दिल्ली-NCR एक बार फिर जहरीली हवा की चपेट में है। हर साल सर्दी के मौसम में बढ़ने वाला वायु प्रदूषण इस बार भी अपने चरम पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। शुक्रवार सुबह से ही राजधानी में घने कोहरे और धुंध की चादर देखने को मिली, जिसने पूरा आकाश धूसर कर दिया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 435 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। कई इलाकों में प्रदूषण इससे भी अधिक रिकॉर्ड किया गया, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है।

राजधानी में वायु प्रदूषण कोई नई समस्या नहीं है, लेकिन इस वर्ष बढ़ते तापमान अंतर, ठंडी हवाओं में कमी, पराली जलाने की घटनाएं और निर्माण कार्यों के धूलकणों ने मिलकर स्थिति को और विकराल बना दिया है। सुबह-सुबह दृश्यता कम होने से वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ गई और कई जगह जाम की स्थिति भी बनी। धुंध के कारण आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत जैसे मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
AQI 400 के पार—‘आपातकाल जैसी स्थिति’
विशेषज्ञों के अनुसार, जब AQI 400 के पार चला जाता है, तो यह स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी हानिकारक होता है। बच्चे, बुजुर्ग और दमा, हृदय रोग या एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक मानी जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि इतनी जहरीली हवा का असर लंबे समय तक रहने पर फेफड़ों की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है।
दिल्ली के कई इलाकों—जैसे आनंद विहार, अलीपुर, वजीरपुर, ओखला, रोहिणी और बवाना—में AQI 450 से भी ऊपर चला गया। कुछ स्टेशनों ने 480–490 तक की रीडिंग दर्ज की, जो ‘जीवन को खतरे’ वाली श्रेणी में मानी जाती है।
कोहरा या स्मॉग?—लोगों में भ्रम
सुबह राजधानी में फैला घना कोहरा वास्तव में मुख्य रूप से ‘स्मॉग’ था—जो धुएं और धुंध का मिश्रण होता है। यह प्रदूषण का ही परिणाम है, लेकिन आम लोगों के लिए समझना मुश्किल हो जाता है कि असली धुंध कौन-सी है। विजिबिलिटी कम होने से यातायात पर भी असर पड़ा। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे, नोएडा लिंक रोड और आउटर रिंग रोड पर वाहनों को हेडलाइट जलाकर चलना पड़ा।
मौसम विभाग के अनुसार, तापमान में गिरावट और हवा की गति कम होने के कारण प्रदूषक जमीन के पास ही जमते जा रहे हैं। आने वाले दो दिनों में हवा की दिशा और गति में बदलाव होने की संभावना कम है, जिसका मतलब है कि प्रदूषण अभी और बना रह सकता है।
दिल्ली सरकार अलर्ट पर, GRAP-III लागू
वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार और पर्यावरण विभाग ने पूरे NCR में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP-III) लागू कर दिया है। इसके तहत कई सख्त कदम उठाए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
निर्माण और विध्वंस कार्यों पर रोक
ईंट-भट्टों, स्टोन क्रशर और हॉट-मिक्स प्लांटों का संचालन बंद
प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की निगरानी तेज
सड़क पर पानी का छिड़काव और एंटी-स्मॉग गन का प्रयोग
औद्योगिक इकाइयों पर निगरानी
सरकार का कहना है कि हालात काबू में लाने के लिए और भी कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही, लोगों से अपील की गई है कि वे निजी वाहनों का कम इस्तेमाल करें और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को प्राथमिकता दें।
स्कूलों पर भी असर
प्रदूषण में बढ़ोतरी को देखते हुए शिक्षा विभाग भी सतर्क हो गया है। कई निजी स्कूलों ने अस्थायी रूप से ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था शुरू कर दी है। कुछ स्कूलों ने छात्रों को घर से पढ़ने की सलाह देते हुए खेल गतिविधियों को रोक दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे प्रदूषण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं और उनके फेफड़ों का विकास भी प्रभावित होता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह
फेफड़े और हृदय रोग विशेषज्ञों ने इस स्थिति को अत्यंत गंभीर बताया है। उनका सुझाव है कि लोग ऐसे दिनों में सुबह-शाम बाहर निकलने से बचें, खासकर खुली जगह पर व्यायाम से परहेज करें। मास्क पहनना अनिवार्य बताया गया है, खासकर N95 या N99 जैसे फिल्टर मास्क, जो छोटे कण PM2.5 को रोक सकते हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषित हवा शरीर में सूजन बढ़ाती है, जिससे श्वसन रोग बढ़ जाते हैं। वे लोगों को अधिक पानी पीने, विटामिन-C और एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त आहार लेने की सलाह देते हैं।
आगे क्या?—स्थायी समाधान की जरूरत
हर साल प्रदूषण की यह समस्या सिर उठाती है, लेकिन स्थायी समाधान अभी भी दूर की कौड़ी लगता है। पराली जलाने की घटनाओं, दिल्ली की घनी आबादी, लाखों वाहनों, धूल और औद्योगिक उत्सर्जन ने मिलकर राजधानी की हवा को बेहद विषाक्त बना दिया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके लिए बेहतर नीति, तकनीक, और लोगों के सहयोग की जरूरत है।
फिलहाल, दिल्ली-NCR के निवासियों को सावधानी व सतर्कता ही बचाव है। मौसम विभाग ने साफ किया है कि आने वाले दिनों में वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद कम है। ऐसे में, निवासियों को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।
