देवघर। एक ओर राज्य सरकार जंगलों के संरक्षण, हरित आवरण बढ़ाने और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीन पर स्थिति काफी अलग और चिंताजनक है। देवघर वन प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले मनीगढ़ी एवं चितरा वन क्षेत्र में खुलेआम अवैध आरा लकड़ी मिलों का संचालन हो रहा है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इन क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में अवैध आरा मिल सक्रिय हैं, जहां प्रतिदिन दर्जनों पेड़ों को काटकर लकड़ी फाड़ने और चीरने का कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

वन संरक्षण का दावा करने वाली सरकारी योजनाओं के बीच यह अवैध व्यापार न सिर्फ प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करता है, बल्कि पर्यावरण और जैव विविधता दोनों के लिए गंभीर खतरा भी उत्पन्न कर रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, मनीगढ़ी और चितरा वन परिसर के कुछ पदाधिकारियों पर अवैध आरा मिल संचालकों से नियमित रूप से मोटी रकम वसूली करने के आरोप लगते रहे हैं। कथित रूप से इसी ‘संरक्षण’ के कारण इन मिलों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और वन क्षेत्र का विनाश तेज गति से हो रहा है।
अवैध आरा मिलों का जंगलों पर सीधा प्रहार
स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि देवघर व उससे सटे इलाकों में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में इन जंगलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन जब इसी जंगल का दोहन अवैध तरीके से होने लगे, तो पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ना तय है। वन क्षेत्र में लगातार कटाई होने से स्थानीय वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है। कई प्रजातियों के पक्षी और जानवर अब इस इलाके से लापता होते जा रहे हैं।
विशेष रूप से, दुमदुमी पंचायत के बहादुरपुर गांव के जोरिया के पास एक अवैध आरा मिल लंबे समय से संचालित हो रही है, जहां प्रतिदिन ट्रैक्टरों और पिकअप वाहनों के जरिए लकड़ियाँ लाई जाती हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यहां बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटकर लकड़ी तैयार की जा रही है। ग्रामीणों के अनुसार, इस अवैध गतिविधि के कारण आसपास के क्षेत्रों में वृक्षों की संख्या में तेजी से कमी देखी जा रही है।
मोटा मुनाफा, बड़ी लापरवाही — अवैध व्यापार को मिलता ‘संरक्षण’
सूत्र बताते हैं कि अवैध आरा मिल चलाने वालों और वन विभाग के कुछ भ्रष्ट कर्मियों की मिलीभगत के बिना यह व्यापार संभव नहीं है। बताया जाता है कि अवैध आरा मिल संचालकों से हर महीने बड़ी रकम वसूली की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप इन मिलों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। यही कारण है कि जंगलों के बीच चल रही यह गतिविधि विशेष रूप से रात के समय तेजी से बढ़ जाती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग अगर चाहे तो एक दिन में इन अवैध मिलों को बंद करा सकता है, लेकिन कथित मिलीभगत के चलते कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। कई बार शिकायतें किए जाने के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई प्रभावी कार्रवाई न होने से लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
पर्यावरण पर मंडराता बढ़ता संकट
जंगल सिर्फ पेड़ों का समूह नहीं होते, बल्कि यह पूरा पारिस्थितिक तंत्र है। लगातार अवैध कटाई के कारण मिट्टी का कटाव बढ़ रहा है, भूजल स्तर में गिरावट आ रही है और स्थानीय जलस्रोत भी प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा मानसून पर भी इसका प्रभाव दिखाई दे रहा है। जंगल जब तेजी से खत्म होंगे तो जलवायु परिवर्तन की समस्या और गंभीर हो जाएगी।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि देवघर जिले में पिछले कुछ वर्षों में हरित क्षेत्र में चिंता जनक कमी दर्ज की गई है। अवैध आरा मिल इस कमी का एक प्रमुख कारण हैं। यदि इस पर तत्काल रोक नहीं लगी, तो आने वाले वर्षों में देवघर जिला पर्यावरणीय असंतुलन की मार झेल सकता है।
बुद्धिजीवियों ने उठाई आवाज, की कठोर कार्रवाई की मांग
क्षेत्र के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों ने देवघर के उपायुक्त एवं झारखंड सरकार से अविलंब कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि यदि अवैध आरा मिलों को बंद नहीं कराया गया, तो पर्यावरण पर ऐसा संकट आ सकता है जिसकी भरपाई आने वाले वर्षों में भी मुश्किल होगी।
लोगों का कहना है कि सरकार भले ही वृक्षारोपण पर करोड़ों खर्च करे, लेकिन जंगलों की सुरक्षा के बिना यह अभियान अधूरा है। अवैध आरा मिल जंगलों के लिए दीमक की तरह हैं, जो हर दिन पेड़ों को खत्म कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या को प्राथमिकता से देखते हुए ठोस और सख्त कार्रवाई करे।
जागरूकता और सतर्कता ही समाधान
पर्यावरण विशेषज्ञों का सुझाव है कि स्थानीय लोगों को भी सतर्क भूमिका निभानी चाहिए। जंगल सिर्फ सरकार के नहीं बल्कि समाज की अमूल्य धरोहर हैं। ग्रामीणों को अवैध कटाई व मिलों की गतिविधियों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए। साथ ही, सरकार को भी सघन जांच अभियान चलाते हुए इन अवैध आरा मिलों पर लगाम लगानी होगी, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जंगलों को सुरक्षित रखा जा सके।
