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देवघर। धार्मिक नगरी देवघर में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को धूमधाम से अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया गया। इस अवसर पर बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही श्रद्धालु भगवान विष्णु और बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में पहुंचने लगे। भक्तों ने विशेष रूप से अनंत भगवान की कथा का श्रवण किया और अनंत डोरा बांधकर अपने जीवन में सुख-समृद्धि एवं शांति की कामना की।
अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन अनंत भगवान की पूजा करने से जीवन में हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। यही कारण है कि देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है।
देवघर का ऐतिहासिक अनंत चतुर्दशी मेला
स्थानीय पुरोहित श्रीनाथ महाराज ने बताया कि देवघर में अनंत चतुर्दशी का मेला काफी प्राचीन है। सावन मेला से पहले यहां अनंत चतुर्दशी का मेला आयोजित होता था। इस दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवघर पहुंचकर भगवान विष्णु और बाबा बैद्यनाथ की पूजा करते हैं। यहां भगवान भोलेनाथ और भगवान विष्णु का मिलन स्थल भी माना जाता है, जिसे “हरिहर मिलन” कहा जाता है। इसी कारण इस पर्व की महत्ता और भी बढ़ जाती है।
कथा श्रवण का 100 गुना फल
देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में अनंत चतुर्दशी की कथा श्रवण करना विशेष फलदायी माना गया है। मान्यता है कि यहां कथा सुनने से अन्य स्थानों की तुलना में 100 गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। यही वजह है कि स्थानीय लोग भारी संख्या में मंदिर में जुटकर अनंत भगवान की कथा सुनते हैं और अनंत डोरा बांधते हैं।
अनंत डोरा का महत्व
अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत भगवान की पूजा के बाद श्रद्धालु अपने हाथ में “अनंत डोरा” बांधते हैं। यह डोरा भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का प्रतीक है। इसे 14 गांठों में बांधा जाता है, जो जीवन के 14 लोकों और 14 वर्षों की सुख-समृद्धि का प्रतीक है। डोरा बांधने से परिवार में समृद्धि आती है और जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं।
श्रद्धालुओं की भीड़ और विशेष पूजा
आज सुबह से ही बाबा बैद्यनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं। श्रद्धालु “हर हर महादेव” और “अनंत भगवान की जय” के नारों के बीच मंदिर परिसर में प्रवेश कर रहे थे। मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से भक्तों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। सुरक्षाकर्मियों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग और विशेष मार्ग बनाए।
मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अनंत भगवान की पूजा की। इसके बाद भक्तों ने परिवार सहित कथा श्रवण किया और अनंत डोरा बांधा।
बाबा बैद्यनाथ और भगवान विष्णु का हरिहर मिलन
धार्मिक मान्यता है कि देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर एकमात्र ऐसा स्थान है जहां भगवान शिव और भगवान विष्णु का मिलन होता है। यही कारण है कि यहां अनंत चतुर्दशी पर्व का महत्व और भी अधिक है। श्रद्धालु मानते हैं कि इस दिन बाबा भोलेनाथ और अनंत भगवान की संयुक्त आराधना करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास
स्थानीय निवासी बताते हैं कि अनंत चतुर्दशी पर कथा श्रवण और अनंत डोरा बांधने से घर में शांति, स्वास्थ्य और धन की वृद्धि होती है। ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग देवघर पहुंचते हैं और पूरे उत्साह के साथ भगवान विष्णु और बाबा बैद्यनाथ की पूजा करते हैं।
पर्यटक और धार्मिक महत्व
अनंत चतुर्दशी के अवसर पर न केवल स्थानीय लोग बल्कि देश-विदेश से आए श्रद्धालु भी बाबा बैद्यनाथ मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे। इससे देवघर का पर्यटन और धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
अनंत चतुर्दशी का पर्व देवघर की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान से गहराई से जुड़ा हुआ है। यहां बाबा बैद्यनाथ और भगवान विष्णु की आराधना के साथ हरिहर मिलन का अद्भुत दृश्य श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। कथा श्रवण और अनंत डोरा बांधने की परंपरा ने इस पर्व को और भी विशेष बना दिया है। यही वजह है कि आज भी हर वर्ष देवघर में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और यह परंपरा सदियों से जारी