
Deoghar: पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं रखती है वट सावित्री का व्रत।
– 5 जुन बुधवार को महिलाऐं रखेंगी उपवास
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– 6 जुन गुरुवार को महिलाऐं करेंगी वट पूजा
देवघर। हिंदू धर्म में पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं साल भर में कई विशेष तिथि और त्योहार पर व्रत रखती हैं, उन्हीं में से एक है
वट सावित्री व्रत है. वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. इस साल यह तिथि 6 जून गुरुवार को होगा. मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी. इस लिए महिलाएं इस व्रत को मनाती है और अपने पति की दीर्घायु का आशीर्वाद मांगती है.
इस दिन सभी सुहागन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा अर्चना कर पति की लंबी आयु की कामना करती है. पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस लाया था. इस कारण से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि जो स्त्री सावित्री के समान यह व्रत करती है उसके पति पर भी आनेवाले सभी संकट इस पूजन से दूर होते है.
इस दिन महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ के नीचे पुरी श्रद्धा से सावित्री-सत्यवान का पूजन करती व कथा सुनती हैं. इस व्रत के परिणामस्वरूप सुखद और संपन्न दांपत्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है. वट सावित्री व्रत करने में पूजन सामग्री का खास महत्व होता है. इस पूजन सामग्री में बांस का पंखा, बांस से बनी डाली, लाल धागा, धूपबत्ती, फूल, पांच तरह के फल, जल से भरा पात्र, सिंदूर, लाल कपड़ा आदि का होना अनिवार्य है.
इस दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान आदि कर शुद्ध हो कर नए वस्त्र पहनकर, सोलह श्रृंगार कर. इसके बाद पूजन की सारी सामग्री को एक टोकरी या डलिया में रख कर वट (बरगद) वृक्ष के नीचे सावित्री की कथा सुनकर बरगद के पेड़ में धूप, दीप, रोली, चने, सिंदूर अर्पित कर. बांस के पंखे से बरगद पेड को हवा कर पूजन किया जाता है. इसके बाद धागे को पेड़ में लपेटते हुए जितना संभव हो सके 5,11, 21, 51 या 108 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा करते हैं.
इसको लेकर मंदिर स्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने कहा कि यह वटसावित्रि व्रत को 3 रात्रि का उपवास है. श्री रात्रो पूसिता नारी, विधानने प्रपुजये.. यह त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या तक महिलाएं उपवास सकती है. इसके बाद महिलाऐं अमावस्या को बरगद का पूजन करती है.