
DHANBAD: धनबाद में झमाझम बारिश से सुलगने लगी कोयला खदानें: भाप से ढंका पूरा कोलियरी क्षेत्र, धंसने का खतरा बढ़ा, उत्पादन और डिस्पैच पर लगा ब्रेक।
धनबाद में मानसून की रफ्तार तेज हो चुकी है और लगातार तीसरे दिन गुरुवार को जोरदार बारिश देखने को मिली। सुबह से ही आसमान में काले बादलों का डेरा रहा और समय-समय पर हल्की से मध्यम बारिश होती रही। दोपहर के दौरान कुछ स्थानों पर मूसलधार बारिश ने हालात और अधिक गंभीर बना दिए।
बारिश का सबसे अधिक असर कोयला खदानों पर पड़ा है। भारी बारिश के कारण बड़ी मात्रा में पानी खदानों के भीतर चला गया। कोयले की परतों में वर्षों से सुलग रही आग जब इस बारिश के पानी से टकराई, तो खदानों के भीतर से भाप बनकर उठने लगी। यह भाप धीरे-धीरे पूरे कोलियरी क्षेत्र में फैल गई, जिससे आसपास का माहौल धुंध और गर्म भाप से भर गया।
स्थानीय लोगों और कोलियरी कर्मियों में खदान धंसने का डर लगातार बढ़ रहा है। जहां एक ओर आग की तपिश बरकरार है, वहीं दूसरी ओर पानी का प्रवेश खतरनाक रासायनिक प्रतिक्रिया को जन्म दे सकता है। इससे जमीन की सतह कमजोर हो सकती है और दुर्घटनाओं की आशंका बनी हुई है।
स्थिति को देखते हुए कोयला उत्पादन और डिस्पैच का काम पूरी तरह रोक दिया गया है। सुरक्षा कारणों से मजदूरों को खदानों से दूर रहने का निर्देश दिया गया है। कोल इंडिया लिमिटेड और बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के अधिकारियों ने स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और राहत व मरम्मत कार्यों के लिए टीमों को अलर्ट मोड में रखा गया है।
स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों को भी अलर्ट कर दिया गया है। अगर लगातार बारिश जारी रही, तो हालात और गंभीर हो सकते हैं। विशेषज्ञों की टीम ने चेतावनी दी है कि अगर जलनिकासी की व्यवस्था शीघ्र नहीं की गई तो खदानों में भरे पानी से आग के और फैलने की आशंका है, जिससे बड़ी आपदा जन्म ले सकती है।
धनबाद को देश की ‘कोयला राजधानी’ कहा जाता है, लेकिन इस समय यह शहर खतरनाक पर्यावरणीय और औद्योगिक संकट के मुहाने पर खड़ा है। प्रशासन और कंपनियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि कैसे उत्पादन बहाल करते हुए मजदूरों और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।