
*धनबाद:नकली पनीर,मिलावटी खोआ जब्त,बिहार के बख्तियारपुर से बस से आ रहा था सामान*
धनबाद। सावन का पवित्र महीना चल रहा है, कांवड़ यात्रा पूरे चरम पर है, श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ को प्रसन्न करने के लिए दूध, दही, मावा और मिठाइयों का विशेष महत्व मानते हैं। लेकिन इस श्रद्धा के बीच कुछ मुनाफाखोरों की लालच भरी साजिश ने लोगों की आस्था और स्वास्थ्य दोनों पर चोट करने का प्रयास किया। धनबाद जिला प्रशासन और खाद्य सुरक्षा विभाग की संयुक्त कार्रवाई में नकली पनीर और मिलावटी खोआ की एक बड़ी खेप पकड़ी गई है। यह सामान बिहार के बख्तियारपुर से बस के जरिए धनबाद लाया जा रहा था, जिसे बरवाअड्डा में पकड़ा गया।
गुप्त सूचना पर हुई कार्रवाई
स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा विभाग को कुछ दिन पहले सूचना मिली थी कि बिहार के बख्तियारपुर से हर दिन नकली डेयरी उत्पादों की आपूर्ति धनबाद में हो रही है। यह जानकारी मिलने के बाद विभाग सतर्क हो गया और छापेमारी की योजना बनाई गई। सोमवार को जैसे ही एक संदिग्ध बस धनबाद के बरवाअड्डा थाना क्षेत्र में बस स्टैंड पर पहुंची, टीम ने उसे घेर लिया और गहन तलाशी शुरू की।
तलाशी के दौरान विभाग को दर्जनों किलो नकली पनीर और खोआ बरामद हुआ, जिसे प्लास्टिक के बड़े कंटेनरों में पैक कर लाया गया था। जांच में पाया गया कि इन उत्पादों में दूध की जगह सिंथेटिक सामग्री, रसायन और सस्ते वनस्पति घटकों का उपयोग किया गया था, जो न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं बल्कि सीधे तौर पर खाद्य मानकों का उल्लंघन करते हैं।
कैसे होती है नकली पनीर-खोआ की पहचान?
जब्त किए गए पनीर और खोए की बनावट, रंग और गंध से ही यह स्पष्ट हो गया कि यह मिलावटी उत्पाद हैं। पनीर में झाग जैसा पदार्थ था और खोए में अत्यधिक चिकनाई, अप्राकृतिक पीला रंग तथा हल्की दुर्गंध थी। प्राथमिक स्तर पर जांच में सामने आया कि पनीर बनाने के लिए सिंथेटिक दूध में यूरिया, डिटर्जेंट और स्टार्च मिलाया गया था, जबकि खोआ वनस्पति घी और सस्ते तेलों के मिश्रण से तैयार किया गया था।
धनबाद में होनी थी इनकी खपत
पूछताछ में सामने आया कि यह सारा माल धनबाद के कई थोक मिठाई दुकानदारों को सप्लाई किया जाना था। सावन में कांवड़ियों की भारी भीड़ और मांग को देखते हुए मिठाई की दुकानों में इन नकली उत्पादों का उपयोग तेजी से बढ़ जाता है। मुनाफा कमाने की होड़ में कुछ दुकानदार गुणवत्ता की अनदेखी कर इस तरह के घातक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं। यदि समय रहते यह खेप नहीं पकड़ी जाती, तो सैकड़ों श्रद्धालुओं की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता था।
बस चालक और खलासी से पूछताछ
बस चालक और खलासी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक यह रूटीन सप्लाई का हिस्सा था और इससे पहले भी कई बार इसी तरह से नकली सामग्री धनबाद पहुंचाई जा चुकी है। पुलिस अब पूरे नेटवर्क की पड़ताल कर रही है – कौन सप्लायर है, किन दुकानदारों को सामान मिलता है, और कितने समय से यह काम चल रहा है।
प्रशासन ने कसी कमर
धनबाद के खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा, “हमने सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिए हैं। रिपोर्ट के आधार पर संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही आगे भी विशेष जांच अभियान चलाया जाएगा, खासकर सावन और आने वाले त्योहारों को देखते हुए।”
प्रशासन की इस कार्रवाई से शहर के अन्य मावा और पनीर विक्रेताओं में खलबली मच गई है। कई दुकानों पर भी औचक निरीक्षण की योजना बनाई जा रही है ताकि उपभोक्ताओं को सुरक्षित खाद्य सामग्री मिल सके।
कांवड़ियों की सेहत से खिलवाड़
यह मामला केवल कानून या व्यापारिक अनियमितता से जुड़ा नहीं है, बल्कि आस्था से भी जुड़ा है। बाबा धाम जाने वाले लाखों श्रद्धालु रास्ते में विश्राम करते हैं, भोजन करते हैं और स्थानीय दुकानों से प्रसाद और मिठाइयां खरीदते हैं। अगर इन खाद्य पदार्थों में मिलावट होगी, तो इससे उनकी श्रद्धा ही नहीं, सेहत पर भी सीधा असर पड़ेगा।
पिछले वर्ष भी हुआ था बड़ा खुलासा
यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले वर्ष भी धनबाद और आस-पास के इलाकों में नकली खोआ और मिठाई का जाल पकड़ा गया था। उस दौरान भी सिंथेटिक दूध, रसायनों और कृत्रिम रंगों से बनी मिठाइयों की खेप पकड़ी गई थी। इस बार सावधानी से की गई कार्रवाई ने एक बार फिर प्रशासन की सक्रियता को साबित किया है, लेकिन यह भी साफ है कि यह मिलावटखोर रुकने वाले नहीं हैं। इन्हें पकड़ने के लिए सतत निगरानी और कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।
जनता से अपील
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने जनता से अपील की है कि कोई भी संदिग्ध खाद्य उत्पाद दिखे तो तुरंत सूचना दें। खासकर दुकानदारों से अपील की गई है कि अधिकृत सप्लायर से ही सामान लें और गुणवत्ता की जांच अवश्य करें।
धनबाद में नकली पनीर और खोआ की इस बरामदगी ने एक बार फिर दिखा दिया है कि कैसे कुछ व्यापारी मुनाफे की लालच में जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। सावन जैसे पवित्र अवसर पर इस तरह की हरकतें निंदनीय हैं। यह कार्रवाई जरूरी तो है, लेकिन यह तब तक प्रभावी नहीं होगी जब तक दोषियों को सख्त सजा नहीं मिले और मिलावटी सामान का उत्पादन जड़ से बंद न हो।