Deoghar: दर्दनाक हादसा: देवघर में खेल-खेल में कुएं में डूबे दो मासूम, गांव में छाया मातम।

Deoghar: दर्दनाक हादसा: देवघर में खेल-खेल में कुएं में डूबे दो मासूम, गांव में छाया मातम।

देवघर जिला के सोनारायठाढी थाना क्षेत्र अंतर्गत विराजपुर गांव से एक अत्यंत हृदयविदारक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। शनिवार की दोपहर गांव के पास स्थित एक पुराने और असुरक्षित कुएं में नहाते वक्त फिसलने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। मृतक बच्चों की पहचान राजेश दास (उम्र 5 वर्ष) और अमित दास (उम्र 7 वर्ष) के रूप में हुई है। दोनों बच्चे चचेरे भाई थे और गांव में एक ही परिवार से ताल्लुक रखते थे।

घटना की जानकारी जैसे ही गांव में फैली, पूरे इलाके में मातम पसर गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, शनिवार की दोपहर दोनों बच्चे अपने घर के नजदीक स्थित एक पुराने कुएं के पास खेलते-खेलते नहाने लगे थे। यह कुआं काफी पुराना और बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के खुला हुआ था। नहाते समय पैर फिसल जाने के कारण दोनों मासूम सीधे कुएं में जा गिरे। कुएं की गहराई और पानी के कारण वे बाहर नहीं निकल सके और डूबते चले गए।

हादसे के वक्त दोनों बच्चों के परिजन खेतों में काम करने गए हुए थे। गांव में बच्चों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग घटनास्थल की ओर दौड़े। जब तक लोग कुएं के पास पहुंचे और बच्चों को बाहर निकाला, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। ग्रामीणों ने तत्परता दिखाते हुए दोनों बच्चों को बाहर निकाला और आनन-फानन में उन्हें इलाज के लिए देवघर सदर अस्पताल ले जाया गया।

लेकिन वहां मौजूद डॉक्टरों ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार, कुएं में गिरने के बाद दम घुटने और डूबने की वजह से उनकी मौत हो चुकी थी। इस खबर के साथ ही गांव में कोहराम मच गया। परिजनों की चीखें सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। छोटे-छोटे मासूम बच्चों की ऐसी असमय मौत ने गांव के हर व्यक्ति को झकझोर दिया है।

सूचना मिलते ही सोनारायठाढी थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। पुलिस ने शवों को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजने की प्रक्रिया पूरी की और घटना की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह हादसा एक दुर्घटना के रूप में सामने आया है। हालांकि पुलिस द्वारा सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए मामले की गंभीरता से पड़ताल की जा रही है।

ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में कई ऐसे पुराने कुएं हैं जो वर्षों से खुले हुए हैं और जिन पर न तो कोई ढक्कन है, न ही कोई सुरक्षा दीवार। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे जानलेवा खुले कुएं को जल्द से जल्द ढंका जाए या फिर उनके चारों ओर मजबूत सुरक्षा घेरा बनाया जाए ताकि भविष्य में कोई और मासूम इस तरह की दुर्घटना का शिकार न हो।

स्थानीय मुखिया, जनप्रतिनिधि और समाजसेवियों ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर पीड़ित परिवार को सांत्वना दी और प्रशासन से उचित मुआवजे की मांग की। ग्रामीणों ने यह भी मांग की कि सरकार इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जिला स्तर पर ठोस नीति बनाए, विशेषकर उन गांवों में जहां पुराने जलस्रोत अभी भी खुले पड़े हैं।

इस दुखद हादसे से न केवल विराजपुर गांव, बल्कि आसपास के इलाके में भी शोक की लहर दौड़ गई है। हर कोई इस त्रासदी को लेकर स्तब्ध है कि महज कुछ पलों की चूक और लापरवाही ने दो मासूम जिंदगियों को छीन लिया। गांव में अंतिम संस्कार के वक्त पूरा माहौल गमगीन हो गया था। हर आंख नम थी और हर दिल बच्चों की असामयिक मौत पर शोकाकुल।

यह हादसा एक बार फिर यह सोचने को मजबूर करता है कि गांवों में अब भी कितनी बुनियादी सुरक्षा व्यवस्थाओं का अभाव है। यदि समय रहते इन कुओं की सुरक्षा पर ध्यान दिया गया होता, तो शायद आज दो घरों के चिराग बुझने से बच सकते थे।

प्रशासन से यह अपेक्षा की जा रही है कि इस घटना को एक चेतावनी के रूप में लेते हुए जिलेभर में ऐसे सभी असुरक्षित जलस्रोतों की पहचान कर जल्द से जल्द उनकी घेराबंदी की जाए। साथ ही, जनजागरूकता अभियान चलाकर ग्रामीणों को यह समझाने की जरूरत है कि ऐसे स्थानों पर बच्चों को अकेले न भेजें और हमेशा सतर्कता बरतें।

फिलहाल, गांव के लोग शोक संतप्त परिवार के साथ खड़े हैं और प्रशासन से न्याय एवं सहायता की उम्मीद लगाए बैठे हैं। देवघर प्रशासन के लिए यह समय संवेदनशीलता और तत्परता दोनों दिखाने का है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं दोहराई न जाएं।

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