
@Deoghar: डॉ.राजीव रंजन बने ‘झारखण्ड शोध संस्थान’ के निदेशक
डॉ राजीव रंजन एक सेवाभावी व्यक्ति-उमेश कुमार
देवघर। झारखण्ड शोध संस्थान’ की एक बैठक मधुपुर के बावन बीघा स्थित ‘संवाद’ परिसर में संस्थान के अध्यक्ष घनश्याम भाई की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।इस बैठक में संस्थान के सचिव उमेश कुमार ने देवघर के जाने-माने दंत चिकित्सक डॉ.राजीव रंजन को संस्थान का निदेशक बनाने का प्रस्ताव रखा।
सचिव उमेश कुमार ने अपने प्रस्ताव में कहा कि डॉ. राजीव रंजन एक सेवाभावी व्यक्ति हैं।हमेशा समाज का भला सोचते हैं और दूसरों की मदद करते हैं। संस्थान का निदेशक बनने पर इनकी निष्ठा और ऊर्जा का सदुपयोग संस्थान के शोधपरक कार्यक्रमों में बखूबी हो सकेगा।
संस्थान के वरिष्ठ सदस्य प्रो.रामनंदन सिंह ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि वे डॉ.राजीव रंजन को एक अर्से से जानते हैं।उन्हें यकीन है कि डॉ.साहब की सक्रिय सहभागिता से संस्थान के लक्षित कार्यों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। संस्थान के अध्यक्ष घनश्याम भाई ने डॉ.राजीव रंजन को अंगवस्त्र, पुष्पमाला और पुष्पगुच्छ समर्पित कर उनका स्वागत किया।
घनश्याम भाई ने कहा कि हर संस्था रचनात्मक लोगों के दम पर ही आगे बढ़ती है।संस्थान के सौजन्य से निकट भविष्य में एक ‘इतिहासघर’ की स्थापना करने की हमारी योजना है।डॉ.साहब के निदेशक(डायरेक्टर)बनने से इस तरह के लक्ष्यों की सिद्धि में आसानी होगी।
उन्होंने आशा प्रकट करते हुए कहा कि डॉ.साहब देवघर के इतिहास लेखन, शोध-अध्ययन एवं उनके प्रकाशन की दिशा में भी प्रभावकारी निर्णय लेंगे जिससे लोगों में क्षेत्रीय इतिहास के प्रति लगाव और जागरूकता का विकास होगा।
निदेशक(डायरेक्टर )के रूप में मनोनीत कर संस्थान में शामिल करने के लिए डॉ. राजीव रंजन ने संस्थान के अध्यक्ष, सचिव एवं सभी सदस्यों के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि संस्थान के निदेशक(डायरेक्टर)के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता ‘इतिहासघर’ के लिए जमीन की व्यवस्था होगी।
जमीन की व्यवस्था के बाद सरकार और सुधीजनों के सहयोग से ‘इतिहासघर’ का भव्य भवन तैयार किया जाएगा जहां बाबा बैद्यनाथ की नगरी की इतिहास-यात्रा को कलात्मक और जीवंत रूप से चित्रित करने का प्रयास किया जाएगा।
इस अवसर पर मधुपुर के सेवानिवृत्त स्टेशन प्रबंधक के.के.पी.राय, सीमांत सुधाकर मिश्रा सहित कार्यकारिणी के अन्य सदस्य उपस्थित थे।