
धराली हादसा: बेटे की तलाश में रोते-बिलखते परिजन, गीली मिट्टी में फंसा रेस्क्यू ऑपरेशन ।
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के धराली में हुए दर्दनाक हादसे के बाद अब भी कई लोग लापता हैं। हादसे के शिकार हुए मजदूरों में शामिल 26 वर्षीय युवक के परिजन का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों का कहना है कि बेटा रोज़ी-रोटी की तलाश में धराली आया था, लेकिन अब उसकी लाश भी नहीं मिल रही।
घटना रविवार देर रात की है, जब अचानक भूस्खलन से निर्माण स्थल का बड़ा हिस्सा धंस गया। मिट्टी और मलबे के ढेर में दबकर कई मजदूर फंस गए। मौके पर राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया, लेकिन लगातार हो रही बारिश और पहाड़ से गिरते पत्थरों ने मुश्किलें और बढ़ा दीं।
गीली मिट्टी बनी रुकावट
स्थानीय प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें लगातार मलबा हटाने की कोशिश कर रही हैं, मगर गीली मिट्टी के कारण भारी मशीनें मौके पर फंस रही हैं। जेसीबी और खुदाई मशीनों को कई बार निकालना पड़ा, जिससे ऑपरेशन की गति बेहद धीमी हो गई है।
एक अधिकारी ने बताया, “मशीनें ठीक से काम नहीं कर पा रहीं, इसलिए अब टीम के सदस्य हाथों से मिट्टी हटाकर लाशों की तलाश कर रहे हैं। बारिश से मिट्टी और भी भारी हो गई है, जिससे खतरा बढ़ गया है।”
हादसे का मंजर
गवाहों का कहना है कि हादसे के वक्त एक तेज़ धमाके जैसी आवाज़ आई, उसके बाद चारों ओर धूल और मलबा फैल गया। कुछ मजदूर समय रहते भाग निकले, लेकिन कई गहरी नींद में थे और बाहर नहीं आ पाए।
परिजनों का दर्द
26 वर्षीय राजेश (परिवर्तित नाम) के पिता ने कहा, “हमारा बेटा दो महीने पहले धराली आया था। हमें फोन करके कहता था कि जल्दी पैसे बचाकर घर आएगा। अब हमें पता नहीं, हम उसे कहां तलाशें।”
पीड़ितों के परिवार घटनास्थल के पास डटे हुए हैं, हर पल उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद उनका अपना सकुशल बाहर निकल आए।
राहत कार्य में बाधाएं
– लगातार बारिश से मिट्टी और मलबा खिसकने का खतरा
– संकरी जगह में मशीनें चलाना मुश्किल
– पहाड़ से गिरते पत्थर बचावकर्मियों के लिए खतरा
– कम रोशनी और फिसलन के कारण रात में ऑपरेशन बंद करना पड़ा
स्थानीय लोग भी मदद में जुटे
प्रशासनिक टीमें, पुलिस, एसडीआरएफ के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीण भी राहत कार्य में सहयोग कर रहे हैं। गांव की महिलाएं और बच्चे भी फंसे मजदूरों के परिवारों को खाना और पानी पहुंचा रहे हैं।
सरकार ने किया मुआवजे का ऐलान
उत्तराखंड सरकार ने मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। घायलों का नजदीकी अस्पताल में इलाज चल रहा है। मुख्यमंत्री ने बचाव कार्य तेज़ करने के निर्देश दिए हैं और हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया है।
एक सवाल अब भी बाकी
धराली का यह हादसा सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी का भी नतीजा हो सकता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि निर्माण कार्य के दौरान पहाड़ की ढलानों को पर्याप्त सहारा नहीं दिया गया, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ा।
आगे की राह
फिलहाल सभी की निगाहें रेस्क्यू ऑपरेशन पर टिकी हैं। परिजनों के चेहरों पर चिंता और आंखों में आंसू हैं। किसी को नहीं पता कि अगली सुबह कितनी उम्मीदें बाकी रहेंगी और कितने सपने मलबे में दफन हो जाएंगे।
धराली की इस त्रासदी ने एक बार फिर याद दिला दिया है कि पहाड़ी इलाकों में निर्माण कार्य बिना मजबूत सुरक्षा इंतज़ामों के कितना जानलेवा साबित हो सकता है। अभी सबसे बड़ी प्राथमिकता फंसे हुए मजदूरों को जल्द से जल्द निकालना और उनके परिवारों को न्याय दिलाना है।