
देवघर। झारखंड का देवघर जिला धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ शिक्षा व खेल के क्षेत्र में भी लगातार अपनी पहचान बना रहा है। इसी कड़ी में देवघर नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गोडधोवा मौजा नंबर 274, प्लॉट नंबर 2 स्थित करीब 7 एकड़ 30 डिसमिल सरकारी जमीन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह भूमि पूरी तरह से सरकारी है और लंबे समय से स्थानीय बच्चे, छात्र और युवा इसे खेलकूद, शारीरिक शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं।
अतिक्रमण की कोशिश का आरोप
ग्रामीणों ने उपायुक्त देवघर को दिए गए आवेदन में स्पष्ट आरोप लगाया है कि इस जमीन पर कुछ खास समुदाय के लोग अवैध तरीके से कब्ज़ा जमाने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि 31 अगस्त 2025 को कुछ लोगों ने इस जमीन को जोतकर खेती योग्य बनाने का प्रयास किया, जबकि यह जमीन वर्षों से खेलकूद और अन्य सार्वजनिक उपयोग के लिए प्रयोग होती रही है।
ग्रामीणों ने इसे सार्वजनिक हित के खिलाफ बताते हुए प्रशासन से मांग की है कि तुरंत हस्तक्षेप कर इस जमीन को कब्जे से बचाया जाए।

खेल मैदान बनाने की मांग
आवेदन सौंपने वाले ग्रामीणों, छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि यह भूमि खेल गतिविधियों के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। अगर इसे एक खेल स्टेडियम या खेल मैदान के रूप में विकसित किया जाता है तो न केवल देवघर बल्कि आसपास के क्षेत्रों के युवाओं को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि खेल के प्रति रुचि रखने वाले युवा यदि उचित सुविधा नहीं पाएंगे तो उनका हुनर दबकर रह जाएगा। वहीं अगर मैदान का निर्माण किया जाता है तो यहां विभिन्न प्रकार के खेल टूर्नामेंट आयोजित किए जा सकते हैं, जिससे देवघर जिला खेलकूद की दिशा में नई पहचान बना सकेगा।
सार्वजनिक हित का सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह भूमि मूल रूप से सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है और इसे किसी भी प्रकार से निजी उपयोग के लिए नहीं दिया जा सकता। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने समय रहते इस जमीन पर अतिक्रमण रोकने की कार्रवाई नहीं की तो आने वाले समय में यह बड़ा विवाद का कारण बन सकता है।
अभिभावकों और युवाओं ने साफ कहा है कि सरकारी भूमि का इस्तेमाल केवल सार्वजनिक उपयोग के लिए होना चाहिए और खेल का मैदान इसमें सबसे उचित विकल्प है।
छात्रों और युवाओं की चिंता
छात्रों ने उपायुक्त से गुहार लगाई है कि अगर उन्हें अभ्यास और खेल का उपयुक्त वातावरण नहीं मिलेगा तो वह राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से वंचित रह जाएंगे। कई छात्रों ने यह भी बताया कि अब तक वे इसी जमीन पर अभ्यास करते आए हैं, लेकिन हाल के दिनों में खेती करने की कोशिश के बाद वहां जाने से डर लगने लगा है।
स्थानीय युवाओं ने कहा कि आज जब सरकार “खेलो इंडिया” जैसी योजनाओं के माध्यम से युवाओं को आगे बढ़ाने की बात कर रही है, तो देवघर में ऐसी जमीन को बचाकर एक खेल परिसर के रूप में विकसित करना प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है।
प्रशासनिक जांच की मांग
ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन इस मामले में तुरंत राजस्व विभाग और नगर निगम स्तर पर जांच कराए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस जमीन पर कब्ज़ा न कर सके। साथ ही, खेल विभाग और जिला प्रशासन मिलकर यहां एक आधुनिक खेल मैदान या मिनी स्टेडियम का निर्माण कराएं, ताकि क्षेत्र के बच्चे और युवा सुरक्षित व बेहतर वातावरण में अपनी प्रतिभा निखार सकें।
खेल से जुड़े संभावित लाभ
ग्रामीणों का कहना है कि अगर यहां पर खेल का मैदान तैयार किया जाता है तो इसके कई फायदे होंगे—
1. युवाओं को खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने का अवसर मिलेगा।
2. अवैध कब्ज़ा रुक सकेगा और सरकारी भूमि सुरक्षित रहेगी।
3. खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों से क्षेत्र का नाम रोशन होगा।
4. युवा नशे और असामाजिक गतिविधियों से दूर रहेंगे।
5. सरकारी योजनाओं का लाभ सीधा बच्चों तक पहुंचेगा।
आगे की राह
ग्रामीणों ने साफ कहा है कि यह मुद्दा सिर्फ जमीन का नहीं बल्कि युवाओं के भविष्य का है। अगर प्रशासन ने सही कदम उठाया तो यह भूमि क्षेत्र की पहचान बदल सकती है। देवघर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक नगर में एक खेल मैदान का निर्माण न केवल खेल को बढ़ावा देगा बल्कि पर्यटन और सामाजिक गतिविधियों में भी अहम योगदान देगा।
फिलहाल ग्रामीण प्रशासन से ठोस कार्रवाई की उम्मीद लगाए बैठे हैं। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।

