
भारत में दहेज प्रथा एक कुरीति है, जो आज भी समाज को खोखला कर रही है। आए दिन दहेज प्रताड़ना से जुड़ी घटनाएं सामने आती रहती हैं। लेकिन झारखंड से सामने आई यह घटना हैवानियत की हद पार कर देने वाली है। यहां एक परिवार ने दहेज न मिलने पर बहू को कमरे में बंद कर उसके ऊपर सांप छोड़ दिया। और इतना ही नहीं, बाहर खड़े होकर वे इस अमानवीय कृत्य पर हंसते रहे। यह घटना न केवल समाज को झकझोरने वाली है, बल्कि इस सवाल को भी खड़ा करती है कि 21वीं सदी में भी दहेज जैसी कुरीति क्यों जीवित है?
घटना का विवरण
यह घटना झारखंड के एक छोटे कस्बे की है। पीड़िता की शादी कुछ वर्ष पहले इसी गांव में हुई थी। शादी के समय पीड़िता के परिवार ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार दहेज दिया, लेकिन ससुराल पक्ष की मांग पूरी नहीं हो पाई। शादी के बाद से ही पीड़िता को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा।
ससुरालवालों की लगातार नई-नई मांगें सामने आती रहीं। कभी सोना-चांदी तो कभी मोटरसाइकिल। जब पीड़िता का मायका इन मांगों को पूरा नहीं कर पाया, तब ससुरालवालों ने अमानवीय यातना देने की साजिश रची।
एक दिन बहू को कमरे में बंद कर उसके ऊपर जिंदा सांप छोड़ दिया गया। महिला चीखती-चिल्लाती रही लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इसके उलट बाहर खड़े ससुरालवाले इस डरावनी यातना का मजाक उड़ाते हुए ठहाके लगाते रहे। किसी तरह पड़ोसियों को भनक लगी और उन्होंने शोर मचाकर महिला की जान बचाई।
पीड़िता का बयान
पीड़िता ने रोते हुए बताया कि उसे कई महीनों से दहेज को लेकर प्रताड़ित किया जा रहा था। अक्सर उसके साथ मारपीट की जाती थी। लेकिन सांप छोड़ने जैसी घटना ने उसे अंदर तक तोड़ दिया। उसने कहा – “मैं मरने से ज्यादा इस बात से डरी थी कि मेरे अपने ही मुझे यातना देकर हंस रहे थे।”
पुलिस की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़िता को सुरक्षित बाहर निकाला। पुलिस ने पीड़िता की शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ससुरालवालों पर दहेज प्रताड़ना, जान से मारने की कोशिश और महिला उत्पीड़न की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। कुछ आरोपियों को हिरासत में भी लिया गया है, जबकि बाकी की तलाश जारी है।
समाज और दहेज प्रथा पर सवाल
यह घटना सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए आईना है। दहेज प्रथा आज भी हजारों बेटियों के लिए नर्क का कारण बनी हुई है। कई बार दहेज के चलते बेटियों की हत्या कर दी जाती है या उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया जाता है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल हजारों महिलाएं दहेज प्रताड़ना की शिकार होती हैं।
हर घंटे औसतन एक महिला की मौत दहेज से जुड़ी वजहों से होती है।
ऐसी स्थिति में सवाल उठता है कि क्या केवल कानून पर्याप्त है या हमें समाजिक सोच में भी बदलाव लाना होगा।
कानून क्या कहता है?
भारतीय कानून में दहेज प्रताड़ना और दहेज हत्या के खिलाफ कड़े प्रावधान हैं:
1. दहेज निषेध अधिनियम, 1961 – इसके तहत दहेज मांगना, लेना या देना अपराध है।
2. भारतीय दंड संहिता की धारा 304B – दहेज हत्या के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान।
3. धारा 498A – पति या ससुरालवालों द्वारा उत्पीड़न पर कार्रवाई।
फिर भी, जमीनी स्तर पर दहेज प्रथा का उन्मूलन अभी भी चुनौती बना हुआ है।
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
घटना सामने आने के बाद महिला संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि जब तक समाज में जागरूकता नहीं आएगी और बेटियों को बोझ मानने की मानसिकता खत्म नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।
समाधान और जागरूकता की आवश्यकता
बेटियों को बराबरी का अधिकार देना होगा।
शादी को लेन-देन की जगह विश्वास का बंधन समझना होगा।
समाज को एकजुट होकर दहेज के खिलाफ खड़ा होना होगा।
मीडिया और शिक्षा के जरिए जागरूकता फैलानी होगी।
झारखंड की यह घटना इंसानियत को शर्मसार करने वाली है। दहेज की मांग पूरी न होने पर बहू को सांप के साथ कमरे में बंद करना हैवानियत की पराकाष्ठा है। यह सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं, बल्कि उन तमाम महिलाओं की आवाज है जो आज भी दहेज के बोझ तले दबकर जी रही हैं। अब समय आ गया है कि समाज और कानून मिलकर दहेज प्रथा के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़े।