दिल्ली-NCR एक बार फिर से प्रदूषण की गिरफ्त में है। नवंबर की शुरुआत के साथ ही राजधानी पर धुंध की मोटी परत छा गई है। सोमवार सुबह दिल्लीवासियों ने जब आंखें खोलीं, तो चारों ओर धुंध और स्मॉग की परत नजर आई। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के आंकड़े डराने वाले हैं — आनंद विहार में AQI 371 दर्ज किया गया, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आता है। वहीं, शहर के अन्य इलाकों जैसे आईटीओ, द्वारका, रोहिणी और नरेला में भी वायु गुणवत्ता 350 से 400 के बीच दर्ज की गई।
राष्ट्रीय राजधानी में जहरीली हवा के कारण लोगों का दम घुटने लगा है। डॉक्टरों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह प्रदूषण का स्तर स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए।
धुंध और स्मॉग से ढकी दिल्ली
दिल्ली के आसमान में छाई धुंध ने दृश्यता को भी काफी कम कर दिया है। वाहन चालकों को सुबह के समय ट्रैफिक में परेशानी झेलनी पड़ी। कई जगहों पर वाहन धीमी रफ्तार से चलते दिखे। मौसम विभाग ने बताया कि हवा की गति कम होने और तापमान गिरने के कारण प्रदूषक तत्व वायुमंडल में फंसे रह जाते हैं, जिससे स्मॉग की परत बन जाती है।
NCR के शहरों की भी हालत खराब
सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी हवा जहरीली हो चुकी है।
नोएडा सेक्टर-62 में AQI 358
गाजियाबाद में AQI 364
गुरुग्राम में AQI 341
फरीदाबाद में AQI 352
ये सभी क्षेत्र “बहुत खराब” श्रेणी में शामिल हैं।
डॉक्टरों की सलाह
दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों जैसे AIIMS, सफदरजंग और गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने नागरिकों को प्रदूषण से बचने की सलाह दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सुबह की सैर या जॉगिंग से फिलहाल परहेज करें। बच्चों और बुजुर्गों को बिना जरूरत घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना हो तो N-95 मास्क जरूर पहनें।
AIIMS के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर अरुण कुमार ने कहा, “वायु प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियों में इजाफा देखा जा रहा है। अस्पतालों में खांसी, गले में खराश और आंखों में जलन की शिकायतें बढ़ गई हैं। ये शुरुआती संकेत हैं कि हवा में जहरीले कणों की मात्रा सामान्य से कई गुना ज्यादा है।”
वाहनों और पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में बढ़ते AQI का मुख्य कारण वाहन उत्सर्जन और पराली जलाना है। पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं अभी भी जारी हैं। NASA के सैटेलाइट डेटा में पिछले 24 घंटों में सैकड़ों पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं।
दिल्ली सरकार ने “ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)” के तहत कई कदम उठाए हैं। निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई है, डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है और स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेज पर विचार करने के निर्देश दिए गए हैं।
दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा, “सरकार प्रदूषण कम करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। सड़कों पर पानी का छिड़काव जारी है, एंटी-स्मॉग गन चलाए जा रहे हैं और वाहन उत्सर्जन पर सख्ती से नजर रखी जा रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “लोगों को भी जिम्मेदारी निभानी होगी। कार पूलिंग करें, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग बढ़ाएं और प्रदूषण फैलाने वाले कार्यों से बचें।”
लोगों की परेशानियां बढ़ीं
राजधानी में जहरीली हवा का असर लोगों के स्वास्थ्य पर दिखने लगा है। आंखों में जलन, सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत और गले में खराश जैसी शिकायतें आम हो गई हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों और ऑफिस जाने वालों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है।
द्वारका निवासी पूजा शर्मा बताती हैं, “सुबह बच्चों को स्कूल भेजना मुश्किल हो गया है। मास्क लगाने के बावजूद आंखों में जलन और खांसी बनी रहती है।”
विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्रदूषण का स्तर लगातार इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में स्थिति और भयावह हो सकती है। प्रदूषण न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और कैंसर जैसी समस्याओं का खतरा भी बढ़ाता है।
समाधान की जरूरत
विशेषज्ञों का सुझाव है कि दीर्घकालिक समाधान के लिए सरकार, उद्योग और आम नागरिकों को मिलकर प्रयास करना होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ाना, हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना और पेड़ों की संख्या बढ़ाना ही स्थायी समाधान हैं।
दिल्ली-NCR में प्रदूषण एक मौसमी समस्या नहीं, बल्कि जीवनशैली से जुड़ी चुनौती बन चुकी है। जब तक सामूहिक जिम्मेदारी के साथ कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक हर सर्दी राजधानी के लोगों के लिए “जहरीली हवा” की सौगात लेकर आएगी।
