
Deoghar News: बाबा बैद्यनाथ धाम में 200 साल पुरानी बेलपत्र प्रदर्शनी परंपरा का भव्य समापन
भक्ति और परंपरा का संगम : देवघर में संपन्न हुई ऐतिहासिक बेलपत्र प्रदर्शनी।
देवघर। बाबा नगरी देवघर का बाबा बैद्यनाथ धाम न केवल देश बल्कि पूरे विश्व में आस्था और श्रद्धा का केंद्र माना जाता है। यहां की परंपराएं और धार्मिक आयोजन सदियों से भक्तों को आकर्षित करते आए हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक है बेलपत्र प्रदर्शनी और बेलपत्र अर्पण की अनोखी और प्राचीन परंपरा, जो लगभग 200 वर्षों से निरंतर चली आ रही है। यह परंपरा बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में संक्रांति से लेकर अगली संक्रांति तक चलती है और सावन की समाप्ति के साथ इसका समापन होता है।
इस वर्ष इस परंपरा का भव्य समापन रविवार, 17 अगस्त को बांग्ला सावन की समाप्ति के अवसर पर हुआ। दिनभर चले इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन ने बाबा नगरी को आस्था और उत्सव के रंगों से सराबोर कर दिया।
परंपरा का ऐतिहासिक महत्व
बताया जाता है कि बाबा मंदिर प्रांगण में बेलपत्र प्रदर्शनी लगाने और बेलपत्र अर्पण की यह परंपरा करीब दो शताब्दियों पहले शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि समाज और संस्कृति को जोड़ने वाली कड़ी भी है। जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों से कठिन परिश्रम कर बेलपत्र लाने की परंपरा आज भी जारी है। विशेष रूप से तीर्थ पुरोहित समाज के लोग जोखिम और मेहनत उठाकर इन विल्वपत्रों को इकट्ठा करते हैं। इसे बाबा बैद्यनाथ और मां पार्वती पर अर्पित कर विश्वकल्याण की कामना की जाती है।
बेलपत्र को भगवान शिव का सबसे प्रिय पत्र माना जाता है। मान्यता है कि त्रिनेत्र स्वरूप में सजाए गए बेलपत्र से शिवजी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यही कारण है कि श्रद्धालु बड़ी संख्या में इस परंपरा के साक्षी बनने आते हैं।
पूजा-अर्चना और प्रदर्शनी का समापन
रविवार दोपहर 2:30 बजे समापन अवसर पर सभी दलों ने बाबा बैद्यनाथ और मां पार्वती पर बेलपत्र अर्पित कर विधिवत पूजा-अर्चना की। पूरा वातावरण “हर-हर महादेव” और “बोल बम” के जयघोष से गूंज उठा। श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और हर कोई इस ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा बनने को उत्साहित दिखाई दिया।
इसके बाद शाम 6 बजे से शहर में आकर्षक जुलूस निकाला गया। विभिन्न दलों ने अपने-अपने पहाड़ी बेलपत्रों को चांदी और स्टील के बर्तनों में फूलों से सजाकर अलग-अलग स्वरूपों में प्रस्तुत किया। ढोल-नगाड़ों और जयकारों के बीच जब यह जुलूस बाबा नगरी की सड़कों से गुजरा तो श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। शहरभर में आस्था और उत्सव का अद्भुत संगम दिखाई दिया।
विभिन्न समाजों की आकर्षक प्रदर्शनी
समापन अवसर पर अलग-अलग समाजों और दलों ने अपनी-अपनी प्रदर्शनी लगाई, जिसने पूरे आयोजन को भव्यता प्रदान की।
काली मंदिर में जनरेल समाज और देवकृपा वन सम्राट बेलपत्र समाज ने अनोखी प्रदर्शनी प्रस्तुत की।
लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में मसानी दल-1, मसानी दल-2 और शांति अखाड़ा समाज की प्रदर्शनी ने श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया।
तारा मंदिर में बरनेल समाज द्वारा बेलपत्र को विशेष रूप में सजाया गया।
राम मंदिर में राजाराम बेलपत्र समाज ने अपनी परंपरा को जीवंत किया।
वहीं आनंद भैरव मंदिर में पंडित मनोकामना राधेश्याम बेलपत्र समाज के दो दलों ने विल्वपत्र प्रदर्शनी प्रस्तुत की।
प्रत्येक समाज ने बेलपत्र को अद्वितीय त्रिनेत्र स्वरूप में सजाया। कहीं फूलों और चांदी के बर्तनों से सुसज्जित बेलपत्र आकर्षण का केंद्र बने तो कहीं कलात्मक ढंग से सजाए गए बेलपत्र ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
इस मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और देश के अलग-अलग हिस्सों से आए श्रद्धालु उपस्थित रहे। बाबा नगरी की सड़कों पर श्रद्धालुओं की भीड़ इस कदर थी कि हर गली और चौक आस्था के रंगों से भर गया। सभी ने समाजों की ओर से प्रस्तुत प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सामाजिक एकता और सहयोग की मिसाल भी है।
आस्था और परंपरा का संगम
इस आयोजन ने यह साबित किया कि देवघर न केवल आध्यात्मिक नगरी है बल्कि यहां की परंपराएं समाज को जोड़ने और आने वाली पीढ़ियों तक संस्कार पहुंचाने का काम करती हैं। 200 साल पुरानी यह परंपरा आज भी उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाई जा रही है।
श्रद्धालुओं का मानना है कि बेलपत्र अर्पण करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और समस्त कष्टों का निवारण करते हैं। यही कारण है कि लोग दुर्गम जंगलों से बेलपत्र लाकर इसे प्रदर्शनी और पूजा में अर्पित करते हैं।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
आयोजन स्थल पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि बाबा नगरी की यह परंपरा अनोखी है। “हर साल सावन की समाप्ति पर बेलपत्र प्रदर्शनी का इंतजार रहता है। यह न केवल धार्मिक आयोजन है बल्कि हमारी संस्कृति और विरासत को जीवित रखने का भी साधन है,” श्रद्धालुओं ने कहा।
कई श्रद्धालु बेलपत्र की त्रिनेत्र सजावट देखकर भावुक हो उठे। उन्होंने बताया कि इस अनोखी प्रदर्शनी में समाज के प्रत्येक सदस्य का योगदान रहता है और यही सहयोग इसे भव्य और अद्वितीय बनाता है।
बाबा बैद्यनाथ धाम में 200 वर्षों से चली आ रही बेलपत्र प्रदर्शनी और बेलपत्र अर्पण की परंपरा का यह समापन समारोह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद खास है। इस आयोजन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देवघर की आस्था, संस्कृति और परंपरा की पहचान दुनिया में अलग है।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़, समाजों की भागीदारी और बेलपत्र की अनोखी सजावट ने इस वर्ष के आयोजन को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बना दिया। सचमुच, बाबा बैद्यनाथ धाम की यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और आस्था का अनमोल धरोहर है।