
Deoghar: झारखंड कुर्मी महासभा ने छत्रपति शिवाजी महाराज का अवतरण दिवस अनोखे अंदाज में धुमधाम से मनाया
✓ दिव्यांग सपष्टि व अनाथालय आवासीय विद्यालय चुल्हिया में बच्चों के बीच किताब, कॉपी, कलम, फल और मिठाई का किया वितरण।
✓ पर्यावरण संरक्षण को ले पौधा वितरण कर सभा की ओर से किया गया पौधरोपण
✓ छत्रपति शिवाजी महाराज जयन्ती महाराष्ट्र का एक त्योहार और सार्वजनिक अवकाश है : डॉ राजीव रंजन
देवघर। बुधवार को झारखंड कुर्मी महासभा की ओर से छत्रपति शिवाजी महाराज का अवतरण दिवस अनोखे अंदाज में धुमधाम से मनाया गया। साथ ही अवतरण दिवस के उपलक्ष्य पर झारखंड कुर्मी महासभा, देवघर शाखा की ओर से दिव्यांग सपष्टि एवं अनाथालय आवासीय विद्यालय चुल्हिया (मोहनपुर) में बच्चों के बीच किताब, कॉपी, कलम, फल और मिठाई का वितरण कर उन्हें अपने परिवार का एहसास कराया।
इसके अलावा पर्यावरण को संरक्षित करने को लेकर पौधारोपण कर पौधा वितरण भी किया गया। मौके पर झारखंड कुर्मी महासभा महासचिव सह प्रसिद्ध दंत रोग विशेषज्ञ डॉ राजीव रंजन सहित अन्य लोगों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
मौके पर डॉ राजीव रंजन ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज जयन्ती भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक त्योहार और सार्वजनिक अवकाश है। यह त्यौहार 19 फरवरी को शिवाजी महाराज की जयंती, मराठा साम्राज्य के पहले छत्रपति और संस्थापक के रूप में मनाया जाता है। छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों कि सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किए तथा छापामार युद्ध की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की।
उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। वे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में नायक के रूप में स्मरण किए जाने लगे। बाल गंगाधर तिलक ने राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए शिवाजीराजे जन्मोत्सव की शुरुआत की।
मालोजीराजे भोसले (1552–1597) अहमदनगर सल्तनत के एक प्रभावशाली जनरल थे, पुणे चाकण और इंदापुर के देशमुख थे। मालोजीराजे के बेटे शहाजीराजे भी विजापुर सुल्तान के दरबार में बहुत प्रभावशाली राजनेता थे। शहाजी राजे अपने पत्नी जिजाबाई से शिवाजी का जन्म हुआ। उनका आरम्भिक जीवन शासनावधि 1674 –1680 रहा, जबकि राज्याभिषेक 6 जून 1674 पूर्ववर्ती-शहाजीराजे उत्तरवर्ती-सम्भाजीराजे हुआ। उनका जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में और निधन 3 अप्रैल 1680 रायगढ़ में हुआ।
छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों कि सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किए तथा छापामार युद्ध की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। वे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में नायक के रूप में स्मरण किए जाने लगे। बाल गंगाधर तिलक ने राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए शिवाजीराजे जन्मोत्सव की शुरुआत की। मालोजीराजे भोसले (1552–1597) अहमदनगर सल्तनत के एक प्रभावशाली जनरल थे, पुणे चाकण और इंदापुर के देशमुख थे। मालोजीराजे के बेटे शहाजीराजे भी विजापुर सुल्तान के दरबार में बहुत प्रभावशाली राजनेता थे।
शहाजी राजे अपने पत्नी जिजाबाई से शिवाजी का जन्म हुआ था। मौके पर महासचिव झारखंड कुर्मी महासभा डॉ राजीव रंजन, सचिव संजय कुमार राउत, कोषाध्यक्ष विजय कुमार सिंह, पूर्व जोनल चेयरमैन सह पूर्व वार्ड पार्षद रवि कुमार राउत, राजीवकांत राउत, विक्रम कुमार राउत, सुमन यादव, राजू जयसवाल, सिकन्दर यादव, परमेश्वर राव सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
