गुणवत्ता जितनी बेहतर होगी, बच्चा उतना ही तेज़, खुशमिज़ाज और स्वस्थ होगा।