
देवघर। भाद्रपद मास की पूर्णिमा पर रविवार को बाबा नगरी देवघर में श्रद्धा और आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। देशभर से आए श्रद्धालुओं ने सुबह से ही बाबा बैद्यनाथ मंदिर में जलार्पण और पूजन-अर्चन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। इस बार की पूर्णिमा इसलिए भी विशेष रही क्योंकि आज ही साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण का संयोग भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
सुबह से ही हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान करने के बाद बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण के लिए मंदिर पहुंचे। बाबा मंदिर परिसर गंगाजल से भरे कलशों और “हर-हर महादेव” के जयघोष से गूंजता रहा। बाबा बैद्यनाथ मंदिर के स्टेट पुरोहित श्रीनाथ महाराज ने बताया कि पूर्णिमा पर गंगा स्नान और जलार्पण का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ पर गंगाजल चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, साथ ही जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और वैभव प्राप्त होता है।
चंद्र ग्रहण का महत्व
आज की पूर्णिमा के साथ साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण का प्रभाव केवल खगोलिय घटना ही नहीं बल्कि धार्मिक मान्यताओं से भी जुड़ा है। ग्रहण लगने से 8 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। इसी कारण बाबा बैद्यनाथ मंदिर की परंपरा के अनुसार ग्रहण से डेढ़ घंटे पहले मंदिर का पट बंद कर दिया जाएगा।
आज श्रद्धालुओं के लिए जलार्पण का समय शाम 6 बजे तक तय किया गया है। इसके बाद मंदिर में श्रृंगार पूजा की जाएगी और बाबा को भोग लगाया जाएगा। इसके बाद मंदिर के पट ग्रहण की अवधि समाप्त होने तक बंद रहेंगे।
ग्रहण का समय
आज का चंद्र ग्रहण रात 9:56 बजे से प्रारंभ होकर रात 1:28 बजे तक रहेगा। इस दौरान मंदिर के पट बंद रहेंगे और भक्तजन अपने-अपने घरों में मंत्रोच्चारण और भगवान शिव का स्मरण कर सकते हैं।
सूतक काल की मान्यता
हिंदू धर्म शास्त्रों में सूतक काल को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि इस दौरान किसी भी प्रकार का धार्मिक कार्य नहीं किया जाता। देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श करना, भोजन पकाना और ग्रहण के समय सोना भी वर्जित है। इसी कारण मंदिर के पट भी बंद कर दिए जाते हैं। हालांकि, सूतक काल से पहले किए गए पूजा-पाठ और जलार्पण को फलदायी माना जाता है।
बाबा नगरी में श्रद्धालुओं की भीड़
पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण के संयोग से बाबा नगरी देवघर में जबरदस्त भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर के चारों ओर श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं। लोग सुबह से ही अपने परिवार के साथ गंगा स्नान कर मंदिर पहुंचे। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा व्यवस्था की है।
पुलिस बल को मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में तैनात किया गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी मेडिकल टीम की व्यवस्था की गई है ताकि किसी श्रद्धालु को असुविधा न हो।
गंगा स्नान और जलार्पण का महत्व
गंगा जल को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। धर्मग्रंथों में वर्णित है कि गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा तिथि पर किया गया यह अभिषेक और भी अधिक फलदायी माना जाता है।
आज श्रद्धालुओं ने मंदिर में जल चढ़ाने के साथ-साथ महामृत्युंजय जाप और शिव चालीसा पाठ भी किया। कई भक्तों ने रुद्राभिषेक और विशेष पूजन का आयोजन किया।
बाबा बैद्यनाथ मंदिर की परंपरा
बाबा बैद्यनाथ धाम भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यहां की परंपरा देशभर में प्रसिद्ध है। हर साल सावन और महाशिवरात्रि पर यहां लाखों श्रद्धालु जलार्पण करने आते हैं। इसी तरह पूर्णिमा और ग्रहण के संयोग पर भी यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है।
श्रद्धालुओं की भावनाएं
आज बाबा मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि पूर्णिमा और ग्रहण का संयोग बहुत दुर्लभ होता है। इस मौके पर बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर मन को अद्भुत शांति मिलती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन की पूजा से जीवन में आने वाली हर कठिनाई दूर होती है।
आज का दिन देवघर के लिए अत्यंत विशेष रहा। पूर्णिमा और साल के अंतिम चंद्र ग्रहण के संयोग ने आस्था और श्रद्धा को और प्रबल किया। सुबह से शाम तक बाबा बैद्यनाथ मंदिर में गंगाजल अर्पण और पूजन-अर्चन का दौर चलता रहा। शाम 6 बजे के बाद मंदिर के पट बंद हो जाएंगे और रात 9:56 बजे से लेकर रात 1:28 बजे तक चंद्र ग्रहण रहेगा। इस अवधि के बाद ही मंदिर का पट पुनः खोला जाएगा।