
Deoghar News: बाबा बैद्यनाथ मंदिर थाना पहुंचे सांसद निशिकांत दुबे, गिरफ्तारी देने का किया प्रयास।
देवघर। बाबा बैद्यनाथ मंदिर के गर्भगृह में कथित रूप से जबरन प्रवेश और धक्का-मुक्की के मामले में दर्ज एफआईआर को लेकर शनिवार को गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने मंदिर थाना पहुंचकर अपनी गिरफ्तारी देने का प्रयास किया। हालांकि थाना प्रभारी ने उनकी गिरफ्तारी नहीं ली और उन्हें बताया कि मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में भेजा गया है तथा एफआईआर की अभी स्वीकृति नहीं हुई है।
सांसद निशिकांत दुबे सीता होटल के समीप से पैदल चलते हुए मंदिर थाना पहुंचे। थाना प्रभारी के चैंबर में उन्होंने औपचारिक रूप से गिरफ्तारी देने की बात कही। इस मौके पर उन्होंने मीडिया से कहा, “थाना प्रभारी ने बताया कि एफआईआर की स्वीकृति नहीं हुई है। जब स्वीकृति होगी तो धारा 41 के तहत तीन बार नोटिस दिया जाएगा। अगर गिरफ्तारी की संभावना बनेगी, तो गिरफ्तारी होगी। मैं भगोड़ा नहीं हूं। दिल्ली में गिरफ्तारी के डर से यहां के एक मुखिया भागे थे, लेकिन मैं यहां का सांसद हूं, चार बार जनता ने मुझे चुनकर भेजा है, ताकि उनके लिए संघर्ष कर सकूं।”
दुबे ने कहा कि यह उनके खिलाफ दर्ज 51वां मामला है। इस एफआईआर में उनके अलावा उनकी पत्नी, बड़े बेटे, भाई और मां का नाम भी शामिल है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा बार-बार झूठे मुकदमे दर्ज कर उन्हें परेशान किया जा रहा है। “जितनी बार केस करेंगे, उतनी बार मैं गिरफ्तारी देने आऊंगा। अगर मैंने गलती की है, तो पुलिस मुझे गिरफ्तार करे। लेकिन सांसद होने के नाते संविधान की धारा 105 के तहत मुझे कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं, जिनमें बोलने का अधिकार शामिल है।”
उन्होंने बताया कि उन्होंने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी, डीसी, एसपी और डीआईजी के खिलाफ संसद में प्रिविलेज मोशन दायर किया है, जिसकी सुनवाई सोमवार को होगी। “संसद में पूछा जाएगा कि किस आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया। मैं गाय तस्करी रोकता हूं तो मुझ पर केस होता है। मैं सुरक्षा समिति और ट्रैफिक एडवाइजरी कमेटी का इंचार्ज हूं, संविधान ने मुझे यह अधिकार दिया है। आरएसएस के विभाग प्रचारक को बचाने जाता हूं तो केस होता है। मेरे परिवार द्वारा नीलामी में कुछ खरीदने पर चार-चार केस कर दिए जाते हैं। इस तरह फिल्मी आधार पर एफआईआर की जा रही है।”
सांसद ने खुद को मंदिर का ट्रस्टी बताते हुए कहा कि संबंधित मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है। “अगर मैंने धक्का दिया होता, तो पुलिस वाले को एफआईआर करनी थी, लेकिन उसने नहीं की। मजिस्ट्रेट, जो वहां का इंचार्ज है, उसने भी मुकदमा नहीं किया। अब एक ऐसा व्यक्ति, जो अवैध रूप से गर्भगृह में प्रवेश किया, उसने केस दर्ज कराया और उसी के आधार पर पुलिस एफआईआर कर रही है।”
उन्होंने कहा कि देवघर से लेकर संसद तक वे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। “मैं जनता का प्रतिनिधि हूं, मुझे उनकी समस्याओं के लिए आवाज उठाने से कोई रोक नहीं सकता। अगर प्रशासन सोचता है कि झूठे केस दर्ज करके मुझे डराया जाएगा, तो यह उनकी भूल है। कानून का पालन करना मेरी जिम्मेदारी है, लेकिन जहां अन्याय होगा, वहां आवाज उठाना भी मेरा कर्तव्य है।”
गौरतलब है कि हाल ही में बाबा मंदिर के निकास गेट से कथित रूप से जबरन प्रवेश के मामले में गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे, दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें धक्का-मुक्की, धार्मिक स्थल की गरिमा भंग करने और अन्य धाराएं शामिल की गई थीं। अब मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में लंबित है।
मंदिर थाना में निशिकांत दुबे के पहुंचने के बाद वहां काफी संख्या में समर्थक भी जुट गए। समर्थकों ने नारेबाजी कर सांसद के समर्थन में माहौल बनाया। वहीं, पुलिस प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखी। फिलहाल, मामले की अगली सुनवाई और एफआईआर की स्वीकृति के बाद ही आगे की कानूनी प्रक्रिया तय होगी।
सांसद ने दोहराया कि वे हमेशा कानून के दायरे में रहकर संघर्ष करेंगे और किसी भी तरह के दमन के आगे झुकेंगे नहीं। उन्होंने कहा, “मैं जनता के लिए चुना गया हूं, और जब तक जनता का विश्वास है, मैं अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहूंगा।”