
Deoghar: डिजिटलाइजेशन से किस और बढ़ रहा है हमारा समाज, लोगो पर गहरा प्रभाव डाल रहा सोशल मीडिया प्लेटफार्म।
देवघर। आज हम ऐसे विषय पर बात करने वाले है जिसपर शायद ही किसी की नजर पड़ती है, लेकिन धीरे धीरे ये विषय हमारे समाज में विष की तरह फैलती जा रही है। सोशल मीडिया का उपयोग समाज पर गहरा प्रभाव डाल रहा है, जिसमें इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलू शामिल हैं। यह प्लेटफॉर्म्स लोगों के बीच संचार और जानकारी के प्रसार को आसान बनाते हैं, लेकिन इसके साथ ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, फेक न्यूज़ और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं।
सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो लोगों को ऑनलाइन संवाद, सामग्री साझा करने और अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। इसमें विभिन्न प्लेटफॉर्म्स शामिल होते हैं, जैसे कि फेसबुक, ट्विटर इंस्टाग्राम, वाट्सअप और यूट्यूब सोशल मीडिया के प्रमुख उपयोगों में शामिल हैं।
एक ओर जहां लोग सोशल मीडिया पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर नई-नई जानकारियां प्राप्त कर रहे हैं शैक्षिक सामग्री का एक्सेस कर रहे हैं, समाज में जागरूकता फैला रहे हैं तो वहीं सामाजिक अलगाव, फेक न्यूज, ऑनलाइन उत्पीड़न जैसी समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं का ऑनलाइन उत्पीड़न एक गंभीर समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। इस सोशल मीडिया के युग में महिलाएं इसे इस्तेमाल तो कर रही है लेकिन गोपनीयता और सुरक्षा जैसी जानकारी से वंचित हैं उन्हें पता भी नहीं होता है कि उनके साथ कुछ गलत भी हो रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं व युवतियां उतनी पढ़ी लिखी नहीं होती जिससे की लोग बड़े आसानी से उनका फायदा उठाते हैं।
इस डिजिटलाइजेशन के युग में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स
की खबरें हर तरफ तेजी से फैल रही है, फेसबुक वाट्सअप जैसे प्लेटफॉर्म पर लोग घंटों समय बिता रहे हैं ऑनलाइन चैटिंग, ऑनलाइन वीडियो कॉलिंग के जरिए एक दूसरे के करीब आते हैं और फिर उन्हें गहरा खामियाजा भुगतना पड़ जाता हैं, ऑनलाइन प्रेम प्रसंग में धीरे धीरे ये प्रेम इस कदर महिलाओं पर हावी हो जाता है कि वो कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाती है और हो भी क्यों ना अपने गृहस्थ जीवन की भाग दौड़ से अलग यहां उनको खुद को प्रिपेयर करने लिए समय जो मिल जाता है, इन सब मे वो इस कदर खो जाती है कि अपना परिवार पति बच्चे सब भूल जाती है।
और फिर एक दिन यही ऑनलाइन चैटिंग वीडियो कॉलिंग से प्रेमी द्वारा शुरू हो जाता है इनका ऑनलाइन उत्पीड़न व शोषण जिसका अंजाम कभी कभी मौत के मुंह तक ले जाता है।
इस एक्स्ट्रा मैरिटल प्रेम प्रसंग ने न जाने कितने गृहस्थ जीवन तबाह कर दिए कितने बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर दी। बहुत सारी घटनाएं दब के रह जाती है। लोग समाज के डर से ऐसी घटनाओं को उजागर करने से डरते हैं, जिससे कि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले युवक का मनोबल ओर बढ़ जाता है और समाज में ऐसी घटनाएं प्रचंड रूप लिए जा रहा है।
वही हम बात करें बच्चों की तो बच्चों को अगर मोबाइल फोन लैपटॉप टैबलेट मिल जाए तो वह बाहर गुल्ली डंडा खेलने या क्रिकेट खेलने नहीं जाया करते अब उन्हें हर कुछ मोबाइल से ही मिल जाता है जिससे कि परिवार के सदस्य भी बच्चों को अपने पास बिठाकर मनोरंजन नहीं कर पाए क्योंकि बच्चे मोबाइल में ही अपना वक्त बिताना पसंद करते हैं अगर बात करें की बच्चों का मानसिक विकास कैसे हो तो माना जाता है कि जब हमारे घर के बच्चे छोटे हुआ करते थे तो उन्हें अन्य बच्चों के साथ खेलने भेजा जाता था लेकिन अब परिवार के लोग ही बच्चों को थोड़ा सा रन पर मोबाइल थमा दिया जाता है जिससे कि बच्चों का विकास सोशल मीडिया पर तेजी से होता है लेकिन अगर सामाजिक तौर पर विकास की बात कहे तो कहीं ना कहीं वह पीछे छूट जा रही है जिससे कि हमारे आने वाले पीडिया को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
हमे इसके रोकथाम के लिए मिलकर सहयोग करना होगा। समाज के जो शिक्षित वर्ग के लोग है वो अपने आस-पास के महिलाओं को सोशल मीडिया के गलत प्रभावों से अवगत करवाएं उनको गोपनीयता और सुरक्षा की जानकारी प्रदान करे। परिवार के शिक्षित लोग भी अपने घरों में माताएं या बहनों को मोबाइल देने से पहले इंटरनेट के सदुपयोग और दुरुपयोग की जानकारी साझा करे।
राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों से भी हमारा अनुरोध है कि ग्रामीण क्षेत्रों में समय समय पर महिलाओं के लिए विशेष कैंप लगा कर डिजिटल सुरक्षा के उपाय के साथ साथ साइबर सुरक्षा, पासवर्ड प्रबंधन, सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार के बारे में शिक्षित करें।