दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण लगातार खतरनाक स्तर पर पहुंचता जा रहा है। बीते 48 घंटों में कई इलाकों में AQI 500 के पार दर्ज किया गया, जिसे वायु गुणवत्ता का ‘गंभीर एवं आपात’ स्तर माना जाता है। GRAP-3 के तहत लागू किए गए कड़े प्रतिबंधों के बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। दिल्ली के सोनिया विहार, वज़ीरपुर, आनंद विहार, पंजाबी बाग, नोएडा सेक्टर-62 और गाजियाबाद के इंदिरापुरम जैसे क्षेत्रों में हवा में ज़हरीले कणों की मात्रा बेहद उच्च स्तर पर रिकॉर्ड की गई।

खतरनाक स्तर पर पहुंचा AQI
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर हर सर्दी में बढ़ता है, लेकिन इस बार हालात और भी खराब दिख रहे हैं। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के मुताबिक, कुछ इलाकों में AQI 520 तक पहुंच गया है। यह स्तर बेहद चिंताजनक है, क्योंकि 400 से ऊपर का AQI ‘गंभीर’ माना जाता है, जो सांस की बीमारी, हृदय रोग और फेफड़ों पर तुरंत प्रभाव डालता है। इसके बावजूद लोगों की दिनचर्या बदस्तूर जारी है, जिससे स्वास्थ्य जोखिम और बढ़ रहे हैं।
GRAP-3 लागू, लेकिन प्रदूषण पर असर नगण्य
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के साथ ही सरकार ने GRAP-3 यानी Graded Response Action Plan के तीसरे चरण को लागू कर दिया है। इसमें निम्नलिखित पाबंदियां लगाई गई हैं—
निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर रोक
ईंट भट्ठों, स्टोन क्रशर, हॉट मिक्स प्लांट बंद
सड़कों पर मैकेनिकल स्वीपिंग और पानी का छिड़काव
सरकारी विभागों में डीज़ल वाहनों की आवाजाही नियंत्रित
कुछ औद्योगिक गतिविधियों पर पाबंदी
इसके बावजूद ज़मीनी हालात में सुधार देखने को नहीं मिला है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय कारक (vehicular pollution, road dust, industrial emission) और बाहरी कारक (पंजाब-हरियाणा में पराली जलाना, मौसम की स्थिति, ठंडी हवा का जमाव) दोनों इस बदतर स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।
सोनिया विहार और वज़ीरपुर में हवा सबसे जहरीली
रिपोर्ट्स के अनुसार:
सोनिया विहार में AQI 510
वज़ीरपुर में AQI 515
आनंद विहार में AQI 505
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में AQI 480–500
इन इलाकों में हवा में PM 2.5 कणों की मात्रा सामान्य सीमा से 10 से 15 गुना अधिक पाई गई। ये अत्यंत सूक्ष्म कण फेफड़ों के अंदर गहराई तक जा सकते हैं और बच्चों, बुजुर्गों तथा अस्थमा मरीजों के लिए तुरंत खतरा पैदा करते हैं।
स्वास्थ्य पर सीधा असर
डॉक्टर्स का कहना है कि पिछले सप्ताह में सांस की बीमारी, एलर्जी, खांसी और आंखों में जलन की शिकायतों में 30–40% तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। AIIMS और LNJP अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, ऐसे वक्त में बच्चों और बुजुर्गों का बाहर निकलना बेहद जोखिम भरा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दिए प्रमुख निर्देश:
बाहर निकलते समय N95 मास्क का उपयोग करें
सुबह–शाम की सैर या आउटडोर एक्सरसाइज से बचें
घरों में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें
पानी भरपूर पीएं ताकि शरीर डिटॉक्स बना रहे
बच्चों को अनावश्यक बाहर न जाने दें
प्रदूषण के बढ़ने के मुख्य कारण
प्रदूषण विशेषज्ञों के अनुसार, उच्च AQI स्तर का कारण कई कारकों का मिश्रण है:
1. पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी
2. ठंडी हवा और कम वायु प्रवाह के कारण प्रदूषक नीचे जमना
3. वाहनों से बढ़ता धुआं
4. निर्माण गतिविधियों से उड़ने वाली धूल
5. औद्योगिक क्षेत्रों में उत्सर्जन
दिल्ली सरकार समय-समय पर ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’, ‘ऑड-ईवन’, और ‘स्कूल बंद’ जैसे उपाय भी लागू करती है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक नीति और कठोर क्रियान्वयन बेहद जरूरी है।
लोगों में बढ़ती चिंता — क्या होगा आगे?
लोगों में प्रदूषण को लेकर चिंता बढ़ रही है। सोशल मीडिया पर दिल्ली की वायु गुणवत्ता को लेकर लगातार बहस जारी है। कई संगठनों ने सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है, जबकि आम जनता को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हवा की दिशा और मौसम में बदलाव से राहत मिल सकती है।
मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, अगले 72 घंटों में प्रदूषण स्तर में मामूली सुधार की संभावना है, लेकिन बड़े बदलाव के आसार अभी नहीं हैं।
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण सिर्फ एक मौसमी समस्या नहीं बल्कि एक बड़ी स्वास्थ्य आपात स्थिति बन चुका है। GRAP-3 के बावजूद अगर हालात नहीं सुधरते, तो आने वाले दिनों में GRAP-4 भी लागू किया जा सकता है, जिसमें स्कूल बंद, ट्रकों की एंट्री रोकने से लेकर कई और कड़े कदम शामिल हैं। फिलहाल जनता को सावधानी बरतने और सरकारों को दीर्घकालिक समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
