नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है। रविवार को दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 370 दर्ज किया गया, जिससे यह देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया। सबसे खराब स्थिति जहांगीरपुरी, आनंद विहार और वजीरपुर जैसे इलाकों में रही, जहां AQI क्रमशः 389, 377 और 372 दर्ज किया गया।

दिल्ली-NCR में प्रदूषण का यह स्तर “गंभीर” श्रेणी में आता है, जो आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हालात में सांस की बीमारियों, आंखों में जलन, खांसी और थकान जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
मौसमी बदलाव और पराली जलाना मुख्य कारण
पर्यावरण विशेषज्ञों और सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान उत्तर भारत के राज्यों में पराली जलाने का है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली का धुआं हवा के साथ दिल्ली तक पहुंच रहा है।
इसके अलावा, मौसमी उतार-चढ़ाव, कम हवा की गति और तापमान में गिरावट भी प्रदूषकों को जमीन के पास रोक रही है। इस कारण धूल, धुआं और गैसें वातावरण में फंस जाती हैं, जिससे हवा जहरीली हो जाती है।
वाहनों और निर्माण गतिविधियों से भी बढ़ा बोझ
दिल्ली की सड़कों पर बढ़ते वाहनों की संख्या प्रदूषण का एक और बड़ा कारण है। पेट्रोल और डीजल वाहनों से निकलने वाला धुआं नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन पार्टिकुलेट्स का स्तर बढ़ाता है।
साथ ही, निर्माण कार्यों और औद्योगिक इकाइयों से उड़ती धूल, कोयले से चलने वाले बॉयलर, और सड़कों पर जमी मिट्टी भी वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है। हालांकि सरकार ने निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन और धूल रोकने के आदेश दिए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका पालन पूरी तरह नहीं हो पा रहा।
लोगों पर असर — सांसों पर भारी जहरीली हवा
वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर देखा जा रहा है। दिल्ली के अस्पतालों में सांस की समस्या, अस्थमा और आंखों में जलन की शिकायतें बढ़ गई हैं।
AIIMS के फेफड़े रोग विशेषज्ञ डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है —
“AQI जब 300 से ऊपर जाता है, तो यह फेफड़ों पर सीधा हमला करता है। लंबे समय तक ऐसे प्रदूषण के संपर्क में रहना, हृदय रोगों और स्ट्रोक जैसी बीमारियों को बढ़ावा दे सकता है।”
सरकार और आयोग की सख्ती — स्कूल बंद करने पर विचार
कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने दिल्ली सरकार को प्रदूषण से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण को लागू किया जा चुका है, जिसके तहत
निर्माण गतिविधियों पर रोक,
ट्रकों की एंट्री पर प्रतिबंध,
और डीजल जनरेटर बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।
दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और ऑड-ईवन स्कीम लागू करने पर भी विचार शुरू कर दिया है।
कुछ स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस की संभावना पर चर्चा हो रही है ताकि बच्चों को जहरीली हवा से बचाया जा सके।
विशेषज्ञों की सलाह — अपनाएं ‘5-2-1-0’ हेल्थ फॉर्मूला
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को घरों में रहने और “5-2-1-0” फॉर्मूला अपनाने की सलाह दी है —
5: दिन में कम से कम 5 बार गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज करें।
2: दो घंटे तक बाहर जाने से बचें जब AQI गंभीर हो।
1: हर दिन 1 घंटा व्यायाम घर के अंदर करें।
0: बाहर की धूल-मिट्टी और धुएं से सीधा संपर्क शून्य रखें।
इसके अलावा, एन95 मास्क, एयर प्यूरीफायर, और ग्रीन पौधों का उपयोग भी मददगार साबित हो सकता है।
कब सुधरेगी हवा?
मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, अगले दो से तीन दिनों में हल्की हवा चलने की संभावना है, जिससे प्रदूषण के स्तर में कुछ गिरावट आ सकती है। हालांकि जब तक पराली जलाने की घटनाएं पूरी तरह नहीं रुकतीं, तब तक दिल्ली को राहत मिलना मुश्किल है।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण को काबू में रखने के लिए केवल अल्पकालिक उपाय नहीं, बल्कि दीर्घकालिक नीतियों की जरूरत है — जैसे स्वच्छ ईंधन, हरियाली बढ़ाना और सार्वजनिक परिवहन में सुधार।
दिल्ली-NCR में प्रदूषण अब केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि स्वास्थ्य आपातकाल का रूप ले चुका है। सरकार, समाज और नागरिकों — सभी को मिलकर इस संकट से निपटना होगा। जब तक प्रदूषण के स्रोतों पर कड़ाई से अंकुश नहीं लगाया जाएगा, तब तक दिल्ली की सांसें यूं ही बोझिल रहेंगी।
