Deoghar: देवघर की नेहा रानी ने पहले ही प्रयास में जेपीएससी परीक्षा में सफलता पाई, गांव और परिवार में जश्न का माहौल

Deoghar: देवघर की नेहा रानी ने पहले ही प्रयास में जेपीएससी परीक्षा में सफलता पाई, गांव और परिवार में जश्न का माहौल

देवघर। बरियारबांधी: एक बार फिर साबित हो गया कि कठिन परिश्रम और समर्पण से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। देवघर जिले के बरियारबांधी गांव की रहने वाली नेहा रानी ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की मुख्य परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त कर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे गांव का नाम गौरवान्वित किया है।

नेहा रानी के इस अभूतपूर्व सफलता की खबर मिलते ही गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। परिजनों, रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों ने मिठाइयाँ बाँटी और ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया। गांव के युवाओं के लिए नेहा एक प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

नेहा रानी एक साधारण परिवार से आती हैं। उनके पिता श्री राजेश कुमार दास एक सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं, जबकि उनकी माता श्रीमती नीतू आनन्द एक गृहिणी हैं। परिवार में शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी गई, जिसका असर नेहा के व्यक्तित्व में साफ दिखाई देता है।

पिता श्री दास ने अपनी बेटी की उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “नेहा ने हमेशा से पढ़ाई में रुचि दिखाई है। हम बस उसका हौसला बढ़ाते रहे और उसने मेहनत से ये मुकाम हासिल किया।” माँ श्रीमती नीतू आनंद ने कहा, “बेटियाँ अगर सपने देखें और उन्हें पूरा करने का अवसर मिले, तो वे किसी से पीछे नहीं हैं। नेहा ने यह सिद्ध कर दिखाया।”

शैक्षणिक सफर

नेहा की प्रारंभिक शिक्षा देवघर के डीएवी पब्लिक स्कूल से हुई, जहाँ से उन्होंने मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का रुख किया, जहाँ से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।

उच्च शिक्षा के प्रति नेहा की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने वर्तमान में रांची विश्वविद्यालय से पीएच.डी. में नामांकन लिया और साथ ही डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची में आवश्यकता आधारित असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर कार्य भी किया।

युवाओं के लिए प्रेरणा

नेहा की सफलता सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन हजारों युवाओं की उम्मीद है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। उन्होंने दिखाया कि लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति से किसी भी प्रतियोगिता में सफलता संभव है।

नेहा ने एक साक्षात्कार में बताया, “मैंने हमेशा खुद पर विश्वास रखा। पढ़ाई के दौरान कई बार कठिनाइयाँ आईं, लेकिन मेरे परिवार का सहयोग और शिक्षकों की मार्गदर्शना ने मुझे आगे बढ़ने की ताकत दी। जेपीएससी की तैयारी के दौरान मैंने रोजाना नियोजित ढंग से पढ़ाई की, और समय-समय पर मॉक टेस्ट और रिवीजन से अपनी कमजोरियों को पहचाना और दूर किया।”

गांव में खुशी की लहर

बरियारबांधी गांव में नेहा की सफलता को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। गांव के सरपंच सहित कई गणमान्य लोगों ने नेहा और उनके परिवार को बधाई दी। गांव के युवाओं में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रति नया उत्साह देखा जा रहा है।

प्रशासनिक सेवा में नयी शुरुआत

जेपीएससी के माध्यम से नेहा को जो पद प्राप्त होगा, वह निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में उनकी मदद करेगा। उनका सपना एक ईमानदार और जनसेवक अधिकारी बनना है, जो आम लोगों की समस्याओं को समझ सके और उन्हें दूर कर सके।

नेहा की कहानी एक उदाहरण है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता।

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