दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का संकट एक बार फिर भयावह रूप ले रहा है। राजधानी के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार पहुंच चुका है, जो सीधे तौर पर ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इस स्तर की हवा लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालती है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर। सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन, खांसी और सीने में भारीपन जैसी समस्याएँ लगातार बढ़ रही हैं।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पिछले सप्ताह से हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है। मौसम विभाग का कहना है कि हवा की गति कम होने और तापमान में गिरावट के कारण प्रदूषकों का फैलाव नहीं हो पा रहा है। इससे धुएं और धूल का मिश्रण जमीन के करीब जमा हो रहा है, जिसके कारण पूरी दिल्ली-एनसीआर एक मोटी धुंध की परत में ढकी हुई दिखाई दे रही है।
सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के आनंद विहार, बवाना, मुंडका, रोहिणी, पटपड़गंज, आईटीओ और द्वारका सेक्टर-8 जैसे क्षेत्रों में AQI लगातार 420 से 450 के बीच दर्ज किया गया है। उधर, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुकी है।
नोएडा सेक्टर-62 में AQI 430, जबकि गाजियाबाद के इंदिरापुरम में 415 दर्ज किया गया। गुरुग्राम के झारसा रोड और सेक्टर-51 में AQI 400 के पास बना हुआ है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की हवा में कुछ मिनट भी बाहर रहना शरीर पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, हवा में PM2.5 और PM10 कणों का स्तर अत्यधिक बढ़ गया है, जो सीधे फेफड़ों के भीतर जाकर खून में मिल सकते हैं।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर हवा की गुणवत्ता में जल्द सुधार नहीं हुआ, तो अस्पतालों में सांस, अस्थमा, एलर्जी व हृदय रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है।
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों को सुबह की सैर, खेलकूद और स्कूल बस स्टॉप पर अधिक समय खड़े रहने से बचाना जरूरी है। वहीं बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए मास्क पहनना और बाहर निकलने से पहले सावधानियाँ बरतना अनिवार्य है।
सरकार के प्रयास और GRAP-4 लागू होने की संभावना
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन बढ़ते AQI ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण के तहत पहले ही निर्माण कार्यों, सड़कों पर पानी का छिड़काव और डस्ट कंट्रोल जैसे उपाय लागू हैं। अगर प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो GRAP-4 लागू करने पर विचार किया जा सकता है, जिसके तहत दिल्ली में ट्रकों की एंट्री रोक दी जाएगी, स्कूल बंद करने तक का फैसला लिया जा सकता है और डीजल गाड़ियों की आवाजाही सीमित हो सकती है। दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि प्रदूषण कम करने के लिए PUSA द्वारा विकसित बायो-डीकंपोजर का बड़े पैमाने पर छिड़काव किया गया है, जिससे पराली जलाने की घटनाओं में कुछ कमी आई है। फिर भी, हवा की गुणवत्ता में खास सुधार नहीं है।
लोगों को जारी की गई सलाह
प्रदूषण बढ़ने के बाद दिल्ली सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है।
N95 या N99 मास्क पहनकर बाहर निकलें
सुबह-शाम के समय बाहर जाने से बचें
घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें
बच्चों और बुजुर्गों को प्रदूषित हवा से दूर रखें
आंखों में जलन हो तो ठंडे पानी से धोएं
सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
वहीं, स्कूलों ने भी बच्चों के लिए आउटडोर एक्टिविटी रोक दी है और अभिभावकों से अपने बच्चों को सावधानी बरतने की अपील की है।
सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी और राज्यों पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में लगातार बिगड़ती हवा को लेकर केंद्र और राज्यों को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ विज्ञापन और बयान देने से हवा साफ नहीं होगी, बल्कि वास्तविक कार्रवाई की जरूरत है।
कोर्ट ने राज्यों से पूछा कि जब पराली जलाना प्रतिबंधित है, तो पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में इसे रोका क्यों नहीं जा पा रहा? कोर्ट ने सरकारों को निर्देश दिया है कि वे प्रदूषण नियंत्रण उपायों को युद्धस्तर पर लागू करें और लोगों को राहत दिलाएं।
लोगों की मुश्किलें बढ़ीं
प्रदूषण के कारण लोगों के दैनिक जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। कई लोग सुबह उठते ही गले में खराश और सिरदर्द की शिकायत कर रहे हैं। ऑफिस जाने वाले कर्मचारियों को सड़क पर धुंध और धुएं के कारण विज़िबिलिटी कम होने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ऑटो-ड्राइवर और डिलीवरी वर्कर्स जैसे रोज़ाना सड़क पर रहने वाले लोगों के लिए यह स्थिति और भी जोखिमभरी है। उनका कहना है कि प्रदूषण के कारण आंखों में जलन और सांस फूलने जैसे लक्षण बढ़ गए हैं।
आगे का रास्ता क्या?
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक हवा की गति नहीं बढ़ती और तापमान में बदलाव नहीं होता, तब तक हवा की गुणवत्ता में विशेष सुधार की उम्मीद नहीं है। सरकारें चाहे जितनी कार्रवाई कर लें, लेकिन प्रदूषण के समाधान के लिए दीर्घकालिक नीति की आवश्यकता है। लोगों को भी निजी स्तर पर प्रदूषण कम करने में योगदान देना होगा—जैसे वाहनों का कम इस्तेमाल, कचरा जलाने से बचना, पेड़ लगाना और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ाना।
