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Deoghar: जिस मां ने 20 साल पहले एक अनाथालय में छोड़ी थी अपनी बेटी, अब वही बेटी ढूंढ रही है भारत अपनी मां को।
देवघर। स्पेन से आयी 21 साल की स्नेहा 17 दिनों से अपनी मां, अपनी जड़ों को तलाश रही है। वह उस मां की तलाश में भटक रही है, जिसने 20 साल पहले उसे और उसके दुधमुंहे भाई को एक अनाथालय में छोड़ दिया था।
वही स्नेहा अब अपनी उस जैविक मां की तलाश में स्पेन से भारत लौटी है। बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में शोधकर्ता के रूप में काम कर रही स्नेहा अपनी जड़ों का पता लगाना चाहती है, लेकिन उन्हें अपने अतीत के बारे में बहुत कम याद है।
स्नेहा ने बताया, स्पेन से भुवनेश्वर तक की मेरी यात्रा का उद्देश्य मेरे जैविक माता-पिता, खासकर मेरी मां को ढूंढना है। मैं उन्हें ढूंढना चाहती हूं और उनसे मिलना चाहती हूं। मैं इस यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हूं, भले ही यह कठिन हो। इतने दिनों उन्हें ढूंढ रही हूं, पर उनका कुछ पता नहीं चला है।
सोमवार तक मां नहीं मिलती है, तो वे दोबारा उनकी तलाश में मार्च में वापस आयेंगे। स्नेहा के स्पेनिश माता-पिता जेमा विडेल और जुआन जोस उनकी इस खोज में उनका साथ दे रहे हैं। जेमा तोस्नेहा के साथ उनके गृह राज्य ओडिशा आये हुए हैं। जेमा भी स्नेहा की जैविक मां की तलाश में जुटी हैं।
बात 2005 की है, जब बनलता दास ने अबोध स्नेहा और उसके नन्हे से भाई सोमू को भुवनेश्वर के एक अनाथालय में छोड़ दिया था। दोनों को बाद में उसी अनाथालय ने आश्रय दिया। स्नेहा उस समय सिर्फ एक साल की थी और उसका भाई कुछ महीने का था। विडेल और जोस ने स्नेहा और उनके भाई को 2010 में गोद लिया था।
उनके स्पेनिश माता-पिता ने भाई-बहनों को जीवन में सब कुछ दिया है और उन्हें कभी ऐसा महसूस नहीं होने दिया कि उन्हें गोद लिया गया है। दंपती ने उन्हें बेहतरीन शिक्षा और अपनी पसंद के हिसाब से निर्णय लेने की आजादी दी।
स्पेन के जरागोजा शहर में योग शिक्षक जेमा के साथ स्नेहा पिछले साल 19 दिसंबर को भुवनेश्वर पहुंची और वे एक होटल में रह रहे हैं। सोमू स्पेन में है. जेमा ने कहा कि हमें स्पेन वापस लौटना होगा, क्योंकि स्नेहा एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हो गयी है, जिसे रोका नहीं जाना चाहिए. अगर हमें इस बार बनलता नहीं मिलती है, तो हम मार्च में भुवनेश्वर वापस आयेंगे।