
Deoghar News: बैंक ऑफ महाराष्ट्र देवघर शाखा ने 22 स्वयं सहायता समूहों को 51 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत किया।
देवघर। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और जमीनी स्तर पर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बैंक ऑफ महाराष्ट्र, देवघर शाखा ने आज एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। शाखा की ओर से आयोजित “स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) ऋण लिंकज कार्यक्रम” में 22 स्वयं सहायता समूह खातों को कुल 51 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया। यह पहल न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस प्रयास है, बल्कि ग्रामीण एवं शहरी गरीब वर्ग के वित्तीय उत्थान की दिशा में भी एक प्रेरणादायक कदम है।
कार्यक्रम के दौरान बैंक ऑफ महाराष्ट्र की आंचलिक प्रबंधक शिखा चौधरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र हमेशा से आत्मनिर्भर समूहों और महिला-प्रधान सूक्ष्म उद्यमों के साथ खड़ा रहा है। बैंक का उद्देश्य सिर्फ वित्तीय सहायता प्रदान करना नहीं, बल्कि लोगों को आर्थिक स्वतंत्रता की ओर प्रेरित करना है। श्रीमती चौधरी ने यह भी कहा कि आज के दौर में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी समाज और देश के विकास के लिए अनिवार्य है, और ऐसे कार्यक्रम इस दिशा में मील का पत्थर साबित होते हैं।
उन्होंने बताया कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं छोटे-छोटे व्यवसायों, हस्तशिल्प, डेयरी, बागवानी, सिलाई-कढ़ाई, और अन्य सूक्ष्म उद्योगों में अपना भविष्य संवार रही हैं। बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा दिया गया यह ऋण इन समूहों को अपने व्यवसाय का विस्तार करने और आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगा। उन्होंने बैंक की निरंतर प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम जारी रहेंगे ताकि अधिक से अधिक समूह वित्तीय लाभ प्राप्त कर सकें।
इस अवसर पर देवघर शाखा प्रबंधक पंकज कुमार यादव भी उपस्थित थे। उन्होंने ऋण लिंकज प्रक्रिया को सुगम बनाने में अपनी टीम की भूमिका पर प्रकाश डाला। श्री यादव ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता, त्वरित स्वीकृति और सरल दस्तावेजीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि लाभार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि ये स्वयं सहायता समूह इस वित्तीय सहयोग का सदुपयोग करेंगे और अपने-अपने क्षेत्रों में सफल उद्यमी के रूप में पहचान बनाएंगे।
स्वयं सहायता समूहों का महत्व
भारत में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) ग्रामीण और शहरी गरीब वर्ग के बीच वित्तीय समावेशन का एक मजबूत माध्यम बन चुके हैं। ये समूह सामान्यतः 10 से 20 सदस्यों के होते हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएं शामिल होती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य आपसी सहयोग से छोटी बचत करना और आवश्यकता पड़ने पर ऋण उपलब्ध कराना होता है। सरकारी योजनाओं और बैंकों के सहयोग से एसएचजी अब स्वरोजगार और सूक्ष्म उद्योगों की रीढ़ बनते जा रहे हैं।
देवघर जिले में भी कई एसएचजी वर्षों से सक्रिय हैं, जो महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता और सामाजिक पहचान दिलाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। इन समूहों के माध्यम से महिलाएं न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों पर भी जागरूकता फैला रही हैं।
कार्यक्रम का आयोजन और माहौल
आज आयोजित कार्यक्रम में 22 स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं पारंपरिक परिधानों में, आत्मविश्वास से भरी नजर आईं। कार्यक्रम स्थल पर बैंक अधिकारियों और लाभार्थियों के बीच सीधा संवाद हुआ। बैंक अधिकारियों ने ऋण वितरण प्रक्रिया, पुनर्भुगतान शर्तें, और ब्याज दरों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। लाभार्थियों ने भी अपनी जरूरतों और योजनाओं को साझा किया, जिससे कार्यक्रम का माहौल जीवंत और संवादात्मक बन गया।
इस अवसर पर कई लाभार्थी महिलाओं ने अपने अनुभव भी साझा किए। किसी ने बताया कि वह इस ऋण से सिलाई मशीनें खरीदकर अपना टेलरिंग सेंटर शुरू करेंगी, तो कोई डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देगी। कुछ महिलाओं ने बताया कि वे इस पूंजी का उपयोग कृषि और बागवानी में करेंगे, जिससे उन्हें मौसमी फसल उत्पादन में मदद मिलेगी।
बैंक की पहल का सामाजिक असर
बैंक ऑफ महाराष्ट्र की यह पहल न केवल आर्थिक सहायता तक सीमित है, बल्कि यह महिलाओं के आत्मविश्वास और स्वावलंबन को भी मजबूत बनाती है। आर्थिक स्वतंत्रता पाने के बाद महिलाएं घरेलू निर्णयों में अधिक सक्रिय हो पाती हैं, बच्चों की शिक्षा और परिवार के स्वास्थ्य में निवेश कर पाती हैं। यह बदलाव धीरे-धीरे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
इसके अलावा, समूह आधारित ऋण प्रणाली का एक बड़ा लाभ यह है कि इसमें डिफॉल्ट की संभावना बहुत कम होती है। समूह के सदस्य आपस में एक-दूसरे के लिए गारंटी बनते हैं, जिससे ऋण का समय पर पुनर्भुगतान सुनिश्चित होता है। यह मॉडल बैंकों और लाभार्थियों दोनों के लिए लाभकारी साबित होता है।
भविष्य की योजनाएं
शाखा प्रबंधक पंकज कुमार यादव ने बताया कि आने वाले समय में बैंक ऑफ महाराष्ट्र देवघर शाखा और भी अधिक संख्या में एसएचजी को ऋण उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है। साथ ही, बैंक महिलाओं को उद्यमिता कौशल, वित्तीय प्रबंधन और बाजार से जुड़ाव के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करेगा।
उन्होंने कहा कि ऋण देना सिर्फ शुरुआत है, असली मकसद इन समूहों को सतत विकास की राह पर आगे बढ़ाना है। बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि लाभार्थियों को समय-समय पर मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग मिलता रहे, जिससे वे अपने व्यवसाय में नवाचार और विस्तार कर सकें।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र देवघर शाखा द्वारा आयोजित यह ऋण लिंकज कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास है। 22 स्वयं सहायता समूहों को 51 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत करना न केवल उनके व्यवसायिक सपनों को पंख देगा, बल्कि समाज में आत्मनिर्भरता और विकास की नई कहानी भी लिखेगा।
इस तरह के प्रयास यह साबित करते हैं कि अगर सही समय पर सही दिशा में कदम उठाया जाए, तो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग भी अपनी मेहनत और संकल्प से सफलता की नई ऊंचाइयां छू सकता है। बैंक और समुदाय के बीच यह साझेदारी भविष्य में कई और सफलता की कहानियों को जन्म देगी।