
देवघर। बाबा बैद्यनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों और पुलिस प्रशासन के बीच चल रहा विवाद अब गंभीर रूप लेता दिख रहा है। शनिवार को सिंह द्वार पर प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित दिवाकर कश्यप अपनी मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना पर बैठे। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने आकर हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से उनके आंदोलन को समर्थन दिया। कश्यप का आरोप है कि मंदिर में पुलिस प्रशासन द्वारा प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालुओं को दर्शन और पूजा कराए जाने की प्रक्रिया परंपरागत पुजारियों के अधिकार और आजीविका पर सीधा प्रहार है।
तीर्थ पुरोहितों की आजीविका पर संकट
दिवाकर कश्यप ने कहा कि बाबा बैद्यनाथ धाम की धार्मिक परंपरा सदियों से तीर्थ पुरोहितों के जरिए चली आ रही है। यहां आने वाले श्रद्धालु परंपरागत तौर पर पुरोहितों की सहायता से गर्भगृह में पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन अब पुलिस की ओर से प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालुओं को सीधे दर्शन और पूजा कराने की व्यवस्था कर दी गई है। कश्यप का कहना है कि इससे तीर्थ पुरोहितों की आजीविका खतरे में पड़ गई है। उनका कहना है कि “यदि पुलिस ही श्रद्धालुओं को पूजा करवाने लगेगी तो हम तीर्थ पुरोहित कहां जाएंगे? आने वाले दिनों में पुलिस द्वारा पूजा कराने की यह प्रक्रिया हमारे पारंपरिक अधिकारों को समाप्त कर देगी।”
अन्य तीर्थ स्थलों से अलग स्थिति
दिवाकर कश्यप ने यह भी कहा कि देश के अन्य बड़े तीर्थ स्थलों के गर्भगृह में पुलिस की ड्यूटी सिर्फ सुरक्षा तक सीमित रहती है। वहां पुलिस कभी श्रद्धालुओं को पूजार्चना नहीं कराती। लेकिन देवघर के बाबा धाम में गर्भगृह के अंदर और बाहर दोनों जगह पुलिस तैनात है और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी श्रद्धालुओं को पूजा करवाने का कार्य कर रहे हैं। यह न केवल धार्मिक परंपराओं के खिलाफ है, बल्कि तीर्थ पुरोहितों की पीढ़ियों से चली आ रही रोज़गार व्यवस्था पर सीधा प्रहार है।
प्रशासन को अल्टीमेटम
धरना स्थल पर उपस्थित समर्थकों ने भी जिला प्रशासन से मांग की कि तत्काल गर्भगृह से पुलिस को हटाया जाए और पुलिस द्वारा श्रद्धालुओं को पूजा कराने की प्रथा पर रोक लगाई जाए। कश्यप ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने जल्द ही इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाए तो तीर्थ पुरोहित शांतिपूर्वक उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ रोज़गार का मुद्दा नहीं है, बल्कि बाबा बैद्यनाथ धाम की धार्मिक परंपरा को बचाने की लड़ाई है।
श्रद्धालुओं में भी मिश्रित प्रतिक्रिया
मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले कई श्रद्धालुओं ने इस विवाद पर अपनी राय दी। कुछ ने कहा कि पुलिस की व्यवस्था से दर्शन में आसानी होती है, जबकि कई श्रद्धालुओं ने पुरोहितों की परंपरागत भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उनका मानना है कि पूजा-अर्चना का अधिकार केवल तीर्थ पुरोहितों को होना चाहिए और प्रशासन को इस मामले में हस्तक्षेप कर पारंपरिक व्यवस्था बहाल करनी चाहिए।
बाबा धाम का महत्व
बाबा बैद्यनाथ धाम, बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, हिंदू आस्था का प्रमुख केंद्र है। सावन और भादो के महीनों में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सदियों से यहां पूजा का अधिकार परंपरागत तीर्थ पुरोहितों को दिया गया है, जो पीढ़ियों से इस सेवा को निभाते आ रहे हैं।
बढ़ता तनाव
धरना के दौरान मौजूद लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते इस मुद्दे को नहीं सुलझाया तो आने वाले दिनों में विरोध और तेज हो सकता है। समर्थकों ने दावा किया कि तीर्थ पुरोहितों का यह संघर्ष केवल अपने हक की लड़ाई नहीं बल्कि धार्मिक परंपराओं की रक्षा के लिए भी है।
बाबा बैद्यनाथ धाम में पुलिस द्वारा श्रद्धालुओं को पूजार्चना कराने का मामला धीरे-धीरे बड़ा विवाद बनता जा रहा है। जहां एक ओर पुलिस इसे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आवश्यक बता सकती है, वहीं दूसरी ओर तीर्थ पुरोहित इसे अपनी पारंपरिक आजीविका और धार्मिक अधिकारों पर सीधा हमला मान रहे हैं। अब सभी की नजर जिला प्रशासन पर है कि वह इस विवाद को कैसे सुलझाता है।