Deoghar: “राष्ट्रपति की सुरक्षा में चूक का आरोप, सांसद निशिकांत दुबे ने झारखंड सरकार व पुलिस प्रशासन पर साधा निशाना”

Deoghar: “राष्ट्रपति की सुरक्षा में चूक का आरोप, सांसद निशिकांत दुबे ने झारखंड सरकार व पुलिस प्रशासन पर साधा निशाना”

देवघर। दिल्ली से देवघर पहुंचे गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने न केवल राज्य सरकार बल्कि झारखंड पुलिस प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाए और यहां तक कह दिया कि “अगर राष्ट्रपति की सुरक्षा में चूक हुई, तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह झारखंड सरकार और पुलिस प्रशासन की होगी।”

सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि झारखंड की मौजूदा सरकार पूरी तरह एडहॉक व्यवस्था पर चल रही है। उन्होंने पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा, “जो वर्तमान DGP हैं, उनकी नियुक्ति अवैध तरीके से की गई है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है। अगर किसी अधिकारी को 60 साल की उम्र के बाद सेवा विस्तार देना है तो उसका अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। लेकिन यहां नियमों को ताक पर रखकर नियुक्तियां हो रही हैं, जो सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है।”

दुबे ने राज्य के पुलिस सिस्टम की नाकामी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि झारखंड के दो महत्वपूर्ण जिले – रांची और देवघर – को DIG स्तर के अधिकारी चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि देवघर जैसे संवेदनशील जिले में सुरक्षा इंतजाम की जिम्मेदारी ऐसे अधिकारियों पर छोड़ दी गई है, जिनके पास न पर्याप्त संसाधन हैं और न ही आवश्यक अधिकार।

सांसद ने देवघर एसपी पर सीधा हमला करते हुए कहा, “देवघर के एसपी कभी आम लोगों के बीच नहीं निकलते। वो तभी बाहर आते हैं जब पत्रकारों को मारना हो या किसी निरीह व्यक्ति पर अत्याचार करना हो। देवघर में हर दिन चोरी, डकैती, बलात्कार जैसी घटनाएं हो रही हैं, लेकिन उन्हें इनसे कोई मतलब नहीं। उन्हें केवल अपनी पार्टी की सेवा करने और राजनीतिक आदेशों का पालन करने से मतलब है। अगर प्रशासन ‘सुपारी किलर’ की तरह काम करेगा, तो राष्ट्रपति की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?”

उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति की सुरक्षा के साथ ही खिलवाड़ होगा, तो यह पूरे देश के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को उठाया था। दुबे ने कहा, “जब मैंने राष्ट्रपति की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, तो ट्रोल सेना ने मुझे निशाना बनाना शुरू कर दिया। लेकिन मैं चार बार का सांसद हूं, और देवघर में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी मुझे सबसे पहले मिलती है। यहां की हर गतिविधि पर मेरी नजर है।”

दुबे ने हाल की घटनाओं को याद करते हुए कहा कि चार निर्दोष पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। उन्होंने कहा, “आपने उनका रूट खराब किया, सुरक्षा व्यवस्था बिगाड़ी और फिर उन्हीं चार निरीह लोगों को बलि का बकरा बना दिया। इससे साफ जाहिर होता है कि पूरी व्यवस्था में गड़बड़ी है और गलतियों को छिपाने के लिए निचले स्तर के कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।”

सांसद ने अपने बयान में अंतरराष्ट्रीय साजिश की तरफ भी इशारा किया। उन्होंने कहा, “बिहार में आज जो SIR (संदिग्ध गतिविधियां) हो रही हैं, उसके पीछे बांग्लादेशी, ISI और पाकिस्तानी संगठन हैं। ये संगठन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति को टारगेट कर रहे हैं। इनका मकसद है कि कोई बड़ी घटना कर दी जाए, जिससे लगे कि देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बन गई है। मुझे संदेह है कि राष्ट्रपति को नुकसान पहुंचाने की साजिश में भी कुछ अधिकारी शामिल हो सकते हैं। अगर सुरक्षा में ऐसी ही लापरवाही जारी रही तो इसका अंजाम बहुत खतरनाक हो सकता है।”

दुबे ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सिर्फ देश की राष्ट्रपति ही नहीं बल्कि झारखंड की बेटी हैं। उनका देवघर दौरा सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि गर्व की बात है। उन्होंने कहा, “अगर उनकी सुरक्षा को लेकर ही राज्य सरकार गंभीर नहीं है, तो यह शर्म की बात है। देवघर जैसे धार्मिक और संवेदनशील शहर में सुरक्षा व्यवस्था में कोई भी चूक बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए।”

उन्होंने केंद्र सरकार से भी आग्रह किया कि झारखंड में राष्ट्रपति और अन्य वीआईपी की सुरक्षा को लेकर विशेष जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार सुरक्षा व्यवस्था को ठीक से संभालने में असमर्थ है, तो केंद्र को सीधे दखल देना चाहिए।

निशिकांत दुबे ने झारखंड पुलिस के शीर्ष अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि “अगर DGP की नियुक्ति ही विवादित है, और DIG और SP अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल हो रहे हैं, तो राज्य में कानून व्यवस्था की हालत क्या होगी, यह आसानी से समझा जा सकता है। देवघर में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है और पुलिस महज मूकदर्शक बनकर बैठी है।”

उन्होंने कहा कि देवघर जैसे धार्मिक स्थल पर लाखों की संख्या में हर साल श्रद्धालु आते हैं। बाबा बैद्यनाथ धाम को ‘बारह ज्योतिर्लिंगों में एक’ माना जाता है। ऐसे में यहां की सुरक्षा में किसी भी तरह की ढिलाई गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। सांसद ने सवाल उठाया कि “जब देवघर जैसे शहर में ही राष्ट्रपति की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत नहीं है, तो राज्य सरकार अन्य जगहों पर क्या इंतजाम कर पाएगी?”

सांसद ने साफ चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हुआ और राष्ट्रपति की सुरक्षा में कोई चूक हुई, तो इसके लिए पूरी तरह झारखंड सरकार और पुलिस प्रशासन जिम्मेदार होंगे।

दुबे ने देवघर के स्थानीय लोगों की चिंता का हवाला देते हुए कहा, “आज देवघर में लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि उनका कोई रखवाला नहीं है। अगर पुलिस केवल एक पार्टी विशेष के लिए काम करेगी और अपराधियों को खुली छूट देगी, तो देवघर में अराजकता फैल जाएगी। यह न सिर्फ देवघर बल्कि पूरे राज्य के लिए खतरे की घंटी है।”

उन्होंने आगे कहा कि सुरक्षा इंतजाम केवल कागजों में नहीं, बल्कि जमीन पर दिखने चाहिए। “झारखंड सरकार राष्ट्रपति के दौरे को लेकर केवल औपचारिक तैयारी कर रही है। लेकिन हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। अगर किसी तरह की अप्रिय घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार कौन होगा?” – सांसद ने सवाल किया।

निशिकांत दुबे का यह बयान देवघर ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड की राजनीति में हलचल पैदा कर गया है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से तत्काल जवाब मांगा है। वहीं, सत्ता पक्ष इसे सांसद का राजनीतिक बयान बता रहा है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि झारखंड सरकार और पुलिस प्रशासन इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या राष्ट्रपति की सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त इंतजाम किए जाते हैं या नहीं। फिलहाल, देवघर और झारखंड की सियासत में सांसद निशिकांत दुबे का बयान चर्चा का सबसे बड़ा विषय बना हुआ है।

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