
“पंजाब पुलिस के पूर्व डीआईजी इंदरजीत सिंह सिद्धू के स्वच्छता मिशन”
पंजाब पुलिस के पूर्व डीआईजी का स्वच्छता मिशन: चंडीगढ़ की सड़कों पर कूड़ा उठाकर दे रहे समाज को संदेश
रिटायरमेंट के बाद समाजसेवा को चुना जीवन का उद्देश्य, स्वच्छ भारत मिशन को बना लिया व्यक्तिगत जिम्मेदारी
चंडीगढ़।
जहां अधिकतर लोग सेवा से रिटायर होने के बाद आराम की ज़िंदगी जीना पसंद करते हैं, वहीं पंजाब पुलिस के रिटायर्ड डीआईजी इंदरजीत सिंह सिद्धू ने एक अलग ही राह चुनी है। वे इन दिनों चंडीगढ़ की गलियों और सड़कों पर घूम-घूम कर कचरा उठाते देखे जा रहे हैं। न कोई कैमरा, न कोई प्रचार—सिर्फ एक दृढ़ संकल्प कि अपने शहर को साफ-सुथरा बनाना है।
उनकी यह पहल न केवल स्वच्छता के प्रति गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि समाज को भी एक गहरा संदेश देती है: अगर एक पूर्व उच्च अधिकारी सड़क से कूड़ा उठा सकता है, तो हम-आप क्यों नहीं?
बचपन से ही अनुशासन में पले-बढ़े
इंदरजीत सिंह सिद्धू का जीवन हमेशा अनुशासन, ईमानदारी और सेवा के आदर्शों पर आधारित रहा है। पुलिस विभाग में उन्होंने तीन दशकों से भी अधिक समय तक सेवा दी। डीआईजी के पद तक पहुंचना उनके लिए सिर्फ उपलब्धि नहीं थी, बल्कि जिम्मेदारी का प्रतीक था। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने वही अनुशासन और जिम्मेदारी अब समाज के प्रति निभाने का संकल्प लिया।
सफाई को बनाया मिशन
जब इंदरजीत सिंह सिद्धू ने देखा कि शहर के लोग सफाई को लेकर गंभीर नहीं हैं, जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे रहते हैं और लोग लापरवाही से कचरा फेंकते हैं, तो उन्होंने खुद इस गंदगी को साफ करने की ठानी। शुरुआत उन्होंने अपने घर के पास के क्षेत्र से की। अब वे नियमित रूप से चंडीगढ़ के विभिन्न सेक्टरों में जाकर कूड़ा उठाते हैं और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हैं।
वे प्लास्टिक की थैली लेकर निकलते हैं और रास्ते में पड़ी बोतलें, चिप्स के पैकेट, कागज और दूसरी गंदगी को बटोरते हुए चलते हैं। राह चलते लोग जब उन्हें ऐसा करते देखते हैं तो पहले चौंकते हैं, फिर प्रेरित होते हैं। कई बार लोग उन्हें रोककर हाथ मिलाते हैं, कुछ सेल्फी भी लेते हैं, लेकिन डीआईजी साहब बिना रुके अपने काम में लगे रहते हैं।
लोगों से की सफाई में भागीदारी की अपील
सिद्धू मानते हैं कि स्वच्छता सिर्फ नगर निगम या सरकारी संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक की है। “अगर हर नागरिक सिर्फ अपने घर के आगे की सड़क और गली को साफ रखे, तो पूरा देश साफ हो सकता है,” वे कहते हैं। वे लोगों से अपील करते हैं कि वे सार्वजनिक जगहों पर कचरा न फैलाएं, कूड़ेदान का उपयोग करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
उन्होंने अपने स्तर पर कई स्कूलों, सोसाइटीज़ और मार्केट एसोसिएशनों में जाकर जागरूकता अभियान चलाया है। उनका मानना है कि जब तक स्वच्छता को सामाजिक आदत नहीं बनाया जाएगा, तब तक सरकारी प्रयास अधूरे रहेंगे।
स्वच्छ भारत मिशन को दी नई ऊर्जा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान को जहां देशभर में समर्थन मिला, वहीं इंदरजीत सिंह सिद्धू जैसे लोगों ने इसे ज़मीनी स्तर पर सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि यह सरकारी योजना थी, लेकिन सिद्धू ने इसे व्यक्तिगत मिशन के रूप में अपनाया।
वे कहते हैं, “अगर प्रधानमंत्री झाड़ू उठा सकते हैं, तो हम क्यों नहीं?” उनका मानना है कि किसी भी समाज की परिपक्वता उसकी साफ-सफाई और नागरिक बर्ताव से जानी जाती है।
समाज ने दिया सम्मान
चंडीगढ़ की आम जनता, सामाजिक संगठनों और कई प्रशासनिक अधिकारियों ने सिद्धू के इस प्रयास को सराहा है। कई स्कूलों और कॉलेजों ने उन्हें विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है ताकि वे छात्रों को स्वच्छता के प्रति प्रेरित कर सकें। स्थानीय प्रशासन ने भी उन्हें समर्थन देने की बात कही है।
हाल ही में एक स्वच्छता अभियान के दौरान एक बच्चा उनके पास आया और बोला, “आप तो पुलिस वाले थे, अब ये क्यों कर रहे हैं?” इस पर सिद्धू ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “पहले कानून की सेवा करता था, अब समाज की कर रहा हूं।”
बिना प्रचार के बनी प्रेरणा
सिद्धू का सफाई अभियान सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ, जब किसी राहगीर ने उनका वीडियो रिकॉर्ड कर इंस्टाग्राम और ट्विटर पर शेयर कर दिया। लाखों लोगों ने उनकी सराहना की और कहा कि ऐसे ही नागरिक देश को आगे ले जाते हैं। हालांकि सिद्धू खुद प्रचार से दूर रहना पसंद करते हैं। उनका कहना है, “काम ऐसा हो कि लोग देखें और सीखें, न कि सिर्फ दिखावे के लिए किया जाए।”
पूर्व डीआईजी इंदरजीत सिंह सिद्धू का यह कदम एक उदाहरण है कि कोई भी पद, उम्र या स्थिति समाजसेवा की राह में बाधा नहीं बन सकती। उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो एक अकेला इंसान भी समाज में बदलाव ला सकता है।
उनका यह प्रयास न केवल चंडीगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा है। स्वच्छ भारत सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन है, और इंदरजीत सिद्धू जैसे नायक इसकी असली ताकत हैं।