दिल्ली-NCR में प्रदूषण का संकट लगातार गहराता जा रहा है। पूरी राजधानी इस समय जहरीली धुंध की मोटी चादर में लिपटी हुई है। बवाना और रोहिणी जैसे औद्योगिक व घनी आबादी वाले इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। औसत AQI 359 तक पहुंच गया है, जिससे साफ है कि राजधानी की हवा बेहद विषाक्त हो चुकी है। सुबह से लेकर रात तक आसमान में घनी स्मॉग लेयर नजर आ रही है, जिसने लोगों की दिनचर्या और सेहत दोनों पर बुरा असर डाला है।

दिल्ली में छाया जहरीला स्मॉग—दृश्यता भी कम
दिल्लीवासियों ने सोमवार सुबह भी जहरीले वातावरण के साथ दिन की शुरुआत की। धुंध की मोटी परत के कारण कई क्षेत्रों में दृश्यता कम हो गई। हाईवे और मुख्य सड़कों पर वाहन चालकों को हेडलाइट्स जलाकर चलना पड़ा। मौसम विभाग के अनुसार हवा की रफ्तार बेहद कम है, जिसके कारण प्रदूषक तत्व जमीन के करीब जमा हो रहे हैं और स्मॉग लेयर और घनी बनती जा रही है।
बवाना और रोहिणी में AQI 400 के पार
बवाना और रोहिणी दिल्ली के उन इलाकों में शामिल हैं जहां प्रदूषण का स्तर लगातार कई दिनों से खतरनाक बना हुआ है।
बवाना का AQI 410 दर्ज किया गया, जो गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
रोहिणी में AQI 402 तक पहुंच गया, जबकि आसपास के इलाकों में भी हवा बेहद जहरीली रही।
इन क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियां, कचरा जलाने की घटनाएं और ट्रैफिक प्रदूषण मुख्य कारण बताए जा रहे हैं।
दिल्ली की औसत AQI: 359
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली का समग्र AQI 359 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और बीमार व्यक्तियों के लिए।
स्कूलों और ऑफिसों पर असर
प्रदूषण स्तर बढ़ने के बाद कई निजी स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी हैं।
कई बच्चों में सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और खांसी की शिकायतें बढ़ रही हैं।
कुछ कार्यालयों ने वर्क फ्रॉम होम विकल्प देने पर विचार शुरू कर दिया है, क्योंकि स्मॉग से कर्मचारियों की सेहत प्रभावित हो रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में लंबे समय तक बाहर रहना खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने सलाह दी है कि बच्चों और बुजुर्गों को अनावश्यक बाहर न ले जाएं।
प्रदूषण के कारण—हवा की गुणवत्ता क्यों बिगड़ी?
दिल्ली में वायु प्रदूषण हर साल सर्दियों की शुरुआत के साथ बढ़ जाता है। विशेषज्ञ इसके कई कारण बताते हैं:
1. हवा की गति कम होना
धीमी हवा प्रदूषकों को फैलने नहीं देती, जिसके कारण वे नीचे जमा होकर स्मॉग का रूप ले लेते हैं।
2. वाहन और औद्योगिक धुआं
दिल्ली-NCR में लाखों वाहन रोजाना सड़कों पर उतरते हैं। इनमें से बड़ी संख्या अब भी अधिक प्रदूषण फैलाती है।
औद्योगिक इलाकों में भी धुएं का स्तर काफी बढ़ जाता है।
3. पराली जलाने का प्रभाव
उत्तर भारत के कई राज्यों में पराली जलाने के मामलों की संख्या में वृद्धि के बाद प्रदूषित हवा दिल्ली दिशा में बढ़ती है।
सिस्टम एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग (SAFAR) के अनुसार, बाहरी प्रदूषण का योगदान 25% तक दर्ज किया गया।
4. स्थानीय कचरा जलाना
दिल्ली में अभी भी कई जगह पर कचरा और प्लास्टिक जलाने के मामलों में कमी नहीं आई है। इससे हवा में PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा तेजी से बढ़ती है।
स्वास्थ्य पर गंभीर असर
डॉक्टर्स के अनुसार, AQI 400 पार होते ही सांस संबंधी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:
सांस लेने में दिक्कत
सीने में जकड़न
आंखों में जलन
गले में खराश
अस्थमा रोगियों की हालत बिगड़ना
दिल के मरीजों में जोखिम बढ़ना
एम्स सहित कई बड़े अस्पतालों में OPD में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है।
सरकार की आपात बैठक—कड़े कदमों पर विचार
दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर आपात बैठक बुलाई है।
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का स्टेज-3 पहले से लागू है और सरकार स्थिति बिगड़ने पर GRAP-4 लागू करने पर भी विचार कर रही है।
GRAP-4 लागू होने पर:
डीजल ट्रकों के प्रवेश पर पाबंदी
निर्माण कार्यों पर पूरी तरह रोक
गैर-जरूरी व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध
जैसे कदम लागू किए जा सकते हैं।
लोगों की दिनचर्या पर असर
दिल्ली की हवा इतनी खराब हो गई है कि सुबह की वॉक करने वाले लोग अब घरों में रहने के लिए मजबूर हैं। पार्कों में भीड़ कम हो गई है और बाजारों में लोगों की आवाजाही पर भी असर पड़ा है। कई लोगों ने एयर प्यूरीफायर खरीदने शुरू कर दिए हैं, जबकि N95 मास्क की मांग बढ़ गई है।
विशेषज्ञों की सलाह
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रदूषण से बचाव के लिए कुछ जरूरी उपाय बताए हैं:
बाहर निकलते समय N95 मास्क जरूर पहनें।
सुबह व शाम बाहर की गतिविधियों से बचें।
घर में पौधे लगाएं और वेंटिलेशन सही रखें।
पानी ज्यादा पिएं और एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त चीजें खाएं।
एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
स्थिति कब सुधरेगी?
मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले 48 घंटों तक हवा की गति में कोई सुधार नहीं होगा। जब तक हवा तेज नहीं होगी या बारिश नहीं होगी, तब तक प्रदूषण स्तर में राहत की संभावना कम है।
