दिल्ली में प्रदूषण का संकट लगातार गहराता जा रहा है। राजधानी की हवा इन दिनों जहरीली बन चुकी है और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पार कर गया है। इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए 50 प्रतिशत सरकारी और निजी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम का आदेश जारी किया है। यह आदेश फिलहाल प्रदूषण स्तर सुधरने तक जारी रहेगा। सरकार का दावा है कि इससे सड़कों पर वाहनों की भीड़ कम होगी और प्रदूषण स्तर को काबू में लाने में मदद मिलेगी।

राजधानी में लगातार बढ़ा प्रदूषण, AQI बहुत खराब श्रेणी में
पिछले कई दिनों से दिल्ली और एनसीआर की हवा बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की जा रही है। कई इलाकों जैसे आनंद विहार, रोहिणी, द्वारका, आईटीओ, वजीरपुर, बीच-बीच में AQI 450 से पार चला गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। डॉक्टरों का कहना है कि यह स्तर सांस की बीमारी, आंखों में जलन, गले में खराश, अस्थमा और हार्ट पेशेंट्स के लिए बेहद खतरनाक है।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार मौजूदा समय में हवा की गति कम है, पराली का धुआं भी दिल्ली की ओर लगातार पहुंच रहा है, जिससे AQI में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है।
दिल्ली सरकार का निर्णय: आधे कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम
दिल्ली सरकार ने आपात बैठक कर बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इनमें सबसे बड़ा कदम 50% कर्मचारियों को घर से काम करने का आदेश है।
सरकार का कहना है कि—
इससे सड़क पर वाहनों की संख्या घटेगी
ट्रैफिक जाम कम होगा
कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी
ज़रूरी विभागों में कामकाज प्रभावित ना हो, इसलिए बाकी 50% कर्मचारी दफ्तर आएंगे
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह फैसला अगले कुछ दिनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा क्योंकि प्रदूषण में कमी लाने के लिए जनभागीदारी भी ज़रूरी है।
निजी कंपनियों को भी पालन की सलाह
दिल्ली सरकार ने निजी कंपनियों से भी अपील की है कि वे कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दें। आईटी कंपनियां, कॉर्पोरेट ऑफिस, कॉल सेंटर और मार्केटिंग सेक्टर की कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देना शुरू कर दिया है।
दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए अन्य बड़े फैसलों में शामिल हैं—
निर्माण कार्यों पर आंशिक प्रतिबंध
स्कूलों में आउटडोर गतिविधियों पर रोक
आवश्यक सेवाओं के लिए विशेष पास
सार्वजनिक परिवहन की संख्या बढ़ाने के लिए आदेश
सड़कों पर कम हुई भीड़, लोग राहत महसूस कर रहे
वर्क फ्रॉम होम आदेश लागू होने के बाद मुख्य सड़कों, फ्लाईओवरों और बाजारों में भीड़ कुछ हद तक कम दिख रही है। लोगों का कहना है कि हवा का स्तर भले अभी खराब हो, लेकिन वाहनों की संख्या कम होने से धुआं-कुहासा थोड़ा कम महसूस हो रहा है।
सरकार का दावा है कि यदि अगले 72 घंटों में मौसम की स्थिति में सुधार होता है तो AQI के स्तर में बदलाव देखने को मिल सकता है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण की समस्या हर साल दोहराई जाती है, इसलिए केवल मौसमी उपायों से समाधान संभव नहीं है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि—
घर से बाहर निकलते समय N95 मास्क का उपयोग करें
सुबह-शाम टहलने जैसी बाहरी गतिविधियों से बचें
अस्थमा और हार्ट पेशेंट नियमित दवाइयां साथ रखें
घर में एयर प्यूरीफायर या पौधों का इस्तेमाल करें
दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों में सांस की तकलीफ वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। कई बच्चों और बुजुर्गों में एलर्जी और खांसी की शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं।
पराली, वाहन और मौसम—कई वजहों से बिगड़ रही स्थिति
देश के प्रदूषण बोर्ड के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने की 3 मुख्य वजहें हैं—
1. पराली जलना
2. वाहनों की अधिक संख्या
3. स्थिर मौसम और हवा का न चलना
इन तीनों कारणों की वजह से हवा में PM 2.5 और PM 10 कण बहुत अधिक मात्रा में जमा हो रहे हैं, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक हैं।
सरकार का दावा—प्रदूषण कम करने के लिए हर संभव प्रयास
दिल्ली सरकार का कहना है कि वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया गया है। इसके तहत पानी का छिड़काव, मैकेनिकल स्वीपिंग, निर्माण स्थलों पर निगरानी, ट्रकों की एंट्री रोकने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
सरकार का दावा है कि यदि लोग सहयोग करें और वाहनों का उपयोग कम करें, तो प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण संकट गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है। सरकार के वर्क फ्रॉम होम जैसे फैसले निश्चित रूप से राहत देने वाले हैं। लेकिन जब तक पराली, वाहन और उद्योगों के उत्सर्जन पर प्रभावी नियंत्रण नहीं किया जाएगा, तब तक दिल्ली की हवा में स्थायी सुधार संभव नहीं है। फिलहाल सभी को मिलकर इस आपात स्थिति का सामना करना होगा और प्रदूषण नियंत्रण के लिए जिम्मेदार भूमिका निभानी होगी।
