दिल्ली-एनसीआर, 18 नवंबर 2025 — दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का संकट गहराता जा रहा है। मंगलवार की सुबह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, शहर का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 341 दर्ज किया गया, जो “बेहद खराब” श्रेणी में है। विशेष रूप से बवाना और जहांगीरपुरी जैसे इलाकों में यह मापदंड 400 के पार, यानी ‘गंभीर’ स्तर तक पहुँच चुका है।

घनी धुंध और दृश्यता में कमी
दिल्ली के ऊपर एक मोटी धुंध की चादर छाई हुई है, जिससे सुबह-सुबह दृश्यता बहुत कम हो गई है। कई इलाकों में इमारतें, पेड़ और सड़कें धुंध में अस्पष्ट नज़र आ रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि मौसमी बदलाव — जैसे ठंडी हवाएँ, कम वायु गति और नमी — धुंध को जमीन के करीब ‘फँसाने’ में सहायक हो रही हैं। साथ ही, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएँ भी प्रदूषण को और बढ़ा रही हैं।
मापक स्टेशन और गंभीरता
CPCB की रिपोर्ट के अनुसार, NCR के कई एयर क्वालिटी मापक स्टेशन गंभीर स्तर पहुँचे हैं। बवाना में AQI 427, जहांगीरपुरी में 407, नरेला में 406, रोहिणी में 404 और वज़ीरपुर में भी हानिकारक स्तर दर्ज किया गया है।
इसके बावजूद, दिल्ली में GRAP (Graded Response Action Plan) Stage-III जारी है — जो कि प्रदूषण नियंत्रण के कड़े कदमों का संकेत है।
स्वास्थ्य खतरों की चेतावनी
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस स्तर की वायु प्रदूषण गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है। सांस की तकलीफ, कफ, आंखों की जलन, खांसी जैसी परेशानी आम हो सकती हैं, खासकर उन लोगों में जिनको पहले से श्वसन संबंधी बीमारी है।
इसके अलावा, लंबे समय तक ऐसे “गंभीर” AQI स्तर पर रहने से फेफड़ों और हृदय के रोगों का खतरा बढ़ सकता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रदूषण की यह स्थिति शहर में कई नीतिगत और प्रशासनिक कदमों को प्रेरित कर रही है। GRAP III के अंतर्गत, गैर-आवश्यक निर्माण गतिविधियों पर पाबंदी, पुराने पेट्रोल-डीजल वाहनों पर निगरानी, और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने जैसी व्यवस्थाएँ लागू की जाती हैं।
इसके अलावा, कुछ इलाकों में एंटी-स्मॉग गन की मदद से पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
नागरिकों को सलाह और सावधानियाँ
विशेषज्ञों ने लोगों से बाहर जाते समय मास्क (विशेषकर N95 या उससे बेहतर) पहनने की सलाह दी है।
प्रदूषण के उच्च स्तर वाले इलाकों में संभावना है कि बच्चों, बुजुर्गों और रोगग्रस्त व्यक्तियों को घर के अंदर रहना चाहिए।
खिड़कियों और दरवाज़ों को बंद रखना, एयर प्यूरीफायर या इनडोर पौधे (जो हानिकारक पार्टिकुलेट्स को कुछ हद तक फ़िल्टर कर सकें) रखना, सहायक हो सकता है।
प्रशासन को भी चाहिए कि वे रिपोर्टिंग और निगरानी बढ़ाएँ, प्रदूषण स्रोतों की पहचान और उनके निवारण में तेजी लाएँ।
आगे की दिशा और चुनौतियाँ
हालाँकि GRAP III जैसी योजनाएँ लागू हैं, लेकिन समस्या जमीनी स्तर पर गहराई तक फैली हुई है। पराली जलाने वाले राज्यों में नियंत्रण, शहरी धूल उत्सर्जन, यातायात नियंत्रण और निर्माण धूल — ये सब मिलकर प्रदूषण की जड़ हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का तर्क है कि सिर्फ़ समयबद्ध और सख़्त नियम ही समस्या को जड़ से नहीं मिटा सकते। उन्हें कहना है कि दीर्घकालिक रणनीति में स्थायी उर्जा विकल्पों को बढ़ावा देना, सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहनों को मजबूत करना, और सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। दिल्ली-एनसीआर इस वक्त एक जहरीली धुंध में घिरी हुई है, और AQI 400 से ऊपर पहुंचने वाले इलाकों की संख्या चिंता का विषय है। यह न केवल पर्यावरण संकट है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी गंभीर चुनौती है।
नागरिकों, प्रशासन और नीति-निर्माताओं को मिलकर इस संकट का सामना करना होगा — ताकि हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सके और लोग सुरक्षित, स्वस्थ जीवन जी सकें।
