
कब्ज क्यों होती है
कब्ज की समस्या आजकल बेहद आम हो चुकी है और हर उम्र के लोग इससे परेशान रहते हैं। कई बार रोजाना पेट ठीक से साफ नहीं होता, पेट भारी महसूस होता है या गैस और एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है। खराब खानपान, कम पानी पीना, तनाव, फाइबर की कमी और देर रात भोजन जैसी आदतें कब्ज का प्रमुख कारण बन सकती हैं।
पाचन तंत्र कमजोर होने के संकेत
आयुर्वेद के अनुसार यदि पेट साफ नहीं होता, तो शरीर में कई अन्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। कब्ज लंबे समय तक रहने पर भूख कम होना, पेट फूला रहना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और नींद न आना जैसी दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। इसलिए समय पर उपाय अपनाना जरूरी है।
इसबगोल का सेवन
दादी-नानी के उपायों में इसबगोल सबसे असरदार माना जाता है। रात में एक गिलास गुनगुने पानी के साथ दो चम्मच इसबगोल लेना पेट साफ करने में मदद करता है। इसबगोल मल को नरम बनाता है और कब्ज को प्राकृतिक रूप से कम करता है।
घी और गुनगुने पानी का उपाय
आयुर्वेद में घी को पाचन शक्ति का आधार माना गया है। सुबह खाली पेट एक चम्मच घी के साथ गुनगुना पानी पीने से आंतों में लुब्रिकेशन बढ़ता है और मल त्याग आसान होता है। यह तरीका वर्षों से घरेलू इलाज का हिस्सा रहा है।
फाइबर वाले फल और सब्जियां
कब्ज दूर करने में फाइबर युक्त भोजन सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पपीता, अमरूद, चुकंदर, पालक, खीरा, सेब और केला फाइबर से भरपूर होते हैं और पाचन को सक्रिय बनाते हैं। रोजाना दो बार फाइबर युक्त फल खाने से कब्ज की समस्या काफी कम हो सकती है।
पानी पिएं पर्याप्त मात्रा में
शरीर में पानी की कमी होने पर मल सख्त हो जाता है जिससे पेट साफ करना मुश्किल हो जाता है। दिनभर में सात से आठ गिलास पानी और सुबह खाली पेट दो गिलास पानी पीना कब्ज को कम करता है और पाचन को सुधारता है।
लाइफस्टाइल सुधारें
कब्ज बार-बार लौटकर आती है तो जीवनशैली में बदलाव जरूरी है। नियमित टहलना, योगासन, पेट की हल्की मालिश और समय पर भोजन करने की आदत कब्ज को काफी हद तक नियंत्रित करती है। त्रिफला चूर्ण, नींबू पानी और गर्म पानी भी अच्छे घरेलू विकल्प बताए गए हैं।
यह लेख घरेलू नुस्खों, प्राकृतिक उपायों और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित है। कब्ज की समस्या लगातार बनी रहे तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। यह सामग्री केवल जानकारी के उद्देश्य से है।
