
देवघर। देवताओं की उपासना करने के लिए देवत्व प्राप्त करना आवश्यक: स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज
देवघर, निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज चार दिवसीय बिहार – झारखंड प्रवास के बाद रविवार को दिल्ली होते हुए हरिद्वार के लिए रवाना हो गए। रवाना होने से पूर्व उन्होंने बाबा बैद्यनाथ मंदिर में अभिषेक और वंदन का सौभाग्य प्राप्त किया तथा हजारों भक्तों से मिले।
इस अवसर पर उन्होंने कहा, “भक्तों की भक्ति को भगवान सहर्ष स्वीकार करते हैं, लेकिन देवताओं की उपासना और आराधना के लिए देवत्व प्राप्त करना होता है।” उन्होंने यह भी कहा कि महादेव स्वयं अपने भक्तों को सेवा का अवसर देते हैं।
स्वामी कैलाशानंद ने समाज में वीआईपी संस्कृति की आलोचना करते हुए कहा कि धार्मिक स्थलों में सबको समान भाव से स्थान मिलना चाहिए और जीवन सात्विक तरीके से जीना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक व्यक्ति भक्त नहीं बनता, जीवन अधूरा लगता है।
प्रवास के दौरान उन्होंने पंडा धर्मरक्षिणी सभा, बैद्यनाथ कीर्तन मंडली, नरेंद्र मोदी विकास मिशन के पदाधिकारियों समेत अनेक गणमान्य लोगों से मुलाकात की। उन्हें प्रतीक्षा रानी द्वारा बाबा बैद्यनाथ का स्मृति-चिह्न भी भेंट किया गया।
हरिद्वार लौटने के उपरांत सोमवार को उनके आश्रम में विशेष पूजन और मंगलवार को 25,000 श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है।