
Deoghar: बसंत पंचमी बाबा के तिलक को लेकर मिथिला वासियों से पटी बाबा नगरी
बसंत पंचमी पर शीघ्र दर्शनम के लिए भक्तों को देने होंगें 600 रुपरे
बसंत पंचमी को लेकर तैयारी पुरी
26 फरवरी महाशिवरात्री के दिन बाबा का होगा विवाह
देवघर। बसंत पंचमी पर बाबा के तिलकोत्सव को लेकर पुरी बाबा नगरी मिथिलावासियों से पट गई है। बाबा नगरी मिथिला के रंग में रंग गई है। हर तरफ मिथिला वासी ही नजर आ रहे हैं। बिहार के मिथिलांचल से लोग बाबा के तिलक को लेकर बाबा नगरी पहुंचने लगे हैं। बाबा मंदिर से शिवगंगा आसपास के क्षेत्र में कहीं तिल रखने तक की जगह नहीं है। शहर के सभी सरकारी स्कूल एवं खाली मैदान में इन लोगों का डेरा जमा हुआ है। बसंत पंचमी को बाबा के तिलक को लेकर मिथिला वासी बाबा धाम पहुंचते हैं और बाबा का जलाभिषेक करने के बाद बाबा का तिलक करते हैं और एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली खेलते हैं और तिलक की रस्म पूरी की जाती है। यह परंपरा बरसों से चली आ रही है। माता पार्वती मिथिला की बेटी होने के कारण मिथिला वासी अपने आप को मां पार्वती का भाई मानते हैं और बसंत पंचमी के दिन बाबा के तिलक को लेकर प्राचीन परिवेश में ही बाबा धाम पहुंचते हैं। बसंत पंचमी को लेकर लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा धाम पहुंच चुके हैं। शहर के सभी सरकारी स्कूल खाली मैदान में हर तरफ राम सीता राम के भजन सुनाई पड रहे हैं। सोमवार को बाबा का तिलक करने के पश्चात यह सभी यहां से प्रस्थान करेंगे। मंदिर कपाट बंद होने तक लगभग 65 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने आज बाबा की पूजा अर्चना की
बसंत पंचमी मेला को लेकर होने वाली भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा कमर कस ली गई है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। भक्तों को कतारबद्ध तरीके से जलार्पण कराने के लिए क्यू कंपलेक्स शिवराम झा चौक जलसार रोड तक लाइन की व्यवस्था की गई है। रविवार को भी सभी श्रद्धालुओं को शिवराम झा चौक से ही प्रवेश कराया जा रहा था। जिसकी निगरानी सीसीटीवी कंट्रोल रूम में बैठकर मंदिर प्रभारी सह एसडीओ रवि कुमार सुबह से ही कर रहे थे ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो एवं सुगमता पूर्वक जलार्पण कराया जा सके
वही शीघ्र दर्शनम के लिए पाठक धर्मशाला सुविधा केंद्र से होते हुए पेड़ा गली से लेकर नथबादी तक कतार की व्यवस्था की गई है। रविवार को अहले सुबह से ही बाबा का जलाभिषेक के लिए भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो गई। बाबा के जलाभिषेक के लिए जनरल कतार में श्रद्धालु को सात से आठ घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा था। वही शीघ्र दर्शनम में भी तीन से चार घंटे तक श्रद्धालुओं को इंतजार करना पड़ रहा था। जगह-जगह पुलिस और दंडाधिकारी की तैनाती की गई है ताकि कांवरियों की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।देर शाम तक रविवार को जलार्पण का सिलसिला चलता रहा।
सोमवार बसंत पंचमी के दिन शीघ्र दर्शनम् के कूपन का रेट 300 रुपया से बढ़कर 600 रुपया निर्धारित की गई है।सोमवार को सभी श्रद्धालुओं को शीघ्र दर्शनम के लिए 600 का भुगतान करना पड़ेगा। आम दिनों में शीघ्र दर्शनम का शुल्क 300 रखा गया है। वहीं विशेष दिनों 1 जनवरी बसंत पंचमी शिवरात्रि एवं सावन व भादो महीने में यह रेट 600 तक रखा जाता है। इस बार भी बसंत पंचमी के दिन शीघ्र दर्शनम के लिए भक्तों को 600 का भुगतान करना पड़ेगा।
बसंत पंचमी मेला देवघर का सबसे प्राचीन मेल माना जाता है प्राचीनकाल से ही इस मेले में मिथिला वासी बाबा के तिलक के लिए पहुंचते हैं। यही खासियत है कि इस मेले में आज भी प्राचीन परंपरा की झलक देखने को मिलती है। इस मेले में आने वाले श्रद्धालु मोटे-मोटे बांस के कांवर लेकर सुल्तानगंज से देवघर पहुंचते हैं और कांवर में ही इनका सारा जरूरत का सामान मौजूद रहता है। इसके साथ ही ये किसी होटल या धर्मशाला में नहीं रुकते। शहर के खाली मैदान एवं सरकारी स्कूलों में ही खुले आसमान के नीचे इनका डेरा रहता है और चार दिनों तक यहां भजन कीर्तन करने के पश्चात बसंत पंचमी के दिन बाबा का तिलक करके लोग यहां से प्रस्थान करते हैं और बसंत पंचमी के दिन से ही मिथिला वीडियो की होली की शुरुआत हो जाती है।
सोमवार बसंत पंचमी तिलकोत्सव अवसर पर बाबा बैद्यनाथ की विशेष पूजा की जायेगी। इस अवसर पर बाबा को अबीर-गुलाल चढ़ाया जायेगा। इसके साथ ही उन्हें मालपुआ का विशेष भोग लगाया जायेगा। बसंत पंचमी से बाबा वैद्यनाथ व मां पार्वति को फाल्गुन पूर्णिमा तक अबीर गुलाल चढ़ाया जायेगा। सोमवार सुबह प्रातःकालीन पुजा के समय बाबा की विशेष पूजा की जायेगी, इसके साथ ही बाबा को अबीर व आम्रमंजर अर्पित किया जायेगा। वहीं शाम लगभग साढे छह बजे तिलकोत्सव पूजा शुरू होगी। इस अवसर पर लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रांगण में आचार्य श्रीनाथ पंडित, पुजारी व मंदिर उपचारक की उपस्थिति में पंचोपचार विधि से पूजा की जाएगी। जिसमें बाबा व मां पार्वति के निमित्त आम्र मंजर, अबीर, पान, पंचमेवा, फल आदि चढ़ाया. उन्हें मालपुआ विशेष भोग लगाया जायेगा। इसके बाद बाबा का श्रृंगार पूजा पुन शुरू किया जाएगा। इसके बाद बाबा भोलेनाथ को आबीर व गुलाल से भर दिया जायेगा।