
सीआरपीएफ जवान ने खुद को मारी गोली: बेटी ने कहा- पापा के अधूरे सपनों को मैं पूरा करूंगी
जवान की आत्महत्या ने उठाए सिस्टम पर सवाल, परिजनों ने सीनियर अफसरों पर प्रताड़ना के लगाए आरोप
घटना की पृष्ठभूमि:
देश की सुरक्षा में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक जवान ने अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। घटना की जानकारी मिलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
यह दर्दनाक घटना तब सामने आई जब जवान ने ड्यूटी के दौरान अपनी पत्नी से फोन पर बातचीत की और कुछ ही देर बाद खुद को गोली मार ली।
पत्नी से अंतिम बातचीत:
जवान की पत्नी के अनुसार, फोन पर बातचीत के दौरान वह बेहद भावुक और परेशान था। उसने बताया कि सीनियर अफसर उसे लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। पत्नी ने कहा, “मैं उसे समझा रही थी कि छुट्टी लेकर घर आ जाए, लेकिन उसने कहा- अब बर्दाश्त नहीं होता…” और फिर कॉल कट हो गई। कुछ ही देर में जवान के आत्महत्या की खबर आ गई।
बेटी का साहसपूर्ण संकल्प:
जवान की बेटी ने कहा, “पापा के अधूरे सपने अब मैं पूरा करूंगी। वह हमेशा कहते थे कि बेटा, तू पढ़-लिखकर बड़ा अफसर बन।” आंखों में आंसू और दिल में जोश के साथ बेटी ने अपने पिता की कुर्बानी को व्यर्थ न जाने देने का वादा किया।
परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप:
शव पहुंचते ही गांव में मातम का माहौल बन गया। परिजनों ने साफ आरोप लगाया कि जवान पर मानसिक दबाव डालने वाले उसके सीनियर थे। उन्होंने उच्चस्तरीय जांच की मांग की और कहा कि दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
सिस्टम पर सवाल:
यह घटना एक बार फिर सुरक्षा बलों के जवानों की मानसिक स्थिति और कार्यस्थल पर मौजूद दबाव को लेकर सवाल खड़े करती है। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि आखिर क्यों जवान अपने मन की बात कहने से डरते हैं? क्या सिस्टम में कहीं कमी है?
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया:
घटना के बाद कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा बलों में “मेंटल हेल्थ” को प्राथमिकता देने की मांग की। उनका कहना है कि हर साल दर्जनों जवान आत्महत्या करते हैं लेकिन इन मामलों में सुधार की दिशा में ठोस प्रयास नहीं हो पाते।
मनोवैज्ञानिकों की राय:
विशेषज्ञों का मानना है कि सुरक्षा बलों में काम करने वाले जवान कई बार अत्यधिक मानसिक दबाव में रहते हैं। यदि समय पर उनकी काउंसलिंग हो, तो ऐसे हादसों को रोका जा सकता है।
सरकारी प्रतिक्रिया का इंतजार:
अब तक विभाग की ओर से केवल आधिकारिक बयान जारी किया गया है जिसमें मामले की जांच की बात कही गई है। लेकिन पीड़ित परिवार न्याय की मांग कर रहा है।
यह घटना केवल एक आत्महत्या नहीं, बल्कि सुरक्षा बलों के भीतर मौजूद उन खामियों की ओर संकेत करती है जिन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। जवानों की समस्याओं को सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि उनकी ज़िंदगी की सच्चाई में समझना होगा।
CRPF जवान की मौत के पीछे छिपी पीड़ा न सिर्फ परिवार को झकझोर गई, बल्कि समाज और सिस्टम दोनों को भी सोचने पर मजबूर कर गई है।