
Deoghar: बाबा मंदिर प्रांगण स्थित सभी मंदिरों के शिखर से पंचशूल उतारना शुरू
बाबा मंदिर प्रांगण स्थित प्रथम पूज्य गणेश भगवान मंदिर के शिखर से पंचशूल उतर गया
देवघर। महाशिवरात्रि को लेकर बाबा मंदिर प्रांगण स्थित सभी 22 मंदिरों का पंचशूल फागुन मास कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि के दिन राजू भंडारी एवं चिंतामणि भंडारी के नेतृत्व में सर्वप्रथम भगवान गणेश जी के मंदिर के शिखर से पंचशूल उतरना शुरू किया गया जिसको लेकर लोगों की भीड़ पांचशूल को स्पर्श करने के लिए लग गई मुख्य प्रबंधक रमेश प्रयास ने पंचुल को अपने कंधे पर लेकर बाबा मंदिर प्रशासनिक भवन पहुंचा जहां पर लोगों की भीड़ लगी रही इसके बाद पंचशूल की साफ सफाई शुरू की गई अब प्रत्येक दिन अलग-अलग मंदिरों के शिखर पर से पांचशूल उतर जाएगा जिसमें बता दे की 17 फरवरी से लेकर 23 फरवरी तक सभी मंदिरों के शिखर से पंचशूल उतार दिया जाएगा इसके बाद 24 फरवरी को बाबा एवं माता पार्वती के शिखर से पंचशू उतारा जाएगा इसके बाद बाबा मंदिर प्रांगण में दोनों का मिलान कराया जाएगा इसके बाद सभी पांचशूलों को बाबा मंदिर स्थित प्रशासनिक भवन में रखा जाएगा जहां पर साफ सफाई के बाद 25 फरवरी को पूरे विधि विधान के साथ सभी पांचशूलों का पूजा अर्चना कर मंदिर के दीवान के द्वारा कपड़े में विशेष मंत्र लिखकर सभी पंचशूलों मैं बंदा जाएगा इसके बाद मंदिर के शिखर पर पांचशू स्थापित किया जाएगा जिसको लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंचशूल का स्पर्श करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है जिसके लिए पुलिस प्रशासन की तैनाती विधि व्यवस्था को लेकर की जाती है तीर्थ पुरोहित पप्पू झा बताया कि साल में एक बार सभी मंदिरों के शिखर पर से पंचशूल उतर जाता है यह परंपरा सदियों से चली आ रही है महाशिवरात्रि के 8 दिन पूर्व से पंचशूल को पूरे विधि विधान के साथ उतर जाता है इसके बाद उसकी साफ सफाई की जाती है पुराने एवं ग में इसका वर्णन है सारे संसार में एकमात्र बाबा बैद्यनाथ धाम स्थित मंदिरों में पंचशूल स्थापित है यह पंचशूल प्रकांड विद्वान एवं महान शिव भक्त रावण के द्वारा स्थापित की गई थी ताकि मंदिर की सुरक्षा हो सके पंचशूल पांच तत्वों से बना हुआ है
इसका मूल मंत्र स्वयं बाबा भोलेनाथ ने शुक्राचार्य को बताया था और शुक्राचार्य ने इस मंत्र विद्या को रावण को बताया था और रावण ने अपने लंका के मुख्य द्वार पर पंचशूल स्थापित किया था जिसके कारण श्रीराम कई बार लंका पर चढ़ाई करने गए और वापस लौटना पड़ा था तब विभीषण ने इस भेद को खोला था की पंचशूल हर और हरी के मिलन के पश्चात दिव्यास्त्र से भांग होगा इसके बाद हनुमान जी ने श्री राम को अपने कंधे पर उठाकर इस पंचशूल का भेदन किया था इस पंचशूल को रावण ने बाबा वैद्यनाथ मंदिर की सुरक्षा के लिए शिखर पर स्थापित किया था क्षितिज जल पावक गगन समीरा के तत्व से पंचशूल का निर्माण हुआ था जिसको महाशिवरात्रि के दिन फिर से विशेष पूजा अर्चना कर स्थापित किया जाएगा