देवघर। बाबा बैद्यनाथ धाम में आयोजित होने वाला श्रावणी मेला झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु जलार्पण के लिए 10 किलोमीटर की पवित्र यात्रा तय कर देवघर पहुंचते हैं। इस दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जिला प्रशासन की ओर से विशाल स्तर पर अस्थायी पंडाल, मोबाइल शौचालय, पीने के पानी की व्यवस्था, मार्ग प्रकाश, चिकित्सा शिविर सहित कई प्रकार के अस्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर खड़े किए जाते हैं। श्रावणी मेला समाप्त होते ही अगले वर्ष के लिए तैयारी शुरू हो जाती है। इसी क्रम में रविवार को पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने देवघर पहुंचकर जिला प्रशासन और विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की।

इस बैठक में श्रावणी मेला 2025 की तैयारी और इससे संबंधित सभी आवश्यक बिंदुओं पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया। मंत्री ने स्पष्ट कहा कि श्रावणी मेला सदियों पुराना धार्मिक आयोजन है और हर वर्ष इसमें आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है। ऐसे में सिर्फ अस्थायी इंतजामों के भरोसे काम नहीं चल सकता। वर्षों से बांस-बल्ले से पंडाल और अन्य अस्थायी ढाँचे तैयार किए जाते रहे हैं, जबकि इनकी स्थिरता और दीर्घकालिक उपयोगिता शून्य रहती है। इसी मुद्दे को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस बार एक बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि अब तक श्रावणी मेला में जितने भी महत्वपूर्ण काम बांस-बल्ले, कपड़े और टिन से अस्थायी रूप में तैयार किए जाते थे, इस बार उन्हें चरणबद्ध तरीके से स्थायी (Permanent Infrastructure) बनाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए विभागीय स्तर पर विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है और इसे अलग-अलग फेज में लागू किया जाएगा। इस स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से न केवल हर वर्ष दोबारा मेहनत और समय की बचत होगी, बल्कि सरकारी खर्च में भी भारी कमी आएगी।
मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने बताया कि देवघर में आने वाले श्रद्धालुओं को सुगम, सरल और व्यवस्थित दर्शन का अनुभव कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। श्रावणी मेला के दौरान लाखों की संख्या में कांवरिये और श्रद्धालु पहुँचते हैं। हर साल अस्थायी ढाँचे स्थापित करने में भारी जनबल, अधिक समय और करोड़ों रुपये की लागत लगती है। इसके बावजूद बारिश, भीड़ और अन्य चुनौतियों के कारण कई बार व्यवस्थाएँ प्रभावित हो जाती हैं। इसे देखते हुए स्थायी ढाँचे बनाना समय की मांग है।
उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में देवघर की धार्मिक पहचान को और मजबूत किया जाएगा। फिक्स्ड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होने से न केवल श्रावणी मेला, बल्कि वर्ष भर आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को भी सुविधा मिलेगी। सरकार की मंशा है कि बाबा बैद्यनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं को हर मौसम में आरामदायक और सुरक्षित माहौल मिले। इसके लिए स्थायी मार्ग प्रकाश व्यवस्था, बड़े वेंटिलेटेड शेड, मेडिकल सुविधाएँ, पीने के पानी की व्यवस्था, बैरिकेडिंग, सुरक्षा कवच, सीसीटीवी नेटवर्क और पार्किंग व्यवस्था को अपग्रेड किया जाएगा।
बैठक में जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया कि वे श्रावणी मेला 2024 के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए समस्याओं की सूची तैयार करें ताकि इस बार आने वाले श्रद्धालुओं को पहले से ज्यादा बेहतर सुविधा प्रदान की जा सके। साथ ही, विभिन्न विभागों को समय-bound एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्री ने कहा कि देवघर आने वाले श्रद्धालु केवल भक्त नहीं, बल्कि हमारे राज्य के ब्रांड एंबेसडर होते हैं। उनकी सुविधा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण कार्यों को इस तरह डिजाइन किया जाए कि आने वाले युगों-युगों तक यहाँ पहुँचने वाले श्रद्धालुओं को लाभ मिलता रहे। मेला क्षेत्र में स्थायी ढाँचा होने से भविष्य में किसी भी आपात स्थिति से निपटना भी आसान होगा। राहत और बचाव कार्यों के लिए भी बेहतर मोबिलिटी और मार्ग उपलब्ध कराए जाएंगे।
मंत्री द्वारा बैठक के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया कि वे समय रहते सभी विभागों के साथ समन्वय करें और श्रावणी मेला की तैयारी को उच्च प्राथमिकता पर रखें। श्रावणी मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि देवघर की अर्थव्यवस्था, पर्यटन और स्थानीय रोजगार से भी सीधा संबंध रखता है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं के आगमन से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर बनने से यह रोजगार और भी मजबूत होगा और देवघर टूरिज्म को नए आयाम मिलेंगे।
अंत में मंत्री ने कहा कि देवघर आज सिर्फ झारखंड का नहीं, बल्कि पूरे देश का प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है। बाबा बैद्यनाथ धाम को विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस करना सरकार की जिम्मेदारी है और इस दिशा में तेजी से काम शुरू कर दिया गया है। आगामी श्रावणी मेला 2025 में श्रद्धालुओं को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित, सुव्यवस्थित और सहज दर्शन का अनुभव मिलेगा।
