दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके ने एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट मोड पर ला दिया है। हालांकि अभी आधिकारिक जांच अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन इस बीच इटली के जाने-माने खोजी पत्रकार फ्रांसेस्को मारिन (Francesco Marin) का एक बड़ा दावा सामने आया है। मारिन ने कहा है कि यह विस्फोट किसी स्थानीय आपराधिक गतिविधि का नतीजा नहीं, बल्कि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की एक बहुत ही सूक्ष्म, गहरी और बहु-स्तरीय साजिश का हिस्सा है।

उनका दावा भारत की पिछली दो बड़ी घटनाओं—2019 पुलवामा हमला और उसके बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक—से जोड़कर देखा जा रहा है। मारिन का कहना है कि जैश-ए-मोहम्मद भारत की राजधानी में कई महीनों से किसी “मल्टी-स्टेज अटैक प्लान” पर काम कर रहा था। दिल्ली धमाका उसी प्लान का ट्रायल या प्रारंभिक संकेत हो सकता है।
इटली के पत्रकार का दावा—‘यह सिंगल-इंसिडेंट नहीं, एक बड़े मिशन का हिस्सा’
फ्रांसेस्को मारिन यूरोप में दक्षिण एशिया की सुरक्षा पर लिखने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने रिपोर्ट में कहा—
“दिल्ली ब्लास्ट एक प्रैक्टिकल टेस्ट जैसा दिखता है। जैश-ए-मोहम्मद 2019 के बाद से लगातार भारत में बड़े पैमाने पर एक प्रतिशोधी हमले की तैयारी कर रहा है। आतंकियों का उद्देश्य देश की राजधानी को टारगेट कर एक बड़ा संदेश देना है।”
मारिन के अनुसार, धमाके की लोकेशन—लाल किला—खुद एक प्रतीकात्मक स्थल है, जिसे अक्सर आतंकवादी संगठन भारत की सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान का प्रतीक मानते हैं। इसलिए इस जगह के पास किसी भी प्रकार का हमला या विस्फोट सुरक्षा एजेंसियों को आने वाले खतरे का संकेत दे सकता है।
धमाके से जुड़े कई सवाल—जांच एजेंसियां सतर्क
धमाका भले ही छोटा रहा हो, लेकिन इसके पीछे का पैटर्न सुरक्षा एजेंसियों को चौंका रहा है।
1. स्थान की संवेदनशीलता
लाल किला दिल्ली का सबसे हाई-प्रोफाइल और संवेदनशील इलाका माना जाता है। यहां छोटे से छोटे मूवमेंट को भी जल्द नोटिस कर लिया जाता है। ऐसे में धमाका होना कई सवाल खड़े करता है।
2. टाइमिंग संदिग्ध
रिपोर्टों के मुताबिक धमाके की टाइमिंग ऐसे समय हुई जब इलाके में भीड़ ज्यादा नहीं थी। इससे लगता है कि यह किसी बड़े हमले से पहले सिस्टम की प्रतिक्रिया जांचने की कोशिश हो सकती है।
3. मटेरियल की प्रकृति
फॉरेंसिक टीमों को मौके से जो अवशेष मिले हैं, वे कई ऐसी बातें संकेत कर रहे हैं जिन्हें स्थानीय लेवल की तकनीक से नहीं बनाया जा सकता।
मारिन के दावे में क्यों है दम? पुलवामा और बालाकोट का कनेक्शन
इटली के पत्रकार का तर्क है कि जैश-ए-मोहम्मद पिछले कई वर्षों से भारत में बड़े हमले की रणनीति पर काम कर रहा है।
पुलवामा हमला (2019)
जैश ने CRPF के काफिले को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर आतंक का प्रदर्शन किया था। उस हमले के मास्टरमाइंड पाकिस्तान में बैठे आतंकी थे।
बालाकोट एयरस्ट्राइक
भारत की बालाकोट स्ट्राइक ने जैश की बैकबोन हिला दी थी। रिपोर्टों के अनुसार, उसके बाद संगठन ने भारत के खिलाफ बदले की रणनीति शुरू कर दी।
मारिन लिखते हैं—
“2019 के बाद से जैश ने बड़ी कार्रवाई नहीं की है। यह साइलेंस एक नए हमले की तैयारी का संकेत हो सकता है।”
उनके अनुसार, दिल्ली जैसे हाई-वैल्यू टारगेट पर छोटा धमाका करना क्लासिक ‘टेस्ट अटैक’ की रणनीति होती है, जिसमें आतंकवादी संगठन बड़े हमले से पहले सुरक्षा व्यवस्था का परीक्षण करते हैं।
दिल्ली का धमाका—संयोग या संदेश?
कई सुरक्षा विशेषज्ञ इस धमाके को संयोग नहीं बल्कि संदेश मान रहे हैं। हाई-प्रोफाइल लोकेशन, सीमित नुकसान लेकिन बड़ा मनोवैज्ञानिक प्रभाव—ये पैटर्न आतंकवादी रणनीतियों से मेल खाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर धमाका जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ पाया जाता है, तो यह भारत की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बेहद महत्वपूर्ण चेतावनी होगी।
NIA और दिल्ली पुलिस की टीम कर रही है जांच तेज
जांच एजेंसियों ने इलाके के CCTV फुटेज खंगालना शुरू कर दिया है।
संदिग्धों की लिस्ट तैयार की जा रही है।
आसपास की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की जांच हो रही है।
पिछले कुछ महीनों से दिल्ली में आए विदेशी नागरिकों पर विशेष फोकस किया जा रहा है।
अगर मारिन के दावे में सत्यता मिलती है, तो यह न सिर्फ दिल्ली धमाके को बल्कि भारत की सुरक्षा पर बड़े खतरे को दर्शाता है।
क्या भारत को मिल सकता है अंतरराष्ट्रीय सहयोग?
फ्रांसेस्को मारिन का दावा होने के बाद यूरोपीय मीडिया भी इस घटना पर नजर बनाए हुए है।
क्योंकि
जैश-ए-मोहम्मद को यूरोप में भी आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
कई देशों के सुरक्षा तंत्र इस संगठन की गतिविधियों पर निगरानी रखते हैं।
संभव है कि आने वाले दिनों में इंटरपोलेशन या यूरोपीय सुरक्षा एजेंसियां भी इस संबंध में कुछ सूचनाएं साझा करें।
क्या यह बड़ी साजिश की शुरुआत है?
दिल्ली धमाका भले ही बड़ा न रहा हो, लेकिन इसके पीछे की संभावनाएं बेहद गंभीर हो सकती हैं।
इटली के पत्रकार फ्रांसेस्को मारिन का दावा जांच को नई दिशा देता है।
अगर यह सच है कि जैश-ए-मोहम्मद किसी बड़े हमले की तैयारी कर रहा है, तो भारत की सुरक्षा एजेंसियों के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो सकती है।
आने वाले कुछ दिनों में NIA और सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट इस कथित साजिश के पीछे की असल सच्चाई सामने लाएगी।
