
Deoghar: झारखंड खादी ग्रामोद्योग छत्तीसी उपेक्षा का शिकार, फंड की कमी से नही हो रहा है ट्रेनिग व बुनाई का काम बंद।
– पुर्व अध्यक्ष जयनंदु के समय हुआ था खादी ग्रामोद्योग छत्तीसी का खुब विकास
देवघर। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती बेरोजगारी के समाधान करने को लेकर झारखंड खादी ग्रामोद्योग की स्थापना की गयी थी, खादी ग्रामोद्योग दो अलग-अलग कार्यक्रमों का एक समामेलन है, जिसमें खादी विकास योजना, जिसने भारत में खादी उद्योग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,और ग्रामोद्योग विकास योजना, जो छोटे पैमाने पर ग्रामीण उद्यमों को बढ़ावा देने और सहायता करने का काम करता है, वह झारखंड खादी ग्रामोद्योग विभाग छत्तिसी शिवपुरी देवघर उपेक्षा का शिकार हो गया है. जो लगभग एक वर्षों से उपेक्षा का शिकार हो गया है, इस वक्त झारखंड खादी ग्रामोद्योग छत्तीसि के ना ही साफ सफाई का फंड, ना ही रंग रोगन, ना ही झंडोत्तोलन का फंड, ना ही सुत कताई की व्यवस्था, ना ही खादी कपडा़ बनाने वाले कामगारो व कारीगरों के लिये फंड की व्यवस्था, इसके साथ ही लगभग 6 महिनों से जरुरत मंद महिलाओं की किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग नही मिल पा रही है. खादी का मतलब है ऐसा कपड़ा, जो हाथ से सूत काट कर बनाया जाता है, यह सूत रेशम व कपास का हो सकता है, जिसके बाद महिलायें हथकरघे पर सुत काटकर तरह तरह के सुंदर व आकर्षक कपडे़ को बुना जाता है. ग्रामोद्योग का मतलब है ऐसा उद्योग जो शहरी व ग्रामीण इलाकों को जोड कर चलता है।