देवघर। बाबा नगरी देवघर में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा आयोजित ‘शिवमहापुराण कथा’ का आयोजन देवघर में ऐतिहासिक माहौल में आरंभ हुआ है। इस अवसर पर झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने समस्त प्रदेशवासियों और आयोजकों को ‘जोहार’ के साथ हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा बैद्यनाथ की नगरी में आयोजित यह कथा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह झारखंड के सांस्कृतिक गौरव और आध्यात्मिक परंपरा को नई दिशा देने का कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि ‘शिवमहापुराण’ कथा श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि का संदेश लेकर आएगी।
मुख्यमंत्री ने दिए आवश्यक निर्देश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देवघर में आयोजित इस विशाल कार्यक्रम को देखते हुए शासन-प्रशासनिक अधिकारियों से सारी व्यवस्थाओं की जानकारी ली और संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित हों।
उन्होंने यातायात, स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्वच्छता और आपात सेवाओं की निरंतर निगरानी के आदेश दिए हैं ताकि लाखों की संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे मंत्री सुदिव्य कुमार
मुख्यमंत्री ने सुनिश्चित किया है कि झारखंड सरकार की ओर से पर्यटन, कला, संस्कृति, खेल एवं युवा मामले; शहरी विकास और आवास; तथा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री सुदिव्य कुमार इस कथा कार्यक्रम में रविवार को भाग लेकर सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे।
उन्होंने कहा कि देवघर न केवल झारखंड की आस्था की राजधानी है, बल्कि यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के अपार अवसर हैं। ऐसे आयोजनों से प्रदेश की पहचान और सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय मंच पर नई ऊंचाइयां मिलेंगी।
‘25 वर्ष- रजत पर्व’ पर आध्यात्मिक संदेश
यह जानकारी देते हुए श्री विट्ठलेश सेवा समिति, देवघर के अध्यक्ष श्री एस. के. तिजारावाला ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस आयोजन को झारखंड प्रदेश के ‘25 वर्ष – रजत पर्व’ से जोड़ते हुए इसे प्रदेश की समृद्धि, एकता और कल्याण का प्रतीक बताया है।
मुख्यमंत्री का कहना है कि जिस प्रकार झारखंड अपनी स्थापना के बाद विकास के नए आयाम तय कर रहा है, उसी तरह यह ‘शिवमहापुराण कथा’ प्रदेशवासियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और नई ऊर्जा का संचार करेगी।
देवघर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
देवघर के पवित्र वातावरण में कथा आरंभ होते ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बाबा बैद्यनाथ धाम से लेकर कथा स्थल तक श्रद्धा का सैलाब देखने को मिला। चारों ओर हर-हर महादेव के जयघोष से वातावरण गूंज उठा।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने अपने मंगलाचरण में कहा कि “देवघर धरती स्वयं शिव की ऊर्जा से परिपूर्ण है, यहां कथा कहना एक सौभाग्य है।” उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड जैसे नवोदित राज्य में धर्म और संस्कृति के संगम से विकास और मानवीय मूल्यों का विस्तार होगा।

प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम
देवघर जिला प्रशासन ने इस विशाल आयोजन को लेकर यातायात व्यवस्था, मेडिकल सहायता, सुरक्षा प्रबंधन, पेयजल, और साफ-सफाई के लिए विशेष व्यवस्था की है। उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक स्वयं निगरानी में जुटे हैं।
शिवमहापुराण कथा स्थल पर हजारों की संख्या में स्वयंसेवक तैनात हैं। वहीं नगर निगम की ओर से पूरे क्षेत्र में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
पर्यटन और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण आयोजन
झारखंड सरकार के मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि देवघर का यह आयोजन राज्य के धार्मिक पर्यटन को नई गति देगा। उन्होंने कहा कि “सरकार की योजना है कि झारखंड के धार्मिक स्थलों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़कर ‘स्पिरिचुअल टूरिज्म सर्किट’ के रूप में विकसित किया जाए।”
उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले समय में देवघर को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयासरत है।
प्रदेशवासियों में उत्साह का माहौल
‘शिवमहापुराण कथा’ के शुभारंभ के साथ ही न केवल देवघर बल्कि संपूर्ण झारखंड में उत्साह का माहौल है। राज्य के विभिन्न जिलों से हजारों भक्त कथा में शामिल होने के लिए देवघर पहुंच रहे हैं।
भक्तों का कहना है कि ऐसे आयोजन राज्य की पहचान को सशक्त बनाते हैं और समाज में शांति व एकता का संदेश देते हैं।
आयोजन समिति की अपील
विट्ठलेश सेवा समिति के सदस्यों ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे कथा स्थल पर व्यवस्था बनाए रखें, प्रशासन का सहयोग करें और पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखें। समिति की ओर से फ्री मेडिकल कैंप, पानी और प्रसाद वितरण केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
देवघर में आयोजित ‘शिवमहापुराण कथा’ न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह झारखंड की आध्यात्मिक धरोहर, सांस्कृतिक एकता और सामाजिक सद्भाव का उत्सव भी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्य सरकार की ओर से दिए गए निर्देश इस बात का प्रमाण हैं कि धर्म, संस्कृति और विकास का संगम झारखंड की प्राथमिकता है
