नई दिल्ली/फरीदाबाद – राजधानी दिल्ली में हाल ही में हुए ब्लास्ट मामले की जांच में केंद्रीय एजेंसियों ने एक बार फिर कार्रवाई तेज कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज सुबह तड़के हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी, दिल्ली के ओखला ऑफिस और इससे जुड़े अन्य स्थानों पर 25 ठिकानों पर व्यापक छापेमारी शुरू की। यह कदम उस समय उठाया गया है जब जांच एजेंसियां ब्लास्ट की फंडिंग, संदिग्ध लेनदेन और संभावित साजिश से जुड़े लोगों की भूमिकाओं की गहराई से जांच कर रही हैं।

सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज केस का हिस्सा है। ED की टीमें तड़के करीब 6 बजे 100 से अधिक अधिकारियों के साथ अलग-अलग स्थानों पर पहुंचीं और जांच की प्रक्रिया शुरू की। कई ठिकानों पर स्थानीय पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को भी तैनात किया गया, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों और संबंधित व्यक्तियों के परिसरों पर कार्रवाई
ED का प्राथमिक फोकस विश्वविद्यालय के ट्रस्ट, उसके प्रमुख कार्यालयों और ट्रस्टियों से जुड़े परिसरों पर है। जांच एजेंसी को संदेह है कि विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों और बाहरी व्यक्तियों की मिलीभगत से फंडिंग चैनल का गलत इस्तेमाल किया गया हो सकता है। अधिकारियों का कहना है कि छापेमारी के दौरान लेनदेन से जुड़े दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, अकाउंट बुक्स और डिजिटल डिवाइस जब्त किए जा रहे हैं। टीमों का प्रयास यह पता लगाने का है कि क्या इन परिसरों से कोई ऐसा आर्थिक लिंक जुड़ा है, जिसने दिल्ली ब्लास्ट की साजिश को समर्थन या वित्तीय मदद पहुँचाई हो।
दिल्ली के ओखला ऑफिस पर छापेमारी, कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त
दिल्ली के ओखला स्थित कार्यालय में ED की टीम ने सुबह-सुबह पहुंचकर तलाशी प्रक्रिया शुरू की। यहां से लैपटॉप, हार्ड डिस्क, मोबाइल फोन और कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों से भरे फोल्डर्स जब्त किए गए हैं। जांच एजेंसी को इस कार्यालय की गतिविधियों पर पहले से ही संदेह था। माना जा रहा है कि ब्लास्ट केस में शामिल कुछ व्यक्तियों और इस कार्यालय के बीच कुछ संपर्क बिंदु मिले थे, जिन्हें अब दस्तावेज़ी रूप में जांचा जा रहा है।
ब्लास्ट फंडिंग पर ED की नजर, NIA और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय
यह जांच स्वतंत्र रूप से नहीं बल्कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) जैसे अन्य केंद्रीय संगठनों के साथ समन्वय में की जा रही है। NIA पहले से ही इस मामले में UAPA के तहत जांच कर रही है और कई संदिग्धों से पूछताछ कर चुकी है। ED की इस कार्रवाई का प्रमुख उद्देश्य यह समझना है कि ब्लास्ट की योजना किस तरह बनाई गई, और क्या इसके लिए किसी शैक्षणिक संस्था या NGO के वित्तीय चैनलों का दुरुपयोग किया गया।
छापेमारी के दौरान मिले सुरागों पर आगे कार्रवाई संभव
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, एजेंसी ने कई ऐसे दस्तावेज और डिजिटल कंटेंट जब्त किए हैं, जिनसे आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है। कई ऐसे बैंक लेनदेन सामने आए हैं जिनमें असामान्य पैटर्न देखा गया है। छापेमारी खत्म होने के बाद ED इन सभी दस्तावेजों का फॉरेंसिक ऑडिट कराएगी और आवश्यक होने पर कुछ लोगों को पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी प्रशासन का बयान – ‘पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं’
वहीं, अल-फलाह यूनिवर्सिटी के एक प्रवक्ता ने अनौपचारिक बातचीत में बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन जांच एजेंसी को पूरा सहयोग दे रहा है। उनका कहना है कि संस्था हमेशा से कानून का पालन करती रही है और उसके किसी भी अधिकारी का किसी गैरकानूनी गतिविधि से संबंध नहीं है। हालांकि, ED की ओर से इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
स्थानीय लोगों में हलचल, सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई
छापेमारी की खबर फैलते ही फरीदाबाद और ओखला के इलाकों में हलचल बढ़ गई। कई जगह भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने बैरिकेड लगाए। स्थानीय लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों को देखकर अंदाजा लग रहा है कि मामला गंभीर है।
ब्लास्ट मामले की पृष्ठभूमि
दिल्ली में हुए ब्लास्ट ने पूरे देश को हिला दिया था। इस विस्फोट में न केवल बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ, बल्कि जांच एजेंसियों को शुरुआती जांच में कई ऐसे सुराग मिले, जिनसे यह शक मजबूत हुआ कि इसके पीछे एक संगठित मॉड्यूल सक्रिय था।
जांच में सामने आया कि इस मॉड्यूल को फंडिंग विभिन्न स्रोतों से मिल रही थी। ED इसी आर्थिक नेटवर्क को तोड़ने के लिए काम कर रही है।
आगे क्या?
छापेमारी का यह चरण अभी जारी है और ED के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जांच के आधार पर आगे कई और स्थानों पर कार्रवाई की जा सकती है। यदि विश्वविद्यालय या संबंधित संस्थाओं के खातों से कोई संदिग्ध लेनदेन साबित होता है, तो गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्की की कार्रवाई भी हो सकती है।
दिल्ली ब्लास्ट केस में ED की यह कार्रवाई बेहद अहम मानी जा रही है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी और ओखला कार्यालयों पर की गई छापेमारी से नियोजित फंडिंग और कथित गैरकानूनी गतिविधियों के नए पहलू सामने आ सकते हैं। आने वाले दिनों में इस केस में कई बड़े खुलासे होने की संभावना है।
