
दिल्ली में आगजनी की घटनाएं लगातार चिंता का विषय बनती जा रही हैं। सोमवार रात राजधानी के रोहिणी सेक्टर-24 स्थित बंगाली बस्ती में अचानक भीषण आग लग गई। देखते ही देखते करीब 40-45 झुग्गियां आग की लपटों में घिर गईं और पूरा इलाका अफरा-तफरी से भर गया। आग इतनी तेजी से फैली कि लोगों को अपने घर का सामान निकालने तक का समय नहीं मिला।
स्थानीय लोगों ने तुरंत दमकल विभाग को सूचना दी। जानकारी मिलते ही दमकल की 10 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। हालांकि, इस घटना में झुग्गियों का बड़ा हिस्सा जलकर खाक हो गया। राहत की बात यह है कि किसी की मौत की खबर सामने नहीं आई, लेकिन कई परिवार बेघर हो गए हैं।
कैसे लगी आग?
स्थानीय लोगों का कहना है कि आग सबसे पहले एक झुग्गी में लगी और फिर तेज हवा के कारण आसपास की झुग्गियों में फैल गई। झुग्गियों के भीतर सिलेंडर और प्लास्टिक का सामान मौजूद होने के कारण आग और भी भड़क गई। चश्मदीदों के अनुसार, आग की लपटें दूर-दूर तक दिखाई दे रही थीं और धुएं का गुबार आसमान में छा गया था।
दमकल विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आग लगने के सही कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन शॉर्ट सर्किट या गैस सिलेंडर रिसाव की आशंका जताई जा रही है। घटना की विस्तृत जांच की जा रही है।
मौके पर अफरा-तफरी
आग लगते ही लोग घरों से बाहर निकल आए और अपने परिवार के सदस्यों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने लगे। महिलाओं और बच्चों में खौफ का माहौल देखा गया। कई लोगों ने अपने सामान को बचाने की कोशिश की, लेकिन तेज लपटों के कारण कोई भी कुछ निकाल नहीं पाया।
कुछ झुग्गियों के पास खड़े वाहनों को भी समय रहते हटा दिया गया, वरना नुकसान और बड़ा हो सकता था। आसपास के लोगों ने पानी डालकर आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन जब तक दमकल की गाड़ियां पहुंचीं तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी थी।
दमकल विभाग की कार्रवाई
दमकल विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, आग पर पूरी तरह काबू पाने में करीब तीन घंटे का समय लगा। उन्होंने बताया कि झुग्गियों में ज्वलनशील सामान की भरमार थी जिससे आग तेजी से फैल गई। इस वजह से टीम को आग बुझाने में काफी मेहनत करनी पड़ी।
अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस तरह की झुग्गियों में आग लगने का खतरा हमेशा बना रहता है क्योंकि यहां बिजली की लाइनें असुरक्षित होती हैं और लोग गैस सिलेंडरों का खुले में इस्तेमाल करते हैं।
प्रशासन की मदद
जैसे ही घटना की जानकारी मिली, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। प्रभावित परिवारों को पास के सामुदायिक केंद्र और स्कूलों में अस्थायी ठहराव की व्यवस्था कराई जा रही है। इसके अलावा, प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को आवश्यक सामान और भोजन उपलब्ध कराने की बात कही है।
दिल्ली सरकार की ओर से भी राहत कार्य शुरू कर दिए गए हैं। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा और अस्थायी रहने की व्यवस्था की जाएगी।
आगजनी की घटनाओं पर सवाल
दिल्ली में झुग्गी बस्तियों में आग लगने की घटनाएं नई नहीं हैं। हर साल गर्मियों में या फिर बिजली के लोड बढ़ने के कारण शॉर्ट सर्किट से कई झुग्गियां जलकर राख हो जाती हैं। पिछले साल भी इसी तरह की घटना मुस्तफाबाद और किराड़ी इलाके में हुई थी जिसमें कई परिवार बेघर हो गए थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक झुग्गी बस्तियों में बिजली और गैस सिलेंडर का सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित नहीं होगा, तब तक इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाना मुश्किल है।
पीड़ितों की व्यथा
आग से प्रभावित लोगों ने कहा कि उनकी सारी मेहनत का सामान कुछ ही घंटों में जलकर खाक हो गया। कई परिवारों के पास पहनने के कपड़े और खाने-पीने की चीजें तक नहीं बचीं। एक महिला ने रोते हुए कहा – “हमारे पास अब रहने को घर नहीं है, बच्चे कहाँ रहेंगे?”
स्थानीय सामाजिक संगठनों और एनजीओ ने भी पीड़ितों की मदद करने की पहल शुरू कर दी है।
रोहिणी की बंगाली बस्ती में लगी आग ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर झुग्गी बस्तियों में आग से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कब होंगे। जब तक इन क्षेत्रों में सुरक्षित बिजली और गैस व्यवस्था नहीं की जाएगी, तब तक इस तरह की घटनाएं दोहराती रहेंगी और हर बार गरीब परिवारों की जिंदगी उजड़ती रहेगी।