दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर से सांसों पर बोझ बन गई है। रविवार सुबह केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 305 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ कैटेगरी में आता है। लगातार कई दिनों से प्रदूषण का स्तर ऊँचा बना हुआ है और कई स्थानों पर हालत इससे भी बदतर हैं। बवाना, मुंडका, नरेला, वजीरपुर और आनंद विहार जैसे इलाकों में AQI “350 से 380” के बीच रिकॉर्ड किया गया, जिससे लोगों में स्वास्थ्य जोखिम बढ़ने की आशंका और ज्यादा बढ़ गई है।

दिल्ली में नवंबर-दिसंबर का समय अक्सर प्रदूषण के चरम के लिए जाना जाता है, लेकिन इस वर्ष प्रदूषण स्तर सामान्य से ज्यादा खतरनाक बना हुआ है। मौसम में ठंड बढ़ने, हवा की रफ्तार कम होने, नमी बढ़ने और वाहन-औद्योगिक गतिविधियों में कोई खास कमी न आने जैसे कारक हवा को और अधिक जहरीला बना रहे हैं। इसी वजह से राजधानी की हवा में धुंध और स्मॉग की परत लगातार घिरी हुई दिखाई दे रही है।
सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में हालात गंभीर
दिल्ली के बाहरी इलाकों में AQI 350+ बना हुआ है जो स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक बेहद खतरनाक श्रेणी मानी जाती है।
बवाना – AQI लगभग 370
मुंडका – AQI 360–380
नरेला – AQI 350+
वजीरपुर – AQI 345–360
आनंद विहार – AQI 330–350
इन इलाकों में धूल, औद्योगिक उत्सर्जन और ट्रैफिक प्रदूषण की वजह से हालात और खराब हो जाते हैं। सुबह-शाम स्मॉग की मोटी चादर छाई रहती है, जिससे दृश्यता भी कम हो जाती है।
दिल्ली का औसत AQI 305… इसका मतलब?
AQI का 300+ होना किसी भी शहर के लिए गंभीर स्थिति मानी जाती है।
0–50 → अच्छा
51–100 → संतोषजनक
101–200 → मध्यम
201–300 → खराब
301–400 → बेहद खराब
400–500+ → गंभीर
इस समय दिल्ली “बेहद खराब” कैटेगरी में है, जिसका प्रभाव बच्चों, बुजुर्गों और सांस-हृदय रोग से पीड़ित लोगों पर तेजी से पड़ता है।
लोगों में बढ़ रही स्वास्थ्य दिक्कतें
दिल्ली-NCR के अस्पतालों में भी प्रदूषण के प्रभाव स्पष्ट दिख रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार:
खांसी, जुकाम और गले में खराश के मामले बढ़े हैं
सांस फूलने और अस्थमा के मरीजों की संख्या में तेजी आई है
आंखों में जलन और सिरदर्द आम शिकायत बन गया है
जो लोग पहले से हृदय संबंधी बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है
विशेषज्ञों का कहना है कि AQI 300 से ऊपर होने पर लंबे समय तक खुले में रहने से फेफड़ों पर बुरा असर पड़ सकता है और सांस संबंधी रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
स्कूलों में हवा की निगरानी, कई बाहरी गतिविधियाँ रोकी गईं
प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए कई निजी स्कूलों ने बच्चों की आउटडोर गतिविधियाँ बंद कर दी हैं। कुछ स्कूलों ने एयर प्यूरीफायर वाले क्लासरूम में विशेष सत्र आयोजित किए हैं, वहीं कुछ स्थानों पर हाफ-डे की भी चर्चा चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि हवा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आने पर अतिरिक्त कदम उठाने पड़ सकते हैं।
सरकारी एजेंसियां सतर्क, पर प्रभाव सीमित
दिल्ली सरकार और नगर निगम ने प्रदूषण नियंत्रण को लेकर कई कदम उठाए हैं जैसे:
पानी का छिड़काव
धूल नियंत्रण मशीनों का इस्तेमाल
निर्माण स्थलों पर सख्ती
औद्योगिक इकाइयों पर निगरानी
कचरा जलाने पर प्रतिबंध
लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि हवा की कम रफ्तार और ठंड की वजह से ये कदम पर्याप्त परिणाम नहीं दे रहे हैं। हवा ठहरी रहती है, जिससे प्रदूषण ऊपर उठकर फैल नहीं पाता और जमीन के करीब जमा हो जाता है।
दिल्ली-NCR के अन्य शहरों का हाल भी बेहाल
दिल्ली के अलावा गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी हवा बेहद खराब स्थिति में पहुँच चुकी है।
गाजियाबाद – AQI 320
नोएडा – AQI 310–330
गुरुग्राम – AQI 280–300
फरीदाबाद – AQI 310
नोएडा और गाजियाबाद में भी औद्योगिक क्षेत्र और हाई-ट्रैफिक जोन प्रदूषण के प्रमुख स्रोत रहे।
आगे क्या? मौसम विभाग ने दी चेतावनी
आईएमडी के अनुसार अगले 3–4 दिनों तक हवा में खास सुधार की उम्मीद नहीं है।
हवा की रफ्तार कम बनी रहेगी
तापमान गिरता रहेगा
सुबह-शाम धुंध और गहरा स्मॉग रहेगा
हवा की गुणवत्ता में सुधार तभी संभव है जब हवा की रफ्तार बढ़ेगी या पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से हल्की बूंदाबांदी होगी।
विशेषज्ञों ने दी यह सलाह
1. सुबह-शाम बाहर निकलने से बचें
2. N95 मास्क जरूर पहनें
3. घर में एयर-प्यूरीफायर का उपयोग करें
4. बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों को बाहर न ले जाएँ
5. पानी अधिक पिएँ, भाप लें
6. पौधों और पानी छिड़काव से घर-ऑफिस में धूल कम करें
दिल्ली-NCR में बढ़ता प्रदूषण एक बार फिर चिंता का गंभीर विषय बन गया है। सरकारी उपायों के बावजूद हवा की गुणवत्ता तेजी से खराब हो रही है और लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। अगर हवा की रफ्तार में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में हालात और गंभीर हो सकते हैं। फिलहाल लोगों को सावधानी बरतते हुए स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देने की ज़रूरत है।
