
हिमाचल में बारिश और भूस्खलन से तबाही:
137 की मौत, 268 सड़कें बंद, सैकड़ों गांवों का संपर्क टूटा ।
शिमला | जुलाई 25, 2025
हिमाचल प्रदेश इस समय भयंकर प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। बीते कुछ सप्ताहों से लगातार हो रही भारी बारिश और उससे उत्पन्न भूस्खलन ने प्रदेश के कई इलाकों को तबाह कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 137 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 268 सड़कें अभी भी बंद हैं। जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है।
मुख्य मार्गों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की संपर्क सड़कों पर भूस्खलन और पानी भरने के कारण यातायात ठप हो गया है। लोगों को घरों में ही कैद रहना पड़ रहा है। कई गांवों का जिला और तहसील मुख्यालयों से संपर्क पूरी तरह कट गया है।
शिमला और कुफरी में फिर भारी बारिश, नई मुसीबत
राजधानी शिमला और आसपास के पर्यटक क्षेत्रों जैसे कुफरी और नारकंडा में बुधवार को दोपहर बाद अचानक तेज बारिश हुई। इसके कारण शिमला-कुफरी मार्ग समेत कई संपर्क मार्गों पर भूस्खलन हुआ और सड़कें मलबे से पट गईं। भारी संख्या में पर्यटक होटलों और वाहनों में फंसे हुए हैं।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस बल जेसीबी और राहत दलों की मदद से सड़कों को साफ करने का काम कर रहे हैं। लेकिन लगातार बारिश के कारण काम में बाधा आ रही है।
सबसे ज्यादा नुकसान कांगड़ा, मंडी और चंबा में
कांगड़ा जिले के नगरोटा सूरियां में सबसे ज्यादा वर्षा दर्ज की गई है। यहां कई गांवों में घर ढह गए हैं और खेतों में पानी भर गया है। मंडी जिले में मंडी-कोटली राष्ट्रीय राजमार्ग भारी भूस्खलन के कारण बंद है। इससे जिले में सैकड़ों वाहन फंस गए हैं।
चंबा जिले में कई स्थानों पर बादल फटने जैसी स्थिति बनी रही, जिससे नदियों और नालों में जलस्तर अचानक बढ़ गया। इससे कई घर बह गए और पुल क्षतिग्रस्त हो गए। इन जिलों में सेना और ITBP की टीमें भी राहत कार्य में लगाई गई हैं।
अब तक 137 लोगों की मौत
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (SDMA) के अनुसार, 24 घंटे के अंदर 12 लोगों की मौत हुई है, जिससे मानसून सीजन में कुल मृतकों की संख्या 137 तक पहुंच गई है। मृतकों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।
इनमें से ज्यादातर लोगों की मौत मकान ढहने, सड़क हादसों और बहाव में फंसने के कारण हुई है। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को राहत राशि देने की घोषणा की है, लेकिन कई इलाकों में अभी तक शवों को निकाला भी नहीं जा सका है।
268 सड़कें अब भी बंद, NH पर भी यातायात ठप
हिमाचल की लाइफलाइन कही जाने वाली कई राष्ट्रीय और राज्यीय सड़कें अब भी बंद हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-5, 154 और 305 पर ट्रैफिक बुरी तरह प्रभावित है। कुल 268 सड़कें अभी भी मलबे और पानी के कारण बंद पड़ी हैं।
परिवहन निगम की सैकड़ों बस सेवाएं रद्द कर दी गई हैं। राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में दूध, सब्जी, दवा और गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी ठप हो गई है।
कृषि और बागवानी को भारी नुकसान
प्रदेश की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाने वाली सेब और टमाटर की फसलें भी बर्बाद हो चुकी हैं। किसानों का कहना है कि बारिश के कारण हजारों टन सेब समय पर मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे, जिससे उनकी बर्बादी तय है।
वहीं, खेतों में पानी भरने और मिट्टी बह जाने से आगामी रबी फसल की तैयारी पर भी असर पड़ेगा। सरकारी अनुमान के अनुसार अब तक 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान केवल कृषि और बागवानी क्षेत्र को हुआ है।
राहत कार्य जारी, लेकिन चुनौतियां बड़ी
राज्य सरकार ने राहत कार्य के लिए NDRF और SDRF की कुल 25 टीमें प्रभावित जिलों में तैनात की हैं। शिमला, कुल्लू, मंडी और कांगड़ा में हेलिकॉप्टर से भी बचाव कार्य चलाया जा रहा है। लेकिन खराब मौसम और लगातार हो रही बारिश राहत कार्य में बड़ी चुनौती बनी हुई है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और कहा कि “राज्य सरकार पूरी संवेदनशीलता से राहत कार्यों में जुटी है। केंद्र सरकार से भी मदद मांगी गई है और प्रधानमंत्री कार्यालय से हरसंभव सहयोग का आश्वासन मिला है।”
स्कूल बंद, ऑनलाइन पढ़ाई की तैयारी
राज्य के 8 जिलों में स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। शिक्षा विभाग ने कहा है कि अगले आदेश तक स्कूलों में अवकाश रहेगा और ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है ताकि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो।
मौसम विभाग की चेतावनी: खतरा अभी टला नहीं
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले 72 घंटों के लिए भी भारी बारिश और वज्रपात की चेतावनी जारी की है। विशेष रूप से चंबा, कांगड़ा, मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है।
नदियों में जलस्तर पहले से ही खतरे के निशान पर है, जिससे बाढ़ का खतरा और अधिक बढ़ गया है।
हिमाचल प्रदेश में हालात बेहद गंभीर हैं। लगातार बारिश, भूस्खलन और सड़कों के टूटने से आम जनजीवन ठप है। सरकार, सेना और राहत एजेंसियां अपने स्तर पर काम कर रही हैं, लेकिन चुनौती बहुत बड़ी है। आने वाले दिनों में यदि मौसम ऐसा ही रहा, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।