Deoghar: 54 किलो चांदी से बना 54 फीट का कांवर बना आकर्षण का केंद्र, कांवर के साथ सेल्फी लेने की मची होड़।

Deoghar: 54 किलो चांदी से बना 54 फीट का कांवर बना आकर्षण का केंद्र, कांवर के साथ सेल्फी लेने की मची होड़।

देवघर। श्रावण मास के पावन अवसर पर बाबा बैधनाथधाम की ओर श्रद्धा और आस्था की गंगा उमड़ पड़ी है। कांवरिया मार्ग पर एक से बढ़कर एक अनोखी कांवर और अलग-अलग वेशभूषा में भक्तों की टोली अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन कर रही है। इस बीच पटना सिटी के मारूफगंज से आए शिवभक्तों की एक टोली ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। इस टोली के द्वारा 54 किलो चांदी से सजाया गया 54 फीट लंबा कांवर न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक बना है, बल्कि यह आकर्षण का भी केंद्र बन गया है।

करीब 400 कांवरियों की इस टीम की अगुवाई कर रहे विनोद बाबा ने बताया कि वे वर्ष 2008 से लगातार कांवर यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हर साल बाबा भोलेनाथ की कृपा से कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती है। इस बार हमने 54 किलो चांदी से यह विशेष कांवर तैयार कराया है, जिसकी कुल लंबाई 54 फीट है।”

इस चांदी से जड़े कांवर में न केवल बाबा बैधनाथधाम का सुंदर मंदिर रूपी स्वरूप शामिल है, बल्कि इसमें भगवान भोलेनाथ के पूरे परिवार की मूर्तियां – मां पार्वती, गणेश, कार्तिकेय – के अलावा मां दुर्गा, काली, राधा-कृष्ण, मां लक्ष्मी और श्रीगणेश की चांदी की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं। विनोद बाबा ने बताया कि इस कांवर को बनाने में लगभग एक करोड़ रुपये की लागत आई है, जो समर्पित शिवभक्तों के सहयोग और आस्था का परिणाम है।

यह कांवर ना केवल अपनी बनावट के कारण आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, बल्कि इसकी भव्यता को देखकर रास्ते में श्रद्धालु और स्थानीय लोग सेल्फी लेने के लिए रुक जाते हैं। जगह-जगह इस कांवर की झलक पाने के लिए भीड़ उमड़ रही है और लोग इसे एक चलती-फिरती कला और श्रद्धा का अद्भुत संगम मान रहे हैं।

विनोद बाबा ने बताया कि ये टोली हर साल सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर करीब 54 घंटे की पदयात्रा करते हुए देवघर स्थित बाबा बैधनाथधाम पहुंचती है। यात्रा पूरी होने पर बाबा को जल अर्पित कर पूजा-अर्चना की जाती है। इस वर्ष भी पूजा के बाद कांवरियों ने बाबा से परिवार, समाज और देश की मंगलकामना की और इसके बाद बासुकीनाथ की ओर रवाना हो गए।

श्रावणी मेले में ऐसे कांवर यात्रियों की भक्ति और अनोखे प्रयास न केवल परंपरा को जीवंत करते हैं, बल्कि अन्य श्रद्धालुओं को भी प्रेरित करते हैं कि आस्था को कैसे भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप दिया जा सकता है। बाबा की नगरी देवघर में यह कांवर यात्रा लंबे समय तक चर्चा का विषय बनी रहेगी।

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