
Deoghar: टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन नेशनल एग्जीक्यूटिव कमिटी की बैठक सह अधिवेधन सम्पन्न
देवघर। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन के नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग सह अधिवेशन का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में शिक्षकों ने बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित की,संख्या बल भी अच्छी थी। मौके पर इस दौरान संस्था से जुड़े सभी जिलों और राज्यों के प्रतिनिधियों ने उपस्थिति दर्ज करवाई। इस दौरान मुख्य रूप से एआईएफटीओ के राष्ट्रीय महासचिव छगनलाल रोज और मुख्य संरक्षक सुनील खबाड़े,गुजरात के प्रतिनिधि हितेश भाई आर पटेल, एम सी सलाबुद्दीन केरला, श्रीपाल रेड्डी पिंगली, तेलंगाना, सी एल रोज, हरि सिंह मिथर्वाल राजस्थान, प्रेमलाल शर्मा हिमाचल प्रदेश, पद्मा गोली तेलंगाना सहित अन्य राज्य के प्रतिनिधि मौजूद थे। इस अधिवेधन में नेशनल एग्जीक्यूटिव कमिटी की बैठक भी आयोजित की गई मुख्य रूप से सरकारी शिक्षा की स्थिति में सुधार लाना, शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त करना सारे राज्यों में सिलेबस एक समान हो रिटायरमेंट की अवधि और वेतनमान भी एक समान इन सभी चीजों को लेकर चर्चा की गई। अधिवेशन के विषय में मुख्य संरक्षक सुनील खवाड़े ने बताया कि झारखंड स्टेट का अधिभेशन था। मौके पर सभी पुराने पदाधिकारी जो थे वे सर्वसम्मति से पुनः निर्बिरोध निर्वाचित हुए हैं,इसकी घोषणा संगठन के महामंत्री ने किया है। वहीं एक सवाल के जवाब में कहा कि मैं जिम्मेवारी के साथ हूं एक आंदोलन कारी रहा हूँ,झारखण्ड आंदोलन में हमने शिबू सोरेन के साथ बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।यह एक अच्छी जिम्मेवारी है। शिक्षक भाइयों को हम उनके अधिकार को लेकर उन्हें जगा रहें हैं और शिक्षकों की उपस्थित बता रही है कि उनमें भी कितनी जागृति है। पहले की तय कर लिया था कि एफ टो का जो मीटिंग था उसे हमने अधिवेधन के तौर पर इस्तेमाल किया है ताकि हम शिक्षकों को सुन सके हमारा संगठन अब इनकी समस्याओं के निराकरण को लेकर केंद्र तक जाएगा। वहीं मौके पर राष्ट्रीय महासचिव छगनलाल रोज ने कहा कि आज के अधिवेशन में जो मुख्य निर्णय लिया गया है,कि शिक्षकों की नियुक्ति की परिक्रिया पूरे देश मे एक समान हो।हर राज्य में शिक्षकों की पे इस्केल अलग अलग है वह भी एक समान हो, रिटायरमेंट की भी अवधि जो हर राज्यों में अलग अलग है वह भी एक समान हो साथ ही स्कूल के लिए भी स्कूल ग्रांट कमीशन बने। पूरे देश में बच्चों की पढ़ाई के लिए सलेबस भी एक समान हो ताकि दूसरे राज्य से अगर कोई बच्चे विभिन्न राज्यों में जाएं तो आसानी से उनकी एडमिशन हो और सिलेबस भी सेम हो इससे उन्हें लाभ मिलेगा। इस दौरान शिक्षकों ने अभी अपनी अपनी भावनाओं को अधिवेधन में रखा।
