
देवघर। झारखंड के देवघर जिले के मोहनपुर थाना क्षेत्र के झालर हाई स्कूल में 1 अगस्त को हुए हादसे में घायल कन्हैया मंडल की मंगलवार को मौत हो गई। 40 वर्षीय कन्हैया मंडल की मौत की खबर जैसे ही उनके पैतृक गांव पहुंची, पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया। देखते ही देखते गांव के सैकड़ों लोग घटनास्थल पर जुट गए और मृतक के परिजनों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने शव को सड़क पर रखकर मुआवजे की मांग तेज कर दी।
ग्रामीणों का कहना है कि 1 अगस्त को ट्रक से लोहा उतारने के क्रम में कन्हैया मंडल गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हादसे के बाद उन्हें पहले स्थानीय स्तर पर इलाज कराया गया, लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण रांची भेजा गया। रांची में इलाज के दौरान कई दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद मंगलवार को उनकी मृत्यु हो गई।
मौके पर हंगामा और विरोध
जैसे ही शव गांव पहुंचा, ग्रामीणों ने घटनास्थल पर जमा होकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। गुस्साए ग्रामीणों ने मुआवजे की मांग करते हुए शव को सड़क पर रख दिया। उनका कहना था कि जब तक मृतक के परिवार को उचित मुआवजा नहीं दिया जाएगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
ग्रामीणों ने मौके पर काम कर रहे मुंशी को भी घेरकर रख लिया और उसके माध्यम से संवेदक तक सूचना भेजी। लेकिन कई घंटे बीत जाने के बाद भी संवेदक वहां नहीं पहुंचे। इससे लोगों का गुस्सा और भड़क गया। भीड़ और उग्र होती गई और आंदोलन की तैयारी करने लगी।
पुलिस की सक्रियता से हालात काबू में
घटना की जानकारी मिलते ही मोहनपुर थाना प्रभारी पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और मोर्चा संभाला। पुलिस ने परिजनों और ग्रामीणों से बातचीत की और शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस अधिकारियों ने मौके पर मौजूद लोगों को समझाने की कोशिश की कि प्रशासन मामले की जांच कर रहा है और उचित कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने मृतक के परिजनों को आश्वस्त किया कि उनकी मांगों की जानकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) और जिला प्रशासन को भेज दी गई है। फिलहाल माहौल तनावपूर्ण जरूर रहा, लेकिन पुलिस की सक्रियता से स्थिति काबू में रही।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि हादसे के कारण कन्हैया मंडल की जान गई है और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। ऐसे में प्रशासन और संवेदक की जिम्मेदारी बनती है कि मृतक के परिवार को उचित मुआवजा और सहायता राशि प्रदान की जाए।
लोगों का कहना है कि काम के दौरान अगर कोई मजदूर हादसे का शिकार होता है तो ठेकेदार और संवेदक को उसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। लेकिन इस मामले में लापरवाही बरती गई। हादसे के बाद न तो संवेदक ने परिवार का हालचाल लिया और न ही उचित आर्थिक मदद दी।
जांच की मांग तेज
स्थानीय लोग यह भी आरोप लगा रहे हैं कि काम के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई थी। अगर सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होती तो कन्हैया मंडल की जान बचाई जा सकती थी। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि पूरे मामले की जांच कर जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
प्रशासन पर दबाव
देवघर जिले में इस घटना के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय पर मुआवजे और सहायता की घोषणा नहीं की गई तो वे और बड़ा आंदोलन करेंगे।
मृतक के परिवार का कहना है कि कन्हैया मंडल घर के अकेले कमाने वाले सदस्य थे। उनकी मौत के बाद परिवार पूरी तरह टूट गया है। छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी के सामने अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
सामाजिक संगठनों का समर्थन
स्थानीय सामाजिक संगठनों और ग्रामीण नेताओं ने भी मृतक के परिवार को समर्थन दिया है। उनका कहना है कि मजदूरों की सुरक्षा को लेकर संवेदक और ठेकेदार अक्सर लापरवाह रहते हैं। मजदूरों से काम तो कराया जाता है, लेकिन सुरक्षा उपकरण और बीमा जैसी सुविधाएं नहीं दी जातीं।
प्रशासन की ओर से आश्वासन
मोहनपुर थाना प्रभारी ने कहा है कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और ग्रामीणों की मांगों की जानकारी बीडीओ व जिला प्रशासन तक पहुंचा दी गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इलाके में तनाव लेकिन स्थिति नियंत्रण में
घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल जरूर बना, लेकिन पुलिस और प्रशासन की तत्परता से स्थिति पर काबू पा लिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द मुआवजे की घोषणा नहीं की गई तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
देवघर जिले में मजदूर सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। कन्हैया मंडल की मौत ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर मजदूरों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार ठेकेदार और संवेदक कब तक लापरवाह बने रहेंगे। स्थानीय लोग प्रशासन से उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार मृतक के परिवार को न्याय मिलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।