नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। दिवाली के बाद से प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। ऐसे में अब उम्मीद की किरण नजर आ रही है। दिल्ली में जल्द ही कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) कराई जा सकती है। जानकारी के अनुसार, अगले तीन दिनों के भीतर किसी भी समय कृत्रिम वर्षा की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इसके लिए IIT कानपुर की टीम ने सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
कृत्रिम वर्षा के लिए मौसम का इंतजार
आईआईटी कानपुर की टीम ने बताया है कि कृत्रिम बारिश कराने के लिए मौसम का अनुकूल होना जरूरी है। यानी आसमान में पर्याप्त बादल होना आवश्यक है ताकि सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide) के माध्यम से बादलों से बारिश कराई जा सके। वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर में बादल बनने की संभावना बनी हुई है, और यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो अगले तीन दिनों में कृत्रिम वर्षा संभव है।
कृत्रिम बारिश से कैसे घटेगा प्रदूषण स्तर?
कृत्रिम बारिश का उद्देश्य दिल्ली की हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों (PM 2.5 और PM 10) को नीचे बैठाना है। जब बारिश होती है तो हवा में मौजूद धूल और धुएं के कण नीचे गिर जाते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता (Air Quality Index) में सुधार होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एक अच्छी बारिश से दिल्ली की हवा कुछ दिनों तक काफी हद तक साफ हो सकती है। आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार, एक बार की कृत्रिम बारिश से AQI में 150-200 अंक तक सुधार हो सकता है। यह दिल्ली जैसे शहर के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है, जहां पिछले कई दिनों से AQI 400 से 500 के बीच दर्ज किया जा रहा है।
दिल्ली सरकार और IIT कानपुर की साझेदारी
दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए IIT कानपुर के साथ यह प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस परियोजना को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) का भी समर्थन मिला है। IIT कानपुर की टीम पिछले कई महीनों से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। अब एयरक्राफ्ट तैयार है और टीम मौसम विभाग से हर घंटे की रिपोर्ट पर नजर रखे हुए है।
कौन करेगा कृत्रिम वर्षा की प्रक्रिया?
जानकारी के अनुसार, कृत्रिम बारिश के लिए एक विशेष प्रकार का एयरक्राफ्ट तैयार किया गया है। यह विमान बादलों के बीच उड़ान भरते हुए सिल्वर आयोडाइड के कणों का छिड़काव करेगा, जिससे बादलों में संघनन की प्रक्रिया शुरू होगी और बारिश बरसेगी।
IIT कानपुर के प्रोफेसर और प्रोजेक्ट प्रमुख ने बताया कि इस प्रक्रिया को ‘क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी (Cloud Seeding Technology)’ कहा जाता है। इस तकनीक का सफल प्रयोग पहले भी कई देशों जैसे चीन, अमेरिका और यूएई में किया जा चुका है। भारत में इसे पहली बार इस पैमाने पर दिल्ली में आजमाया जा रहा है।
कब और कहां होगी बारिश?
सूत्रों के अनुसार, कृत्रिम बारिश का पहला ट्रायल दिल्ली-एनसीआर के ऊपर किया जाएगा। सबसे पहले यह प्रयोग पूर्वी दिल्ली और नोएडा क्षेत्र में किया जाएगा, जहां प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा है। उसके बाद इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे दिल्ली क्षेत्र में लागू किया जाएगा। मौसम विभाग (IMD) ने भी संभावना जताई है कि 24 से 26 अक्टूबर के बीच मौसम आंशिक रूप से अनुकूल रह सकता है। यदि उस दौरान पर्याप्त बादल बने तो कृत्रिम वर्षा की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण संकट
दिल्ली में पिछले कई दिनों से वायु गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है। SAFAR के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का औसत AQI 470 तक पहुंच गया था, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। कई इलाकों जैसे आनंद विहार, पंजाबी बाग, द्वारका और आईटीओ में यह स्तर 500 से पार चला गया है। प्रदूषण के कारण स्कूलों में छुट्टियां बढ़ाई गई हैं और कई निर्माण कार्यों पर भी रोक लगा दी गई है। दिल्ली सरकार ने ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)’ का लेवल-4 लागू कर दिया है। अब कृत्रिम बारिश को इस संकट से निपटने की अंतिम उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम बारिश से अस्थायी राहत जरूर मिलेगी, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। जब तक वाहनों के उत्सर्जन, निर्माण कार्यों की धूल और पराली जलाने की समस्या पर नियंत्रण नहीं किया जाएगा, तब तक प्रदूषण पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता। IIT कानपुर के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रयोग लघु अवधि में राहत देने वाला कदम है और अगर यह सफल होता है, तो आने वाले समय में इसे बड़े पैमाने पर अपनाया जा सकता है।
जनता में उम्मीद की लहर
दिल्ली-एनसीआर के लोगों में कृत्रिम बारिश की खबर से राहत की भावना है। कई नागरिकों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अगर यह प्रयोग सफल हो गया तो प्रदूषण से राहत मिल सकती है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि सरकार को इसे नियमित तौर पर लागू करने की योजना बनानी चाहिए।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से हर कोई परेशान है। ऐसे में IIT कानपुर और दिल्ली सरकार की यह पहल राहत का संदेश लेकर आई है। अब सबकी नजरें आसमान पर हैं — जैसे ही बादल अनुकूल होंगे, दिल्ली में कृत्रिम बारिश की पहली बूंदें गिरेंगी और शायद राजधानी को फिर से स्वच्छ हवा मिल सकेगी।
