
देवघर। झारखंड के देवघर जिले के सारवां थाना क्षेत्र के परसोडीह गांव में शनिवार को एक हृदयविदारक हादसा हो गया। गांव में बन रहे निर्माणाधीन पार्क के तालाब में नहाने के दौरान दो मासूम बच्चे डूब गए। मृतकों की पहचान 10 वर्षीय सोनू कुमार और 7 वर्षीय रिंकी कुमारी के रूप में हुई है। दोनों सगे भाई-बहन थे।
हादसा कैसे हुआ?
जानकारी के मुताबिक, शनिवार की दोपहर सोनू और रिंकी अपने घर से पार्क घूमने निकले थे। पार्क अभी निर्माणाधीन अवस्था में है और वहां सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर कोई ठोस इंतजाम नहीं था। बच्चे तालाब के किनारे खेलने लगे और नहाने के क्रम में गहरे पानी में चले गए। इसी दौरान वे डूबने लगे।
तालाब के पास ही मजदूर काम कर रहे थे। उन्होंने दोनों बच्चों को डूबते देखा और तुरंत उन्हें बाहर निकाला। आनन-फानन में दोनों को देवघर सदर अस्पताल ले जाया गया। लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद दोनों को मृत घोषित कर दिया।
पिता ने उठाए गंभीर सवाल
मृत बच्चों के पिता संतोष यादव ने इस हादसे पर गहरा दुख जताते हुए प्रशासन और पार्क प्रबंधन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “यदि पार्क में सुरक्षा गार्ड की तैनाती होती तो यह हादसा नहीं होता। बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।”
संतोष यादव ने आगे कहा कि पार्क के तालाब में सुरक्षा घेरा या चेतावनी बोर्ड तक नहीं लगाया गया है। यह लापरवाही दो मासूमों की जान ले चुकी है।
गांव में मातम का माहौल
घटना की खबर जैसे ही गांव में फैली, पूरे परसोडीह गांव में मातम पसर गया। परिजन और स्थानीय लोग सदमे में हैं। हर किसी की आंखें नम हो गईं। गांव के लोगों का कहना है कि प्रशासन को निर्माणाधीन स्थलों पर खासकर बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।
पुलिस जांच में जुटी
घटना की जानकारी मिलते ही सारवां थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में यह साफ हुआ है कि पार्क अभी अधूरा है और सुरक्षा के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया है। पुलिस ने परिजनों के बयान दर्ज किए हैं और आगे की कार्रवाई की जा रही है।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर देवघर में निर्माणाधीन पार्कों और सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी भी पार्क या तालाब के पास चेतावनी बोर्ड, सुरक्षा गार्ड और बाड़बंदी जरूरी है। यदि ये बुनियादी इंतजाम नहीं होते, तो इस तरह की घटनाएं दोहराई जा सकती हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को इस मामले में सख्ती दिखानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी कोई दुर्घटना न हो।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
सोनू और रिंकी के निधन से परिवार पूरी तरह टूट गया है। मां का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं पिता संतोष यादव बार-बार यही कह रहे हैं कि उनकी बच्चों की मौत प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। गांव की महिलाएं भी परिवार को ढांढस बंधाने पहुंची, लेकिन हर तरफ मातमी सन्नाटा पसरा रहा।
घटनास्थल की स्थिति
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तालाब की गहराई काफी ज्यादा है और वहां कोई सुरक्षा जाल या चेतावनी बोर्ड नहीं है। पार्क के चारों तरफ भी कोई बाड़ नहीं है। बच्चे आसानी से तालाब के पास पहुंच सकते हैं। यही कारण है कि यह हादसा हुआ।
स्थानीय लोगों की मांग
गांव वालों ने प्रशासन से मांग की है कि निर्माणाधीन पार्क और तालाबों के पास तत्काल सुरक्षा गार्ड की तैनाती की जाए। साथ ही वहां चेतावनी बोर्ड और बाड़बंदी लगाई जाए ताकि बच्चे और आम लोग सुरक्षित रहें।
स्थानीय लोगों ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन को सभी अधूरे और निर्माणाधीन स्थलों की जांच करनी चाहिए।
देवघर में सुरक्षा का बड़ा मुद्दा
देवघर एक धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। ऐसे में निर्माणाधीन पार्क और सार्वजनिक स्थल पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी बड़ी चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में और भी गंभीर हादसे हो सकते हैं।
पूरे गांव में गमगीन माहौल
इस हादसे ने पूरे परसोडीह गांव को गमगीन कर दिया है। लोग इस घटना को लेकर बेहद दुखी और नाराज हैं। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि बच्चे परिवार की खुशियों का आधार होते हैं, और उनका इस तरह असमय चले जाना बहुत बड़ा नुकसान है।