Deoghar: श्रावण की परंपरा का अनुपम दृश्य: देवघर में बेलपत्र प्रदर्शनी की भव्यता, शहर हुआ भक्तिमय।

Deoghar: श्रावण की परंपरा का अनुपम दृश्य: देवघर में बेलपत्र प्रदर्शनी की भव्यता, शहर हुआ भक्तिमय।

देवघर। श्रावण मास की भक्ति और परंपरा का एक अनुपम संगम देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में गुरुवार को देखने को मिला, जब लगभग 150 वर्षों से चली आ रही बेलपत्र प्रदर्शनी की परंपरा को एक बार फिर पूरे हर्षोल्लास और भव्यता के साथ मनाया गया। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को विशेष रूप से आयोजित इस परंपरागत कार्यक्रम में विभिन्न बेलपत्र दलों ने भाग लिया और बाबा भोलेनाथ एवं मां पार्वती को बेलपत्र अर्पित कर आस्था का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर संध्या 7:30 बजे से सभी दलों द्वारा बाबा बैद्यनाथ और मां पार्वती की पूजा-अर्चना की गई। वहीं शाम 6:00 बजे से शहर के अलग-अलग मंदिरों से भव्य बेलपत्र शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें पर्वतीय (पहाड़ी) विल्वपत्रों को चांदी व स्टील के सुंदर बर्तनों में फूलों और झालरों से सजाकर प्रदर्शित किया गया।

150 वर्षों की जीवंत परंपरा

देवघर स्थित बाबा मंदिर में बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गई है। मान्यता है कि श्रावण मास के इस विशेष दिन, जब श्रद्धालु त्रिपुंड धारण कर बेलपत्र अर्पित करते हैं, तो भोलेनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं। बेलपत्र की यह परंपरा किसी सामान्य पूजन विधि से कहीं बढ़कर एक धार्मिक उत्सव का रूप ले चुकी है, जिसमें समाज के हर वर्ग के लोग शामिल होते हैं।

आकर्षक प्रदर्शनी और अनोखी सजावट

इस वर्ष की बेलपत्र प्रदर्शनी में विभिन्न दलों ने अपने बेलपत्र को त्रिनेत्र स्वरूप में सजाकर प्रदर्शित किया, जो देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर रहा था। खास बात यह रही कि प्रत्येक बेलपत्र दल ने न केवल धार्मिक भाव से बल्कि रचनात्मकता के साथ अपने बेलपत्र को सजाया और उसका धार्मिक महत्व बताया।

काली मंदिर प्रांगण में जनरेल समाज और देवकृपा वन सम्राट बेलपत्र समाज द्वारा पहाड़ी बेलपत्रों की झांकी लगाई गई।

लक्ष्मी नारायण मंदिर में मसानी दल एक, मसानी दल दो और शांति अखाड़ा समाज ने बेलपत्र की परंपरा को साकार किया।

तारा मंदिर परिसर में बरनेल समाज की ओर से भव्य बेलपत्र प्रदर्शनी ने दर्शकों का मन मोह लिया।

राम मंदिर में राजाराम बेलपत्र समाज की ओर से सजाए गए विल्वपत्र विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।

वहीं आनंद भैरव मंदिर में पंडित मनोकामना राधेश्याम बेलपत्र समाज के दो दलों ने त्रिनेत्र जैसे आकार में बेलपत्र प्रदर्शित कर अनोखी श्रद्धा प्रकट की।

शोभायात्रा में उमड़ा जनसैलाब

शहर में निकली बेलपत्र शोभायात्रा में स्थानीय नागरिकों से लेकर कावड़ियों और पर्यटकों तक की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। हर गली और चौराहे पर लोग बेलपत्र दलों की भव्य सजावट और श्रद्धा को निहारते रहे। शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरती शोभायात्रा में ढोल-नगाड़ों की गूंज, भजन-कीर्तन की स्वर लहरियां और बेलपत्र से सजे वाहन एक जीवंत धार्मिक उत्सव का वातावरण बना रहे थे।

प्रशासन रहा मुस्तैद

देवघर पुलिस प्रशासन और मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा बेलपत्र यात्रा और प्रदर्शनी के दौरान सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण की व्यापक व्यवस्था की गई थी। जगह-जगह पर बैरिकेडिंग, स्वास्थ्य शिविर, पीने के पानी की व्यवस्था और वालंटियर की तैनाती की गई थी। नगर निगम ने भी सफाई और रोशनी की विशेष व्यवस्था कर श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक माहौल बनाया।

धार्मिक महत्व और सामाजिक एकता

बेलपत्र को शिव पूजा में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि “त्रिदलम त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम्” – अर्थात तीन दलों वाला बेलपत्र शिव के तीन नेत्रों और त्रिशूल का प्रतीक है। इस आयोजन के माध्यम से समाज में एकता, समर्पण और धार्मिक भावना की मिसाल देखने को मिलती है।

भावनाओं से भरा देवघर

शहर भर में माहौल पूरी तरह भक्ति में सराबोर रहा। मंदिरों में भजन-कीर्तन, आरती और धार्मिक प्रवचनों का आयोजन चलता रहा। श्रद्धालुओं ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह परंपरा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की जीवंत विरासत है जिसे सहेज कर रखना हम सबका कर्तव्य है।

श्रावणी मास में आयोजित यह बेलपत्र प्रदर्शनी न केवल देवघर की प्राचीन परंपरा को जीवंत रखती है, बल्कि अगली पीढ़ी को धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से भी जोड़ती है। बाबा की नगरी एक बार फिर यह सिद्ध कर चुकी है कि जब बात आस्था की हो, तो यहां का हर कोना भक्तिभाव से ओतप्रोत हो उठता है।

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